प्रकाश का परावर्तन
कॉन्वेक्स मिरर में इमेज:
इनफिनिटी पर ऑब्जेक्ट: जब ऑब्जेक्ट इनफिनिटी पर रहता है तो इमेज मिरर के पीछे F पर बनता है। यह इमेज आकार में बहुत छोटा, वर्चुअल और सीधा होता है।
इनफिनिटी और P के बीच ऑब्जेक्ट: जब ऑब्जेक्ट इनफिनिटी और P के बीच रहता है तो इमेज P और F के बीच बनता है। यह इमेज साइज में बहुत छोटा, वर्चुअल और सीधा होता है।
कॉन्वेक्स मिरर में इमेज | |||
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ऑब्जेक्ट का पोजीशन | इमेज का पोजीशन | इमेज का साइज | इमेज का नेचर |
इनफिनिटी पर | F पर, मिरर के पीछे | बहुत छोटा, प्वाइंट के साइज का | वर्चुअल और सीधा |
इनफिनिटी और P के बीच | P और F के बीच, मिरर के पीछे | छोटा | वर्चुअल और इरेक्ट |
कॉन्केव मिरर के उपयोग:
- टॉर्च, हेडलाइट, सर्चलाइट, आदि में रिफ्लेक्टर के रूप में
- डेंटिस्ट और नाई द्वारा बड़ा इमेज देखने के लिये
- सोलर कुकर और सोलर फरनेस में
कॉन्वेक्स मिरर के उपयोग:
- गाड़ियों के रियर व्यू मिरर के रूप में
- सड़कों पर हेअर पिन मोड़ पर ताकि दूसरी ओर से आने वाली गाड़ी दिख जाये
- दुकानों में एक बड़े एरिया पर नजर रखने के लिये
स्फेरिकल मिरर के लिये साइन कन्वेन्शन
मिरर से अलग अलग दूरियों को मापने के लिये जिस साइन कन्वेंशन का इस्तेमाल किया जाता है उसे कार्टेजियन साइन कन्वेंशन कहते हैं। ये नियम को-ऑर्डिनेट जियोमेट्री पर आधारित हैं और इसमें पोल P को ओरिजिन माना जाता है। मिरर के प्रिंसिपल एक्सिस को XX’ एक्सिस माना जाता है। इसके नियम इस तरह से हैं।
- ऑब्जेक्ट को मिरर की बाईं ओर रखा जाता है ताकि मिरर पर पड़ने वाली लाइट रे बाएँ से आये।
- प्रिंसिपल एक्सिस के पैरेलल रहने वाली सभी दूरियों को पोल से मापा जाता है।
- आपको पता होगा कि X एक्सिस ओरिजिन के दाएँ रहता है। इसलिये पोल की दाईं ओर की दूरियों का मान पॉजिटिव रखा जाता है।
- आपको याद होगा कि X’ एक्सिस ओरिजिन के बाएँ रहता है। इसलिये पोल की बाएँ ओर की दूरियों का मान नेगेटिव रखा जाता है।
- प्रिंसिपल एक्सिस के परपेंडिकुलर रहने वाली दूरियों को YY’ एक्सिस की सीध में मापा जाता है।
- आपको याद होगा कि Y एक्सिस ओरिजिन के ऊपर होता है। इसलिये प्रिंसिपल एक्सिस के ऊपर की दूरियों का मान पॉजिटिव रखा जाता है।
- आपको याद होगा कि Y’ एक्सिस ओरिजिन के नीचे रहता है। इसलिये प्रिंसिपल एक्सिस के नीचे की दूरियों का मान नेगेटिव रखा जाता है।
मिरर फॉर्मूला और मैग्निफिकेशन (आवर्धन)
मिरर फॉर्मूला से ऑब्जेक्ट डिस्टांस (u), इमेज डिस्टांस (v) और फोकल लेंथ (f) के बीच के संबंध का पता चलता है। इस फॉर्मूला का इस्तेमाल करते समय आपको न्यू कार्टेजियन साइन कंवेंशन का ध्यान रखना होगा।
मैग्निफिकेशन: ऑब्जेक्ट के साइज की तुलना में इमेज का साइज कितना बढ़ता या घटता है; उसे मैग्निफिकेशन कहते हैं। इमेज डिस्टांस और ऑब्जेक्ट डिस्टांस के अनुपात से मैग्निफिकेशन का पता चलता है। इमेज साइज और ऑब्जेक्ट साइज के अनुपात से भी मैग्निफिकेशन का पता चलता है।
नोट: ऑब्जेक्ट को हमेशा प्रिंसिपल एक्सिस के ऊपर रखा जाता है, इसलिये ऑब्जेक्ट साइज का मान हमेशा पॉजिटिव रखा जाता है। यदि वर्चुअल इमेज है तो इमेज साइज पॉजिटिव होता है। यदि रियल इमेज है तो इमेज साइज नेगेटिव होता है। यदि मैग्निफिकेशन का मान पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि इमेज वर्चुअल है। रियल इमेज में मैग्निफिकेशन का मान नेगेटिव होता है।