जैव प्रक्रम
आप क्या सीखेंगे:
- जैव प्रक्रम का मतलब
- स्वपोषी पोषण; विशेषकर प्रकाश संश्लेषण
- विषमपोषी पोषण; विशेषकर मानव पाचन तंत्र के सम्बन्ध में
- मानव श्वसन तंत्र
- मानव रक्त परिवहन तंत्र
- मानव उत्सर्जन तंत्र
जैव प्रक्रम
जीवन को जारी रखने के लिये मॉलिक्युलर स्तर पर गति का होना बहुत जरूरी होता है। किसी भी जीव में हमेशा कई जैविक प्रक्रियाएँ चलती रहती हैं। इन प्रक्रियाओं के कारण किसी सजीव के विभिन्न घटकों का विखंडन होता रहता है। वैसे घटकों को या तो ठीक करने की जरूरत होती है या उन्हें नये घटकों से बदलने की जरूरत होती है। किसी भी सजीव के घटकों की मरम्मत या उन्हें बदलने के लिये मॉलिक्यूल की जरूरत पड़ती है। इसलिये मॉलिक्यूल की गतिशीलता जीवन को जारी रखने के लिये जरूरी होती है।
किसी भी सजीव में जीवन को जारी रखने के लिये जिन प्रक्रियाओं की अहम जरूरत होती है उन्हें जैव प्रक्रम या लाइफ प्रॉसेस कहते हैं। पोषण, श्वसन, पदार्थों के परिवहन और उत्सर्जन को जैव प्रक्रम की श्रेणी में रखा गया है। प्रजनन को जैव प्रक्रिया की श्रेणी में नहीं रखा जाता है क्योंकि यह किसी भी जीव में जीवन को जारी रखने के लिये आवश्यक नहीं होता है।
पोषण
किसी भी जीव द्वारा भोजन को ग्रहण करने और उसका इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को पोषण या न्युट्रिशन कहते हैं। पोषण दो प्रकार के होते हैं; स्वपोषी पोषण और विषमपोषी पोषण।
स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition)
पोषण का वह तरीका जिसके द्वारा कोई भी जीव अपना भोजन खुद बनाता है, स्वपोषी पोषण या ऑटोट्रॉफिक न्युट्रिशन कहलाता है। सभी हरे पादप और कई बैक्टीरिया स्वपोषी पोषण करते हैं।
फोटोसिंथेसिस
जिस प्रक्रिया द्वारा हरे पादप अपना भोजन बनाते हैं उसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। फोटोसिंथेसिस के दौरान, एक हरा पादप कार्बन डाइऑक्साइड और जल लेता है और सूरज की रोशनी से ऊर्जा लेकर कार्बोहाइड्रेट बनाता है। फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट में होती है और इस प्रक्रिया में क्लोरोफिल अहम भूमिका निभाता है। फोटोसिंथेसिस के बाद बनने वाला कार्बोहाइड्रेट उसके बाद स्टार्च में बदल जाता है और पादप के भविष्य के इस्तेमाल के लिये स्टोर हो जाता है। फोटोसिंथेसिस एक जटिल प्रक्रिया है लेकिन इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।
6CO2 + 12H2O ⇨ C6H12O6 + 6O2 + 6H2O
फोटोसिंथेसिस के मुख्य चरण इस प्रकार हैं:
- क्लोरोफिल प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है।
- लाइट एनर्जी के इस्तेमाल से पानी के मॉलिक्यूल को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया से लाइट एनर्जी को केमिकल एनर्जी में बदला जाता है।
- हाइड्रोजन की सहायता से कार्बन डाइऑक्साइड का अवकरण होता है जिससे कार्बोहाइड्रेट बनता है।
एक पत्ती का क्रॉस सेक्शन:एक पत्ती का अंदरूनी भाग मुख्य रूप से क्लोरेनकाइमा का बना होता है। आपको याद होगा कि जिस पैरेनकाइमा में क्लोरोप्लास्ट होता है उसे क्लोरेनकाइमा कहते हैं। पादपों के उन अंगों में फोटोसिंथेसिस होता है जो हरे रंग के होते हैं। यह हरा रंग क्लोरोफिल के कारण आता है।
स्टोमाटा: पत्ती की सतह पर पाये जाने वाले सूक्ष्म छिद्रों को स्टोमाटा कहते हैं। वाटर बैलेंस में होने वाले बदलाव के कारण स्टोमाटा खुलते या बंद होते हैं। इन्हीं स्टोमाटा से होकर कार्बन डाइऑक्साइड पत्ती के टिशू में पहुँचता है।
पादप द्वारा अन्य न्यूट्रिएंट का निर्माण: कार्बोहाइड्रेट के अलावा पादप को अन्य न्यूट्रिएंट की भी जरूरत पड़ती है, जैसे कि प्रोटीन और फैट। पादप मिट्टी से खनिज लेते हैं। इन खनिजों में से नाइट्रोजन-युक्त खनिजों से प्रोटीन तैयार किया जाता है। नाइट्रोजन फैट का भी एक अभिन्न हिस्सा होता है।