इलेक्ट्रिक करेंट का मैग्नेटिक इफेक्ट
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन
जब किसी मैग्नेटिक फील्ड में किसी कंडक्टर को मूव किया जाता है या किसी कंडक्टर के रिलेशन में कोई मैग्नेट मूव करता है तो कंडक्टर में इलेक्ट्रिक करेंट इंड्यूस होता है। दूसरे शब्दों में, यदि एक कंडक्टर और एक मैग्नेटिक फील्ड ऐसी स्थिति में रहते हैं कि जब एक मूव करता है और दूसरा स्थिर रहता है तो कंडक्टर में इलेक्ट्रिक करेंट इंड्यूस होता है। जब मैग्नेटिक फील्ड में आने वाले बदलाव के कारण किसी कंडक्टर में इलेक्ट्रिक करेंट इंड्यूस होता है तो इसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन कहते हैं।
फ्लेमिंग का राइट हैंड रूल: अपने राइट हैंड को इस तरह से रखिए कि अंगूठा, इंडेक्स फिंगर और मिडल फिंगर एक दूसरे से राइट एंगल पर हों। यदि अंगूठा कंडक्टर के मूवमेंट को दिखाता है, इंडेक्स फिंगर मैग्नेटिक फील्ड की दिशा दिखाती है तो मिडल फिंगर इंड्यूस्ड करेंट की दिशा को दिखाती है।
जब मैग्नेटिक फील्ड और कंडक्टर के मूवमेंट की दिशा एक दूसरे से राइट एंगल पर हों तो करेंट की सबसे अधिक संभव मात्रा इंड्यूस होती है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन का कॉन्सेप्ट माइकल फाराडे ने 1831 में दिया था।
दिये गये फिगर में, AB एक कोर है जिसके चारों ओर कॉपर के तार का क्वायल लिपटा हुआ है। क्वायल से एक गैल्वेनोमीटर को जोड़ा गया है। जब एक मैग्नेट को क्वायल की तरफ मूव किया जाता है तो गैल्वेनोमीटर में डिफ्लेक्शन होता है। जब मैग्नेट को क्वायल से दूर मूव किया जाता है तब भी गैल्वेनोमीटर में डिफ्लेक्शन होता है। इससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन का पता चलता है।
दिये गये फिगर में दो क्वायल हैं। क्वायल 1 एक बैटरी और स्विच से जुड़ा हुआ है। क्वायल 2 एक गैल्वेनोमीटर से जुड़ा हुआ है। जब क्वायल 1 के सर्किट को बंद किया जाता है तो गैल्वेनोमीटर में डिफ्लेक्शन होता है। जब क्वायल 1 के सर्किट को खोला जाता है तब भी गैल्वेनोमीटर में डिफ्लेक्शन होता है। जब क्वायल 1 के सर्किट को खोला या बंद किया जाता है तो क्वायल 1 के मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव आता है, जिसके कारण क्वायल 2 में इलेक्ट्रिक करेंट इंड्यूस होता है।
इलेक्ट्रिक जेनरेटर
इलेक्ट्रिक जेनरेटर एक उपकरण है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन के सिद्धांत पर काम करता है। यह मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देता है। इलेक्ट्रिक जेनरेटर का इस्तेमाल पावर प्लांट में बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है।
इलेक्ट्रिक जेनरेटर की संरचना:
- इलेक्ट्रिक जेनरेटर में एक परमानेंट मैग्नेट होता है; जिसे फिगर में N और S पोल द्वारा दिखाया गया है।
- परमानेंट मैग्नेट के पोल के बीच एक रेक्टैंगुलर क्वायल ABCD रहता है।
- एक्सल की ऊपर दो रिंग R1 और R2 लगे रहते हैं।
- दोनों रिंग R1 और R2 से क्रमश: दो स्टेशनरी ब्रुश B1 और B2 सटे रहते हैं।
- B1 और B2 को एक गैल्वेनोमीटर से जोड़ा जाता है। गैल्वेनोमीटर से इंड्यूस्ड करेंट का पता चल पाता है।
इलेक्ट्रिक जेनरेटर के काम करने की विधि:
- एक्सल को किसी मैकेनिकल विधि से घुमाया जाता है।
- मान लीजिए के क्वायल ABCD घड़ी की सुई की दिशा में घूम रहा है। जब क्वायल का AB आर्म ऊपर जाता है तो करेंट A से B की ओर फ्लो करता है। इसी समय, क्वायल का CD आर्म नीचे जाता है और करेंट C से D की ओर फ्लो करता है।
- इस तरह से करेंट B2 से B1 की तरफ फ्लो करता है।
- क्वायल के आधे चक्कर के बाद, CD ऊपर जाता है और AB नीचे जाता है। इस स्थिति में करेंट D से C की ओर और फिर B से A की ओर फ्लो करता है।