10 विज्ञान

नियंत्रण और समंवय

प्लांट में को-ऑर्डिनेशन

प्लांट में कोई नर्वस सिस्टम नहीं होता है। लेकिन प्लांट को भी कंट्रोल और को-ऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है। प्लांट दो तरह के मूवमेंट दिखाते हैं; नैस्टिक मूवमेंट और ट्रॉपिक मूवमेंट।

ट्रॉपिक मूवमेंट: जब प्लांट के किसी अंग में किसी स्टिमुलस की प्रतिक्रिया में होने वाला मूवमेंट किसी निश्चित दिशा में हो तो इसे ट्रॉपिक मूवमेंट कहते हैं। इस तरह का मूवमेंट सूर्य की रोशनी, ग्रैविटी, पानी, आदि के रिस्पॉन्स में हो सकता है। ट्रॉपिक मूवमेंट के नाम स्टिमुलस के आधार पर रखे जाते हैं; जैसे जिओट्रॉपिक मूवमेंट, फोटोट्रॉपिक मूवमेंट, हाइड्रोट्रॉपिक मूवमेंट, आदि। जड़ें अक्सर पॉजिटिव जिओट्रॉपिक मूवमेंट दिखाती हैं, यानि जड़ें अक्सर गुरुत्वाकर्षण की दिशा में बढ़ती हैं। तना अक्सर पॉजिटिव फोटोट्रॉपिक मूवमेंट दिखाता है, यानि तना अक्सर सूर्य के प्रकाश की दिशा में बढ़ता है।

टेंड्रिल किसी सहारे के चारों ओर लिपट जाता है। यह थाइमोट्रॉपिक मूवमेंट का उदाहरण है। इस केस में सहारे से दूर रहने वाली कोशिकाओं में तेजी से सेल डिविजन होता है, जबकि सहारे के पास रहने वाली कोशिकाओं में सेल डिविजन धीमा होता है। इसका नतीजा होता है कि टेंड्रिल अपने सहारे के चारों ओर लिपट जाता है। इस मूवमेंट का नियंत्रण ऑक्जिन नामक हॉर्मोन द्वारा होता है। सहारे से दूर वाली कोशिकाओं में ऑक्जिन का कॉन्संट्रेशन अधिक होता है; जिसके कारण उन कोशिकाओं में तेजी से सेल डिविजन होता है।

नैस्टिक मूवमेंट: जब प्लांट के किसी अंग में किसी स्टिमुलस के रिस्पॉन्स में होने वाआ मूवमेंट किसी खास दिशा में ना हो तो इसे नैस्टिक मूवमेंट कहते हैं।

प्लांट में होने वाले मूवमेंट या तो वृद्धि के कारण होते हैं या टर्गर प्रेशर में होने वाले बदलाव के कारण। किसी सेल के भीतर के प्रेशर को टर्गर प्रेशर कहते हैं। जब आप माइमोसा (छुई-मुई)‌ की पत्तियों को छूते हैं तो पत्तियों की कोशिकाओं के टर्गर प्रेशर में बदलाव आता है। इसलिये छूते ही छुई-मुई की पत्तियाँ झुक जाती हैं। यह नैस्टिक मूवमेंट का उदाहरण है। सूर्यमुखी के फूल और कुछ अन्य फूल दिन में हमेशा सूर्य की ओर घूमे हुए होते हैं।

ज्यादातर स्थिति में प्लांट को बहुत तेज मूवमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिये प्लांट के लिये केमिकल कंट्रोल ही काफी है। प्लांट हॉर्मोन खास तरह के केमिकल होते हैं जिनके कारण प्लान्ट में विभिन्न प्रकार के मूवमेंट होते हैं।

जंतुओं के हॉर्मोन

नर्वस सिस्टम से होने वाला कंट्रोल और को-ऑर्डिनेशन तेज होता है। लेकिन जंतुओं को धीमे कंट्रोल और को-ऑर्डिनेशन की भी जरूरत पड़ती है। इस तरह का कंट्रोल हॉर्मोन द्वारा मिलता है। यह भी याद रखना होगा कि नर्वस कंट्रोल की अपनी कुछ सीमाएँ होती हैं। न्यूरॉन हर टिशू में हो यह जरूरी नहीं। जिस टिशू में न्यूरॉन नहीं होता है उसका कंट्रोल हॉर्मोन द्वारा होता है।

एंडोक्राइन सिस्टम: यह सिस्टम कई एंडोक्राइन ग्लैंड्स से मिलकर बना है। जिस ग्लैंड में कोई नली नहीं होती है उसे एंडोक्राइन ग्लैंड कहते हैं। ऐसे ग्लैंड का सेक्रेशन सीधे ब्लड में पहुँचता है। इस तरह से हॉर्मोन ब्लड से होकर किसी टार्गेट टिशू तक पहुँचता है। नीचे दिये गये टेबल में विभिन्न एंडोक्राइन ग्लैंड, इनके हॉर्मोन, और उनके काम को दिखाया गया है।

एंडोक्राइन ग्लैंडहॉर्मोनकार्य
पाइनीयल ग्लैंडमेलाटोनिननींद का पैटर्न और शरीर का दैनिक रिदम
पिट्युटरी ग्लैंडग्रोथ हॉर्मोनशरीर का ग्रोथ
थायरॉयड ग्लैंडथायरॉक्सिनजेनरल मेटाबॉलिज्म
थाइमसT कोशिकाएँइम्यूनिटी
पैनक्रियाजइंसुलिनग्लूकोज मेटाबॉलिज्म
ऐड्रीनल ग्लैंडऐड्रिनलिनशरीर को लड़ने या भागने के लिये तैयार करना
टेस्टिस (पुरुष में)टेस्टोस्टेरोनसेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर
ओवरी (महिला में)एस्ट्रोजनसेकंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर

सारांश