धातु और अधातु
आप क्या सीखेंगे:
- धातु और अधातु के भौतिक और रासायनिक गुण
- धातु की रिएक्टिविटी सीरीज
- खनिजों से धातु का निष्कर्षण
- कोरोजन और उसकी रोकथाम
भौतिक गुण
धातु के भौतिक गुण
- धातु अक्सर सख्त होते हैं और रूम टेंपरेचर पर ठोस अवस्था में पाये जाते हैं। सोडियम एक अपवाद है क्योंकि वह कठोर नहीं होता बल्कि भंगुर होता है। सीजियम और गैलियम मुलायम होते हैं और हथेली की गर्मी से ही द्रव में बदल जाते हैं। मरकरी (पारा) सामान्य तापमान पर द्रव अवस्था में रहता है।
- धातु में एक खास चमक होती है जिसे मेटलिक शाइन या धातुई चमक कहते हैं।
- धातु में तन्यता या डक्टिलिटी होती है, जिसके कारण धातु से पतले तार बनाये जा सकते हैं।
- धातु आघातवर्ध्य या मैलिएबल होते हैं, जिसके कारण धातु को पीटकर पतली शीट बनाई जा सकती है।
- धातु ऊष्मा और विद्युत के सुचालक होते हैं। इसलिये धातु का उपयोग बरतन और बिजली के तार बनाने में होता है।
- धातु ध्वानिक या सोनोरस होते हैं। इसलिये जब किसी धातु पर प्रहार किया जाता है तो इससे एक खास ध्वनि निकलती है।
अधातु के भौतिक गुण
- अधातु अक्सर भंगुर होते हैं। वे पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में पाये जाते हैं। लेकिन हीरा एक अपवाद है क्योंकि वह अभी तक की जानकारी के अनुसार सबसे कठोर पदार्थ है।
- अधातु में कोई चमक नहीं होती है। लेकिन आयोडीन में चमक होती है।
- अधातु नॉन-डक्टाइल और नॉन-मैलिएबल होते हैं।
- अधातु ऊष्मा और विद्युत के कुचालक होते हैं। लेकिन ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।
धातु के रासायनिक गुण
धातु का दहन
ज्यादातर धातु ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्साइड बनाते हैं।
उदाहरण: जब कॉपर को हवा में गर्म किया जाता है तो कॉपर (II) का निर्माण होता है। कॉपर (II) ऑक्साइड काले रंग का होता है।
2Cu + O2 ⇨ 2CuO
जब अलमुनियम को हवा में गर्म किया जाता है तो अलमुनियम ऑक्साइड बनता है।
4Al + 3O2 ⇨ 2Al2O3
उभयधर्मी (Amphoteric) ऑक्साइड: धातु के ऑक्साइड अक्सर क्षारीय प्रवृत्ति के होते हैं। इसका मतलब ये है कि अधिकतर मेटलिक ऑक्साइड एसिड के साथ प्रतिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं। लेकिन कुछ मेटलिक ऑक्साइड अम्लीय और क्षारीय दोनों प्रवृत्ति दिखाते हैं। वैसे ऑक्साइड को एम्फोटेरिक ऑक्साइड कहते हैं। एम्फोटेरिक ऑक्साइड अम्ल और क्षारक दोनों से प्रतिक्रिया करते हैं और साल्ट तथा जल बनाते हैं।
उदाहरण: अलमुनियम ऑक्साइड एक एम्फोटेरिक ऑक्साइड है। यह हाइड्रोक्लोरिक एसिड से प्रतिक्रिया करके साल्ट और जल बनाता है। यह सोडियम हाइड्रॉक्साइड से भी प्रतिक्रिया करता है और साल्ट और जल बनाता है।
Al2O3 + 6HCl ⇨ 2AlCl3 + 3H2O
Al2O3 + 2NaOH ⇨ 2NaAlO2 + H2O
ज्यादातर मेटलिक ऑक्साइड जल में अघुलनशील होते हैं। लेकिन सोडियम और पोटाशियम के ऑक्साइड जल में घुलकर क्षार बनाते हैं।
Na2O (s) + H2O (l) ⇨ 2NaOH (aq)
K2O (s) + H2O (l) ⇨ 2KOH (aq)
अलग-अलग धातु की ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया अलग-अलग गति से होती है। सोडियम और पोटाशियम बड़ी तेजी से ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करते हैं जिससे उनमे आग पकड़ लेती है। गलती से आग लगने से रोकने के लिये सोडियम और पोटाशियम को केरोसीन में डुबाकर रखा जाता है। कुछ धातु रूम के तापमान पर अपने ऊपर ऑक्साइड की एक परत बना लेते हैं, जैसे मैगनीशियम, अलमुनियम, लेड और जिंक। ऐसी धातु पर बनी ऑक्साइड की परत से इनका आगे का ऑक्सीकरण रुक जाता है और कोरोजन की रोकथाम होती है। आयरन गरम करने पर भी नहीं जलता है, लेकिन लोहे की छीलन को जब फ्लेम पर छिड़का जाता है तो वह तेजी से जलती है। कॉपर को गर्म करने पर वह जलता नहीं है लेकिन कॉपर (II) के बनने के कारण काले रंग का हो जाता है। सोना और चांदी तो उच्च तापमान पर भी ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
एनोडीकरण: अलमुनियम ऑक्साइड की एक मोटी परत बनने की प्रक्रिया को एनोडीकरण कहते हैं। ऐसा करने के लिये अलमुनियम से बने सामान को एनोड बनाया जाता है और सल्फ्यूरिक एसिड की उपस्थिति में इसकी इलेक्ट्रोलिसिस की जाती है। इलेक्ट्रोलिसिस के दौरान निकलने वाली ऑक्सीजन गैस अलमुनियम को ऑक्सीकृत कर देता है। इस तरह से अलमुनियम ऑक्साइड की एक मोटी परत बन जाती है। अलमुनियम ऑक्साइड की इस परत को आसानी से किसी भी रंग से रंगा जा सकता है जिससे अलमुनियम से बने सामान को सुंदर बनाया जा सकता है।