आनुवंशिकता और जैव विकास
NCERT अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1 मेंडल के एक प्रयोग में वायलेट फूलों वाले लम्बे प्लांट को व्हाइट फूलों वाले नाटे प्लांट से क्रॉस कराया गया। अगली पीढ़ी के हर प्लांट में वायलेट फूल निकले लेकिन लगभग आधे प्लांट नाटे थे। दूसरी पीढ़ी के लम्बे प्लांट का जीनोटाइप क्या रहा होगा?
- TTWW
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उत्तर: (c) TtWw
व्याख्या: अगली पीढ़ी में सभी प्लांट में वायलेट फूल निकले। इसलिये यह आसानी से पता चलता है कि वायलेट कलर एक डॉमिनैंट लक्षण है। लेकिन आधे प्लांट नाटे हुए इसलिये छोटी लम्बाई को डॉमिनैंट लक्षण नहीं मान सकते। अब मान लेते हैं कि लम्बी ऊँचाई और वायलेट रंग डॉमिनैंट लक्षण हैं। दूसरी ओर, छोटी ऊँचाई और व्हाइट रंग रिसेसिव लक्षण हैं। नीचे दिये गये पुनेट स्क्वेअर से पता चलता है कि F1 जेनरेशन के आधे प्लांट लम्बे हैं और सभी प्लांट में वायलेट फूल निकलते हैं।
प्रश्न 2 होमोलोगस ऑर्गन का उदाहरण कौन है?
- हमारे हाथ और एक कुत्ते के अगले पैर
- हमारे दाँत और हाथी के दाँत
- आलू और घास का तना
- इनमे से सभी
उत्तर: (d) इनमे से सभी
व्याख्या: इम सभी जोड़ों में बेसिक डिजाइन समान है लेकिन कार्य अलग-अलग हैं।
प्रश्न 3 हमारे लक्षण इनमें से किस से सबसे अधिक मिलते हैं?
- किसी दूसरे देश का छात्र
- चिंपांजी
- मकड़ी
- बैक्टीरिया
उत्तर: (a) किसी दूसरे देश का छात्र
प्रश्न 4 एक शोध से पता चला कि हल्के रंग वाली आँखों वाले बच्चों के पैरेंट्स में भी हल्के रंग वाली आँखें होने की प्रबल संभावना है। इस आधार पर क्या यह बताया जा सकता है कि आँखों का हल्का रंग डॉमिनैंट लक्षण है या नहीं?
उत्तर: कोई भी लक्षण डॉमिनैंट है या नहीं, यह पता करने के लिये कम से क्म तीन पीढ़ियों के आँकड़े की जरूरत होती है। यहाँ पर दो पीढ़ियों के आँकड़े ही दिये गये हैं। इसलिये यह बताना संभव नहीं है कि कौन सा लक्षण डॉमिनैंट है और कौन रिसेसिव।
प्रश्न 5 इवोल्यूशन और क्लासिफिकेशन में क्या संबंध है?
उत्तर: रॉबर्ट व्हिटेकर का फाइव किंगडम क्लासिफिकेशन सबसे अधिक मान्य सिस्टम है। यह इवोल्यूशनरी रिलेशनशिप पर आधारित है इसलिये इसे फाइलोजेनेटिक क्लासिफिकेशन भी कहते हैं। जब हम नीचे के टैक्सॉन की बात करते हैं तो हम सबसे नजदीकी पूर्वजों की बात करते हैं। जब हम ऊपर के टैक्सॉन की बात करते हैं तो हम बहुत दूर क पूर्वजों की बात करते हैं।
प्रश्न 6 एनालोगस और होमोलोगस ऑर्गन से क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताएँ।
उत्तर:
होमोलोगस ऑर्गन: जब दो जीवों के ऑर्गन के डिजाइन एक जैसे होते हैं लेकिन कार्य अलग-अलग होते हैं, तो ऐसे ऑर्गन को होमोलोगस ऑर्गन कहते हैं।
छिपकली और पक्षी के फोर लिंब होमोलोगस ऑर्गन के उदाहरण हैं। विभिन्न अस्थियों के मामले में उनका डिजाइन एक जैसा है। लेकिन छिपकली का फोर लिंब रेगने के लिये बना है जबकि किसी पक्षी का फोर लिंब उड़ने के लिये बना है। इससे पता चलता है कि छिपकली और पक्षी का इवोल्यूशन किसी एक ही पूर्वज से हुआ है।
एनालोगस ऑर्गन: जब दो जीवों के ऑर्गन एक ही कार्य के लिये बने होते हैं लेकिन उनके डिजाइन में अंतर होता है तो ऐसे ऑर्गन को एनालोगस ऑर्गन कहते हैं।
चिड़िया और चमगादड़ के पंख एनालोगस ऑर्गन के उदाहरण हैं। दोनों जीवों में पंख का काम है उड़ना। चिड़िया के पंख फोर लिंब के सभी अस्थियों से मिलकर बनते हैं। लेकिन चमगादड़ के पंख केवल अंगुलियों की अस्थियों से बने होते हैं। इससे पता चलता है कि पक्षी और चमगादड़ नजदीक के रिश्तेदार नहीं हैं।
प्रश्न 7 कुत्तों में फर के डॉमिनैंट कलर का पता करने के लिये एक प्रोजेक्ट की रूपरेखा बताएँ।
उत्तर: इसके लिये, एक सफेद फर वाला कुत्ता और एक काले फर वाली कुतिया का चयन करें। उन्हें ब्रीडिंग करने दें और F1 जेनरेशन में काले और सफेद रंग के कुत्तों की संख्या का निरीक्षण करें। फिर ऐसा ही F2 जेनरेशन के लिये करें। इन आँकड़ों से फर के डॉमिनैंट और रिसेसिव कलर का पता चल जायेगा।
प्रश्न 8 इवोल्यूशनरी रिलेशनशिप पता करने में फॉसिल की क्या भूमिका होती है।
उत्तर: फॉसिल से इवोल्यूशनरी रिलेशनशिप के बारे में अहम जानकारी मिलती है। कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं:
- आर्कियोप्टेरिक्स के फॉसिल से पता चलता है कि पक्षियों का विकास रेप्टाइल से हुआ है।
- नियंडरथल के फॉसिल से आधुनिक मानव के इवोल्यूशन को समझने में मदद मिलती है।
प्रश्न 9 अजीव पदार्थों से जीवन के विकास के बारे में हमारे पास क्या प्रमाण हैं?
उत्तर: स्टैनली एल मिलर और हैरॉल्ड सी उरे ने 1953 में एक प्रयोग किया। उन्होंने एक सेटअप बनाया जिसमें उस वातावरण का नकल बनाया गया जो धरती पर करोड़ों साल पहले हुआ करता था। उस प्रयोग के अंत में इनॉर्गेनिक पदार्थों से सरल सरल ऑर्गेनिक कंपाउंड बने। इस प्रयोग ने हल्दाने के हाइपोथेसिस सिद्ध किया जिसके अनुसार जीवन निर्जीव पदार्थों से जीवन का विकास हुआ था।
प्रश्न 10 एसेक्सुअल रिप्रोडक्शन की तुलना में सेक्सुअल रिप्रोडक्शन से कैसे वैरियेशन की संभावना बढ़ जाती है। इससे सेक्सुअल रिप्रोडक्शन करने वाले जीवों के इवोल्यूशन पर क्या असर पड़ता है?
उत्तर: सेक्सुअल रिप्रोडक्शन में जीन पूल दो पैरेंट्स से आता है। इससे वैरियेशन की संख्या बढ़ जाती है। वैरियेशन की संख्या अधिक होने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि उनमें से कुछ अगली कई पीढ़ियों तक ट्रांसफर होते रहेंगे। इससे इन जीवों में बदलती परिस्थितियों में एडाप्टेशन भी बेहतर होगा। इससे इवोल्यूशन की संभावना अधिक प्रबल हो जाती है।
प्रश्न 11 किसी संतान में मेल और फीमेल पैरेंट का जेनेटिक कॉन्ट्रिब्यूशन किस तरह से बराबर बराबर रहता है?
उत्तर: गैमेट फॉर्मेशन के समय हर गैमेट में क्रोमोसोम की संख्या आधी हो जाती है। फर्टिलाइजेशन के समय दोनों पैरेंट से बराबर संख्या में क्रोमोसोम आते हैं और फिर जाइगोट में क्रोमोसोम की संख्या सोमैटिक सेल के बराबर हो जाती है। इस तरह से संतान के जीनोटाइप में मेल और फीमेल पैरेंट का बराबर कॉन्ट्रिब्यूशन रहता है।
प्रश्न 12 जो वैरियेशन कोई सरवाइवल एडवांटेज देता है वही किसी पॉपुलेशन में रह पाता है। क्या यह सही है? अपने उत्तर का कारण दें।
उत्तर: कथन पूरी तरह से सही नहीं है। ज्यादातर केस में नेचर केवल उपयोगी लक्षणों को चुनता है। इसलिये उपयोगी लक्षणों वाले जीव ही अक्सर सरवाइव कर पाते हैं। लेकिन ऐसे कई केस भी देखने को मिलते हैं जिनमें कुछ बेकार के लक्षण भी जीवों में दिखाई देते हैं और वे जीव सरवाइव भी कर रहे हैं। अब मोर के रंग बिरंगे पंखों को ले लीजिए। अपने पंखों के कारण कोई भी मोर आसानी से अपने शिकारी को दिख जाता है और मारा जाता है। भारी पंखों के कारण यह उड़कर अपनी जान भी नहीं बचा पाता है। मेटिंग में कुछ फायदा मिलने के अलावा, मोर के पंख उसके जान के लिये खतरे का ही काम करते हैं।