रासायनिक अभिक्रिया और समीकरण
विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)
जब किसी कम प्रतिक्रियाशील धातु का साल्ट किसी अधिक प्रतिक्रियाशील धातु से अभिक्रिया करता है तो अधिक प्रतिक्रियाशील धातु उस लवण में से कम प्रतिक्रियाशील धातु को विस्थापित कर देता है। इस अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। विस्थापन अभिक्रिया के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
जब कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील रखी जाती है तो कॉपर सल्फेट का नीला रंग बदल कर हल्का हरा हो जाता है। ऐसा फेरस सल्फेट के निर्माण के कारण होता है। लोहे की कील पर भूरी परत के रूप में कॉपर प्राप्त होता है।
CuSO4 (aq) + Fe (s) ⇨ FeSO4 (aq) + Cu (s)
इसी तरह से जिंक और लेड भी कॉपर सल्फेट के विलयन में से कॉपर को विस्थापित कर देते हैं क्योंकि वे कॉपर से अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं।
CuSO4 (aq) + Zn (s) ⇨ ZnSO4 (aq) + Cu (s)
CuSO4 (aq) + Pb (s) ⇨ PbSO4 (aq) + Cu (s)
द्वि-विस्थापन अभिक्रिया (Double Displacement Reaction)
जब दो धातु के अलगल अलग साल्ट आपस में प्रतिक्रिया करते हैं और एक धातु दूसरी धातु को विस्थापित करके नये साल्ट का निर्माण करता है तो इस प्रतिक्रिया को द्वि-विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। यह अभिक्रिया अभिकारकों के बीच आयनों की अदला बदली के कारण होता है।
उदाहरण: जब सोडियम सल्फेट के विलयन को बेरियम क्लोराइड के विलयन के साथ मिलाया जाता है तो बेरियम सल्फेट का सफेद अवक्षेप बनता है। इस प्रतिक्रिया में सोडियम क्लोराइड जल के विलयन के रूप में बनता है।
Na2SO4 (aq) + BaCl2 (aq) ⇨ BaSO4 (s) + 2NaCl (aq)
जब लेड नाइट्रेट के विलयन को पोटाशियम आयोडाइड के विलयन के साथ मिलाया जाता है तो लेड आयोडाइड का पीला अवक्षेप बनता है।
Pb(NO3)2 (aq) + 2KI (aq) ⇨ PbI2 (s) + 2KNO3 (s)