प्रकाश: परावर्तन और अपवर्तन
लेंस फॉर्मूला और मैग्निफिकेशन
लेंस फॉर्मूला से ऑब्जेक्ट डिस्टांस, इमेज डिस्टांस और फोकल लेंथ के बीच के संबंध का पता चलता है। यदि ऑब्जेक्ट डिस्टांस u है, इमेज डिस्टांस v है और फोकल लेंथ f है तो लेंस फॉर्मूला इस प्रकार है:
`1/v-1/u=1/f`
मैग्निफिकेशन: लेंस द्वारा मैग्निफिकेशन उसी तरह पता किया जाता है जैसा हम मिरर के लिये करते हैं।
m = इमेज की ऊँचाई ÷ ऑब्जेक्ट की ऊँचाई = `(h’)/h`
m = - इमेज डिस्टांस ÷ ऑब्जेक्ट डिस्टांस = `-v/u`
या `m=(h’)h=-v/u`
लेंस का पावर
फोकल लेंथ के रेसिप्रोकल को लेंस का पावर कहते हैं। यदि फोकल लेंथ f है तो पावर P को नीचे दिये गये इक्वेशन से दिया जाता है।
P = 1/f
पावर का SI यूनिट डायऑप्टर (D) होता है। फोकल लेंथ का SI यूनिट मीटर होता है इसलिये 1 D = 1 m – 1
किसी लेंस के पावर से उस लेंस द्वारा लाइट की किरणों को कंवर्ज या डाइवर्ज करने की क्षमता का पता चलता है। यदि लेंस का फोकल लेंथ कम होता है तो लाइट की किरणों का कंवर्जन या डाइवर्जन बड़े एंगल से होता है। इसलिये लेंस का पावर उसके फोकल लेंथ के उलटे अनुपात में होता है। कॉन्वेक्स लेंस के पावर का मान पॉजिटिव और कॉन्केव लेंस के पावर का मान नेगेटिव माना जाता है।
सारांश
- जब लाइट की रे किसी चमकदार सतह पर पड़ती है तो यह वापस मुड़ जाती है। इसे लाइट का रिफ्लेक्शन कहते हैं।
- प्लेन मिरर में इमेज वर्चुअल, सीधा और लैटेरली इनवर्टेड होता है। इमेज डिस्टांस और ऑब्जेक्ट डिस्टांस बराबर होते हैं।
- कॉन्केव मिरर से बनने वाले अधिकतर इमेज रियल और इनवर्टेड होते हैं।
- कॉन्वेक्स मिरर से बनने वाले इमेज हमेशा वर्चुअल और सीधे होते हैं।
- कॉन्वेक्स लेंस से बनने वाले अधिकतर इमेज रियल और इनवर्टेड होते हैं।
- कॉन्केव लेंस से बनने वाले इमेज हमेशा वर्चुअल और सीधे होते हैं।
- मिरर या लेंस से विभिन्न दूरियों को मापने के लिये जो नियम बने हैं उन्हें न्यू कार्टेजियन साइन कंवेंशन कहते हैं।
- ऑब्जेक्ट डिस्टांस का मान हमेशा नेगेटिव रखा जाता है और इमेज हाइट का मान हमेशा पॉजिटिव रखा जाता है।
- मिरर फॉर्मूला या लेंस फॉर्मूला से ऑब्जेक्ट डिस्टांस, इमेज डिस्टांस और फोकल लेंथ के बीच के संबंध का पता चलता है।
- ऑब्जेक्ट की तुलना में इमेज कितना बड़ा या छोटा बनता है; उसे मैग्निफिकेशन कहते हैं।
- जब लाइट की एक किरण एक मीडियम से दूसरे मीडियम में जाती है तो उसके रास्ते में कुछ बदलाव होता है; जिसे लाइट का रिफ्रैक्शन कहते हैं।
- जब लाइट की एक किरण किसी रेअर मीडियम से किसी डेंस मीडियम में जाती है तो वह नॉर्मल की ओर मुड़ जाती है। जब लाइट की एक किरण किसी डेंस मीडियम से किसी रेअर मीडियम में जाती है तो यह नॉर्मल से दूर मुड़ जाती है।
- किसी भी दिये गये दो मीडिया के जोड़े के लिये इंसिडेंस एंगल के sine और रिफ्रैक्शन एंगल के sine का अनुपात कॉन्सटैंट होता है। इसे पहले मीडियम के रेफरेंस में दूसरे मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स कहते हैं।
- जब किसी मीडियम का रिफ्रैक्टिव इंडेक्स वैक्युम या हवा के रेफरेंस में लिया जाता है तो इसे उस मीडियम का एब्सॉल्यूट रिफ्रैक्टिव इंडेक्स कहते हैं।
- दो सतह से घिरे हुए ट्रांसपैरेंट मीडियम (जिसमें कम से कम एक सतह स्फेरिकल हो) को लेंस कहते हैं।
- जब इनफिनिटी से आने वाली लाइट की किरणें किसी कॉन्वेक्स लेंस से पास करती हैं तो वे एक प्वाइंट पर कंवर्ज होती हैं। इसलिये कॉन्वेक्स लेंस को कंवर्जिंग लेंस भी कहते हैं।
- जब इनफिनिटी से आने वाली लाइट की किरणें किसी कॉन्केव लेंस से पास करती हैं तो वे एक प्वाइंट से डाइवर्ज होती हुई लगती हैं। इसलिये कॉन्केव लेंस को डाइवर्जिंग लेंस भी कहते हैं।
- फोकल लेंथ के रेसिप्रोकल को लेंस का पावर कहते हैं।