आनुवंशिकता और जैव विकास
आप क्या सीखेंगे:
- पीढ़ी दर पीढ़ी वैरियेशन कैसे जमा होते हैं
- मेंडल के प्रयोग और इनहेरिटेंस के नियम
- मनुष्यों में सेक्स डिटरमिनेशन
- जैव विकास और स्पेशियेशन
- क्लासिफिकेशन और जैव विकास के बीच संबंध
- आधुनिक मानव का विकास
वैरियेशन का जमा होना
हर पीढ़ी में छोटे-मोटे वैरियेशन होते रहते हैं। ऐसा डीएनए रेप्लिकेशन के दौरान होने वाली कुछ गलतियों के कारण होता है। एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन में वैरियेशन की संख्या बहुत कम होती है, लेकिन सेक्सुअल रिप्रोडक्शन में वैरियेशन की संख्या अधिक होती है। छोटे-मोटे वैरियेशन का कई पीढ़ियों तक पता भी नहीं चलता है। अनेक पीढ़ियों के बाद ही इन वैरियेशन का सम्मिलित असर देखने को मिलता है। नीचे के उदाहरण में दिखाया गया है कि किस तरह से पीढ़ी दर पीढ़ी वैरियेशन जमा होते हैं।
मान लीजिए कि कोई बैक्टीरिया बाइनरी फिजन द्वारा यानि एसेक्सुअली प्रजनन करता है। दोनों डॉटर सेल एक जैसे दिखेंगे लेकिन उनमें छोटे-मोटे वैरियेशन जरूर होंगे। दूसरी पीढ़ी के बैक्टीरिया तीसरी पीढ़ी में और अधिक बैक्टीरिया को जन्म देंगे। दूसरी पीढ़ी की तुलना में तीसरी पीढ़ी के बैक्टीरिया में वैरियेशन की संख्या और भी अधिक होगी। इसी तरह से वैरियेशन की संख्या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बढ़ती जायेगी।
हेरेडिटी
पैरेंट से संतानों में फीनोटाइपिक लक्षणों के ट्रांसफर को हेरेडिटी कहते हैं।
फीनोटाइप: जो लक्षण हमें दिखाई देते हैं उनके सेट को फीनोटाइप कहते हैं। उदाहरण: बालों का रंग, आँखों का रंग, नाक का आकार, आदि।
जीनोटाइप: किसी जीव के जेनेटिक मेकअप को जीनोटाइप कहते हैं। जीनोटाइप दिखाई नहीं देता, बल्कि यह किसी सेल में मॉलिक्युलर स्तर पर रहता है।
मेंडल के इनहेरिटेंस के नियम
सेक्सुअल रिप्रोडक्शन की प्रक्रिया में जेनेटिक मैटेरियल दोनों पैरेंट्स से आते हैं। इसका मतलब यह है कि किसी संतान में माता और पिता दोनों से बराबर मात्रा में जीन आते हैं। इसलिये बच्चे का हर लक्षण माता और पिता दोनों के डीएनए से प्रभावित होगा। इनहेरिटेंस के नियम इसी तथ्य पर आधारित हैं।
ग्रेगर जॉन मेंडल एक ऑस्ट्रिअयन मॉन्क था। उसने विभिन्न पीढ़ियों में लक्षणों के एक्सप्रेशन को समझने के लिये मटर के पौधों पर प्रयोग किये।
मेंडल द्वारा मटर का पौधा चुनने के पीछे संभावित कारण:
- मटर एक एनुअल प्लांट होता है। इसका मतलब यह है कि पौधों की एक पीढ़ी एक साल के भीतर ही अगली पीढ़ी को जन्म देती है। इसलिये कोई वैज्ञानिक अपने जीवन में ऐसे पौधे की कई पीढ़ी का अध्ययन कर सकता है।
- मटर के पौधे में कई ऐसे कॉन्ट्रास्टिंग लक्षण होते हैं जो आसानी से दिखाई देते हैं।
- मटर के पौधे में आसानी से क्रॉस पॉलिनेशन किया जा सकता है। इससे मटर के पौधों पर कोई प्रयोग करना आसान हो जाता है।
मेंडल ने दो तरह के प्रयोग किये थे; मोनोहाइब्रिड क्रॉस और डाइहाइब्रिड क्रॉस।
मोनोहाइब्रिड क्रॉस: जब कॉन्ट्रास्टिंग लक्षणों के एक जोड़े के अध्ययन के लिये क्रॉस किया जाता है तो इसे मोनोहाइब्रिड क्रॉस कहते हैं।
डाइहाइब्रिड क्रॉस: जब कॉन्ट्रास्टिंग लक्षणों के दो जोड़ों के अध्ययन के लिये क्रॉस किया जाता है तो इसे डाइहाइब्रिड क्रॉस कहते हैं।