विजन डिफेक्ट और उनका करेक्शन
आँख से होकर रिफ्रैक्शन में होने वाली गड़बड़ी के कारण धुंधला दिखाई देने लगता है। विजन डिफेक्ट तीन प्रकार के होते हैं; मायोपिया, हाइपरमेट्रोपिया और प्रेसबायोपिया।
मायोपिया:
मायोपिया से पीड़ित व्यक्ति को नजदीक की चीजें आसानी से दिखाई देती हैं लेकिन दूर की चीजें मुश्किल से दिखाई देती हैं। इसलिये मायोपिया को निकट दृष्टि दोष भी कहते हैं। मायोपिक आँख का फार प्वाइंट इनफिनिटी से कम दूरी पर होता है। इसलिये इनफिनिटी से आने वाली लाइट रे रेटिना के पहले ही फोकस हो जाती हैं। इसलिये रेटिना पर धुंधला इमेज बनता है।
मायोपिया का कारण: आँख के लेंस का कर्वेचर बढ़ जाने के कारण या आइबॉल के लंबे हो जाने के कारण मायोपिया होता है।
मायोपिया का करेक्शन: उचित फोकल लेंथ वाले कॉन्केव लेंस के इस्तेमाल से मायोपिया का करेक्शन होता है। आपने पढ़ा है कि कॉन्केव लेंस एक डाइवर्जिंग लेंस होता है। इसलिये इनफिनिटी से आने वाली लाइट रे लेंस से डाइवर्ज होती हैं और लगता है कि वे मायोपिक आई के फार प्वाइंट से आ रही हैं। इससे लाइट रे रेटिना पर फोकस होती हैं जिससे साफ इमेज बनता है।
हाइपरमेट्रोपिया:
हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित व्यक्ति दूर की चीजों को साफ साफ देख पाता है लेकिन नजदीक की चीजों को साफ नहीं देख पाता है। इसलिये हाइपरमेट्रोपिया को दूर दृष्टि दोष भी कहते हैं। हाइपरमेट्रोपिक आई का नियर प्वाइंट 25 सेमी से अधिक दूरी पर रहता है। इसलिये नजदीक रखे ऑब्जेक्ट से आने वाली लाइट रे रेटिना के पीछे फोकस हो जाती हैं। इसके कारण रेटिना पर धुंधला इमेज बनता है।
हाइपरमेट्रोपिया का कारण: आई लेंस का कर्वेचर के छोटा होने या आईबॉल के छोटा होने से हाइपरमेट्रोपिया होता है। इससे आई लेंस का फोकल लेंथ बढ़ जाता है।
हाइपरमेट्रोपिया का करेक्शन: एक उचित फोकल लेंथ वाले कॉन्वेक्स लेंस के इस्तेमाल से हाइपरमेट्रोपिया का करेक्शन होता है। आपने पढ़ा है कि कॉन्वेक्स लेंस एक कंवर्जिंग लेंस होता है। इसलिये नजदीक के ऑब्जेक्ट से आने वाली लाइट रे लेंस से रिफ्रैक्ट होने के बाद हाइपरमेट्रोपिक आई के नियर प्वाइंट से आती हुई लगती हैं। इससे लाइट रे रेटिना पर फोकस होती हैं और साफ इमेज बनता है।
प्रेसबायोपिया:
उम्र बढ़ने के साथ आँखों का पावर ऑफ एकोमोडेशन घट जाता है। सिलियरी मसल के कमजोर होने और आई लेंस की फ्लेक्सिबिलिटी घटने के कारण ऐसा होता है। आँख का नियर प्वाइंट उम्र के साथ बढ़ जाता है। एक खास उम्र के बाद ज्यादातर लोगों को नजदीक की चीजें देखने में दिक्कत होती है। इस कंडीशन को प्रेसबायोपिया कहते हैं। एक उचित फोकल लेंथ वाले कॉन्वेक्स लेंस के इस्तेमाल से प्रेसबायोपिया का करेक्शन होता है।
कुछ लोग एक ही साथ मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित होते हैं। ऐसे लोगों के लिये डॉक्टर बाइफोकल लेंस की सलाह देते हैं। एक बाइफोकल लेंस दो लेंस से बना होता है। ऐसे चश्मे का निचला भाग नजदीक के विजन के लिये होता है, जबकि ऊपरी भाग दूर के विजन के लिये होता है। चश्मे के निचले भाग में कॉन्वेक्स लेंस लगा होता है, जबकि ऊपरी भाग में कॉन्केव लेंस लगा होता है।
कैटेरैक्ट या मोतियाबिंद: एक खास उम्र के बाद ज्यादातर लोगों की आँखों का लेंस धुंधला हो जाता है। इस कंडीशन को कैटेरैक्ट कहते हैं। कैटेरैक्ट को सर्जरी द्वारा ठीक किया जाता है। इस सर्जरी में लेंस और कॉर्निया को साफ किया जाता है। आजकल कैटेरैक्ट सर्जरी में आर्टिफिशियल लेंस लगाये जाते हैं।