लाइट की स्कैटरिंग
जब लाइट की एक किरण किसी छोटे पार्टिकल से टकराती है तो यह अपने रास्ते से मुड़ जाती है। इस घटना को लाइट की स्कैटरिंग कहते हैं। किसी खास रंग के लाइट की स्कैटरिंग पार्टिकल के साइज पर निर्भर करता है। अगर पार्टिकल का साइज छोटा होता है तो मुख्य रूप से ब्लू रंग स्कैटर होता है। अगर पार्टिकल का साइज बड़ा होता है तो मुख्य रूप से लाल रंग स्कैटर होता है। यदि पार्टिकल का साइज बहुत बड़ा होता है तो स्कैटर होने वाला प्रकाश सफेद दिखता है।
टिंडाल इफेक्ट
जब लाइट किसी कोलॉयड से पास करता है तो लाइट की स्कैटरिंग के कारण लाइट की एक बीम दिखती है। इस घटना को टिंडाल इफेक्ट कहते हैं। रोशनदान या पेड़ों की पत्तियों से आने वाली रोशनी की बीम टिंडाल इफेक्ट का उदाहरण है।
आसमान नीला क्यों होता है?
हवा में मौजूद हवा के अणु और अन्य छोटे पार्टिकल का साइज विजिबल लाइट की वेवलेंथ से कम होता है। इसलिये स्पेक्ट्रम के ब्लू छोर वाले रंगों की स्कैटरिंग अधिक होती है। इसलिये आसमान नीला दिखाई देता है।
अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट को, और अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ने वाले पायलट को आकाश का रंग काला दिखाई देता है। ऐसा इसलिये होता है कि उतनी ऊँचाई पर हवा में नगण्य मात्रा में पार्टिकल होते हैं। पार्टिकल नहीं होने के कारण लाइट की स्कैटरिंग नहीं होती है और आसमान का रंग काला दिखाई देता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज का रंग लाल क्यों होता है?
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की रोशनी को हमारी आँखों तक पहुँचने के लिये अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। चूँकि लाल रोशनी की स्कैटरिंग सबसे कम होती है इसलिये यह अधिक दूर तक जा पाती है। लम्बी दूरी तय करने में नीली रोशनी का अधिकाँश हिस्सा स्कैटर होकर इधर उधर हो जाता है। इसलिये सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज का रंग लाल होता है। दोपहर के समय ब्लू और वायलेट लाइट की थोड़ी बहुत स्कैटरिंग होती है, इसलिये दोपहर में सूरज सफेद दिखता है।
सारांश
- मनुष्य की आँख एक स्फेरिकल बॉल की तरह होती है जिसमें कॉर्निया, आइरिस, प्युपिल, लेंस और रेटिना होता है।
- मनुष्य की आँखें नजदीक और दूर की चीजों को साफ साफ देख सकती हैं। आँखों की इस क्षमता को पावर ऑफ एकोमोडेशन कहते हैं।
- एक आँख का फील्ड ऑफ विजन 1500 है, जबकि दोनों आँखों का सम्मिलित फील्ड ऑफ विजन 1800 है।
- मायोपिया से पीड़ित व्यक्ति नजदीक की चीज को साफ साफ देख सकता है लेकिन दूर की चीज को नहीं।
- हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित व्यक्ति दूर की चीज को साफ साफ देख सकता है लेकिन नजदीक की चीज को नहीं।
- एक खास उम्र के बाद अधिकतर लोगों को दूर और नजदीक दोनों की चीजों को देखने में परेशानी होती है। इस कंडीशन को प्रेसबायोपिया कहते हैं।
- ट्रायएंगुलर प्रिज्म से लाइट का रिफ्रैक्शन होने पर इमर्जेंट रे और इंसिडेंट रे के बीच एक एंगल होता है।
- सफेद लाइट के उसके कॉम्पोनेंट में टूटने को लाइट का डिस्पर्सन कहते हैं।
- इंद्रधनुष लाइट के रिफ्रैक्शन, डिस्पर्सन और टोटल इंटर्नल रिफ्लेक्शन के कारण बनता है।
- एटमोस्फेयरिक रिफ्रैक्शन के कारण तारे टिमटिमाते हैं, सूर्य सूर्योदय से थोड़ा पहले और सूर्यास्त के थोड़ा बाद तक नजर आता है।
- जब लाइट की एक किरण किसी छोटे पार्टिकल से टकराती है तो यह अपने रास्ते से मुड़ जाती है। इस घटना को लाइट की स्कैटरिंग कहते हैं।
- जब लाइट किसी कोलॉयड से गुजरता है तो स्कैटरिंग के कारण लाइट की एक बीम नजर आती है। इस घटना को टिंडाल इफेक्ट कहते हैं।