तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण
शुरुआती प्रयास
डॉबेराइनर ट्रायड
वोल्फगैंग डॉबेराइनर एक जर्मन वैज्ञानिक था। उसने 1817 में समान गुणों वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित किया। उसने तीन-तीन तत्वों के ग्रुप बनाये। ऐसे ग्रुप को डॉबेराइनर ट्रायड कहते हैं।
डॉबेराइनर ने बताया कि जब किसी ट्रायड के तीन तत्वों को उनके एटमिक मास के बढ़ते क्रम में लगाया जाता है तो बीच वाले तत्व का एटमिक मास बाकी दो तत्वों के एटमिक मास के औसत के बराबर होता है।
इसे समझने के लिये लीथियम (Li), सोडियम (Na) पोटाशियम (K) के ट्रायड को लेते हैं। लीथियम का एटमिक मास 6.9, सोडियम का 23.0 और पोटाशियम का 39.0 है। लीथियम और पोटाशियम के एटमिक मास का औसत 22.95 आता है; जो सोडियम के एटमिक मास के लगभग बराबर है। नीचे दिये गये टेबल में डॉबेराइनर के ट्रायड को दिखाया गया है।
ग्रुप A | एटमिक मास | ग्रुप B | एटमिक मास | ग्रुप C | एटमिक मास |
---|---|---|---|---|---|
N | 14.0 | Ca | 40.1 | Cl | 35.5 |
P | 31.0 | Sr | 87.6 | Br | 79.9 |
As | 74.9 | Ba | 137.3 | I | 126.9 |
डॉबेराइनर केवल तीन ट्रायड की ही खोज कर पाया। इसलिये क्लासिफिकेशन के इस सिस्टम को कोई मान्यता नहीं मिल पाई।
न्यूलैंड्स का ऑक्टेट का नियम
जॉन न्यूलैंड्स एक इंगलिश वैज्ञानिक था। उसने 1886 में तत्वों को एटमिक मास के बढ़ते क्रम में लगाया। उस समय तक कुल 56 तत्वों के बारे में ही जानकारी थी।
न्यूलैंड्स ने बताया कि यदि हम किसी एक तत्व से गिनती करना शुरु करें तो हर आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के समान होते हैं। उसने अपने अष्टक की तुलना संगीत के अष्टक से की। उदाहरण के लिये; सोडियम और लीथियम के गुण बहुत हद तक एक जैसे हैं। इसी तरह से बेरिलियम और मैग्नीशियम एक जैसे गुण दिखाते हैं।
सा | रे | गा | मा | पा | धा | नी |
---|---|---|---|---|---|---|
H | Li | Be | B | C | N | O |
F | Na | Mg | Al | Si | P | S |
Co and Ni | Cu | Zn | Y | In | As | Se |
Br | Rb | Sr | Ce and La | Zr | - | - |
न्यूलैंड्स के नियम की खामियाँ:
- यह नियम केवल कैल्सियम तक लागू होता था। कैल्सियम के बाद, हर आठवां तत्व पहले तत्व जैसे गुण नहीं दिखाता था।
- न्यूलैंड्स के समय तक केवल 56 तत्वों की जानकारी थी। उसने मान लिया था कि भविष्य में और किसी भी तत्व की खोज नहीं होगी। लेकिन बाद में जब नये तत्वों की खोज हुई तो वे इस नियम पर फिट नहीं बैठते थे।
- अपने टेबल में कुछ तत्वों को फिट करने के लिये न्यूलैंड्स ने एक ही खाने में दो-दो तत्वों को भी रखा; जैसे कोबाल्ट और निकेल। उसने कुछ विभिन्न गुणों वाले तत्वों को भी एक ही सुर के अंदर रख दिया। जैसे; कोबाल्ट और निकेल को उसी सुर के अंदर रखा गया जहाँ क्लोरीन और फ्लोरीन को रखा गया। हम जानते हैं कि कोबाल्ट और निकेल धातु हैं, जबकि क्लोरीन और फ्लोरीन अधातु हैं।