जैव प्रक्रम
पादपों में परिवहन
प्लांट्स के लिये अधिकतर कच्चा माल मिट्टी से आता है। मिट्टी से प्लांट पानी और मिनरल लेते हैं। प्लांट इन पदार्थों का उपयोग विभिन्न पोषक बनाने में करते हैं। हम जानते हैं कि प्लांट की पत्तियों और अन्य हरे भागों में भोजन बनता है। इस भोजन को प्लांट के विभिन्न भागों तक पहुँचाने की जरूरत पड़ती है।
प्लांट में परिवहन सिस्टम की जरूरत: प्लांट अपनी जड़ों की सहायता से पानी और खनिज लेते हैं। छोटे पौधों में ये पदार्थ डिफ्यूजन द्वारा आसानी से विभिन्न भागों तक पहुँच जाते हैं। लेकिन बड़े पेड़ों में डिफ्यूजन द्वारा पेड़ के विभिन्न अंगों तक पानी या खनिज को पहुँचाना संभव नहीं होता है। इसलिए जटिल प्लांट में पदार्थों के परिवहन के लिये समुचित सिस्टम होता है।
प्लांट में परिवहन धीरे क्यों होता है?
जंतुओं में ऊर्जा की जरुरत अधिक होती है। लेकिन प्लांट को बहुत ही कम ऊर्जा की जरूरत होती है; क्योंकि प्लांट का ज्यादातर हिस्सा मृत ऊतकों से बना होता है। इसके अलावा, प्लांट को भोजन की तलाश में इधर उधर भटकने की भी जरूरत नहीं होती है। इसलिये प्लांट का काम धीमे परिवहन से चल जाता है।
पानी का ट्रांसपोर्ट
प्लांट में पानी का परिवहन जाइलम द्वारा होता है। जाइलम एक कॉम्प्लेक्स टिशू है जो प्लांट के विभिन्न भागों से होकर एक पाइपलाइन का निर्माण करता है। प्लांट में पानी का ट्रांसपोर्ट निम्नलिखित तरीके से होता है।
- रूट प्रेशर: रूट हेअर का एपिडर्मिस बहुत ही पतला होता है। इसलिये ऑस्मोटिक प्रेशर के कारण पानी रूट हेअर में प्रवेश कर जाता है। लेकिन रूट प्रेशर पानी को केवल तने के आधार तक ही पहुँचा पाता है।
- कैपिलरी एक्शन: जब एक बहुत ही पतली ट्यूब को किसी द्रव में डुबाया जाता है तो ट्यूब के अंदर वह द्रव अपने आप ऊपर चढ़ जाता है। ऐसा कैपिलरी एक्शन के कारण होता है। जाइलम में कैपिलरी एक्शन के कारण पानी कुछ ऊँचाई तक चढ़ जाता है।
- एढ़ेशन-कोहेशन: जब एक जैसे पार्टिकल एक दूसरे से चिपक जाते हैं तो इसे कोहेशन कहते हैं। जब एक पार्टिकल किसी दूसरे प्रकार के पार्टिकल से चिपकता है तो इसे एढ़ेशन कहते हैं। कोहेशन के कारण पानी के मॉलिक्यूल जाइलम वेसेल के अंदर एक सतत कॉलम का निर्माण करते हैं। एढ़ेशन के कारण पानी के अणु जाइलम की भीतरी सतह से चिपके रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप पानी जाइलम के अंदर एक कॉलम के रूप में चढ़ता है।
- ट्रांसपिरेशन पुल: स्टोमाटा और लेंटिसेल से जलवाष्प के निकलने की प्रक्रिया को ट्रांसपिरेशन कहते हैं। स्टोमाटा से जब ट्रांसपिरेशन होता है तो इससे जाइलम के अंदर एक सक्शन फोर्स बनता है। इस फोर्स को ट्रांसपिरेशन पुल कहते हैं। ट्रांसपिरेशन पुल के कारण जाइलम के अंदर मौजूद वाटर कॉलम और ऊपर की तरफ खिंचने लगता है।
इससे स्पष्ट है, कि जाइलम में पानी के चढ़ने की क्रिया कई कारणों के सम्मिलित प्रभाव के कारण होती है। इस पूरी प्रक्रिया को ‘ऐसेंट ऑफ सैप’ कहते हैं। खनिज पानी में विलेय अवस्था में चलते हैं।
भोजन का परिवहन:
भोजन का ट्रांसपोर्ट फ्लोएम द्वारा होता है। जाइलम से होकर पानी का परिवहन भौतिक फोर्स के प्रभाव में होता है। लेकिन फ्लोएम से होने वाले भोजन के ट्रांसपोर्ट में ऊर्जा खर्च होती है। भोजन को उसके निर्माण स्थल से स्टोरेज की जगह पर और फिर उसके उपयोग की जगह पर ले जाया जाता है। इस तरह से फ्लोएम में जो परिवहन होता है वह दोनों दिशाओं में होता है।