ऊर्जा के स्रोत
आप क्या सीखेंगे:
- ऊर्जा के अच्छे स्रोत का मतलब
- ऊर्जा के परंपरागत स्रोत और उन्हें इस्तेमाल की तकनीक में सुधार
- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत
- ऊर्जा के स्रोत के इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान
ऊर्जा का अच्छा स्रोत
ऊर्जा के एक अच्छे स्रोत में ये गुण होने चाहिए:
- यह प्रति यूनिट वॉल्युम या मास के हिसाब से अधिक कार्य करे
- यह आसानी से उपलब्ध हो
- इसे कहीं लाना ले जाना आसान हो
- यह सस्ता हो
एलपीजी आज भारत के रसोई का पसंदीदा ईंधन है; खासकर से शहरी क्षेत्रों में। एलपीजी प्रति यूनिट वॉल्युम के हिसाब से बहुत अधिक हीट पैदा करता है। यह आसानी से मिलता है और इसे कहीं लाना ले जाना आसान है। यह इस्तेमाल करने में आसान और सस्ता भी है। इसलिये यह एक लोकप्रिय ईंधन बन चुका है।
ऊर्जा के परंपरागत स्रोत
ऊर्जा के जिन स्रोतों का इस्तेमाल एक लंबे अरसे से हो रहा है उन्हें ऊर्जा के परंपरागत स्रोत कहते हैं। उदाहरण: जलावन की लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, पवन ऊर्जा, पनबिजली, आदि।
फॉसिल फ्यूल या जीवाश्म ईंधन
कोयला और पेट्रोलियम का निर्माण फॉसिल से हुआ है इसलिये इन्हें फॉसिल फ्यूल कहते हैं। करोड़ों वर्ष पहले जो बायोमास दलदल में दब गया था उससे कोयला बना। करोड़ों साल पहले जो बायोमास समुद्र की तली में दब गया था उससे पेट्रोलियम बना। सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला ईंधन कोयला है; जिसके बाद पेट्रोलियम का नम्बर आता है। न्युक्लियर एनर्जी तीसरे नम्बर पर और पवन ऊर्जा चौथे नम्बर पर आती है।
आजकल कोयला मुख्य रूप से उद्योग में इस्तेमाल होता है; जैसे थर्मल पावर प्लांट, स्टील इंडस्ट्री, आदि। पेट्रोलियम का इस्तेमाल वाहनों, पावर प्लांट, फैक्टरी और घरों में होता है। हाइड्रो एनर्जी, विंड एनर्जी और न्युक्लियर एनर्जी का इस्तेमाल पावर प्लांट में बिजली पैदा करने के लिये होता है।
फॉसिल फ्यूल के लाभ:
- ये आसानी से उपलब्ध हैं।
- इनको इस्तेमाल करना आसान है।
- ये सस्ते होते हैं।
फॉसिल फ्यूल से हानि: फॉसिल फ्यूल को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड गैसें बनती हैं। कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग होती है। कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली गैस है; भले ही इसका कॉन्संट्रेशन कम क्यों न हो। फॉसिल फ्यूल को जलाने से नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड बनते हैं। ये ऑक्साइड वर्षा के जल के साथ मिलकर एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) बनाते हैं। एसिड रेन न केवल जीवों को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि यह भवनों और इमारतों के लिये भी हानिकारक होता है।
नॉन रिन्युएबल एनर्जी सोर्स: ऊर्जा के जिन स्रोतों का निकट भविष्य में नवीनीकरण नहीं किया जा सकता उन्हें नॉन रिन्युएबल एनर्जी सोर्स कहते हैं। फॉसिल फ्यूल इसी श्रेणी में आता है।
रिन्युएबल एनर्जी सोर्स: ऊर्जा के जिन स्रोतों का नवीनीकरण निकट भविष्य में किया जा सकता है उन्हें रिन्युएबल एनर्जी सोर्स कहते हैं। उदाहरण: हाइड्रोपावर, सोलर एनर्जी, विंड एनर्जी, आदि।
थर्मल पावर प्लांट
थर्मल पावर प्लांट में हीट एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदला जाता है। ज्यादातर थर्मल पावर प्लांट में कोयले का इस्तेमाल होता है। कुछ पावर प्लांट में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम गैस का भी इस्तेमाल होता है। ईंधन के जलने से निकली हुई हीट का इस्तेमाल पानी से स्टीम बनाने में होता है। फिर स्टीम से टरबाइन को चलाया जाता है जिससे बिजली बनती है।
हाइड्रो पावर प्लांट
पनबिजली प्लांट में बहते पानी की काइनेटिक एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदला जाता है। इसके लिये नदी के मार्ग में बड़े बड़े बांध बनाए जाते हैं। बांध के पहले बने रिजर्वायर में पानी इकट्ठा किया जाता है। फिर इस पानी को स्लुइस गेट से छोड़ा जाता है। तेजी से बहते हुए पानी से टरबाइन चलता है जिससे बिजली बनती है।
हाइडेल एनर्जी के लाभ: पानी एक रिन्युएबल संसाधन है। बांध में इकट्ठा हुए पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिये भी किया जाता है। इससे दूर दराज के खेतों तक पानी पहुँचाना संभव हो पाता है। इस तरह से मल्टीपरपस प्रोजेक्ट से दो लक्ष्य प्राप्त होते हैं; पावर जेनरेशन और सिंचाई।
हाइडेल एनर्जी के नुकसान: बड़े बांध बनाने के लिये एक बड़ी आबादी को बेघर करना पड़ता है। बांध के कैचमेंट एरिया में कई गाँव आ जाते हैं। लोगों के विस्थापन से कई सामाजिक और आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है। कैचमेंट एरिया में जंगल का एक बड़ा हिस्सा भी डूब जाता है। इससे फ्लोरा और फॉना को भारी क्षति पहुँचती है। डूबे हुए प्लांट के डिकम्पोजीशन से मीथेन गैस निकलती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।