त्रिभुज
समरूपता
सभी सर्वांगसम आकृतियाँ समरूप होती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सभी समरूप आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं।
समान संख्या वाली भुजाओं के बहुभुज समरूप होते हैं, यदि:
- उनके संगत कोण बराबर हों।
- उनकी संगत भुजाएँ समान अनुपात में हों।
- यदि किसी त्रिभुज की किसी एक भुजा के समांतर रेखा इस तरह से खींची जाए कि वह अन्य दो भुजाओं को निश्चित बिंदुओं पर काटती हो तो अन्य दो भुजाएँ समान अनुपात में विभाजित होती हैं।
- यदि कोई रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को समान अनुपात में विभाजित करती है, तो यह रेखा त्रिभुज की तीसरी भुजा के समांतर होती है।
- किसी भी दो त्रिभुजों में यदि संगत कोण बराबर होते हैं, तो उनके अंतर्गत की भुजाएँ समान अनुपात में होती हैं; और दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
- यदि किसी त्रिभुज के दो कोण किसी अन्य त्रिभुज के दो कोणों के बराबर होते हैं, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
- अगर किसी दो त्रिभुज में एक त्रिभुज की भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की भुजाओं के अनुपात मं होती हैं, तो उनके संगत कोण बराबर होते हैं, और दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
- यदि किसी त्रिभुज का एक कोण किसी अन्य त्रिभुज के एक कोण के बराबर होता है, और इस कोण के अंतर्गत भुजाएँ समान अनुपात में होती हैं, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं।
- दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफल का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के अनुपात के वर्ग के बराबर होता है।
- यदि किसी समकोण त्रिभुज के समकोण वाले शीर्ष से कर्ण पर लम्ब खींचा जाये तो उस लम्ब के दोनों ओर बने त्रिभुज आपस में समरूप होते हैं और सम्पूर्ण त्रिभुज के भी समरूप होते हैं।
प्रमेय 1: यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समांतर अन्य दो भुजाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने के लिए एक रेखा खींची जाए, तो ये अन्य दो भुजाएँ एक ही अनुपात में विभाजित हो जाती हैं।
संरचना: ABC एक त्रिभुज है। DE || BC, और भुजा AB को रेखा DE बिंदु D पर काटती है, तथा भुजा AC को बिंदु E पर काटती है।
B को E से तथा C को D से मिलाइए। अब DN ⊥ AB और EM ⊥ AC खींचिए।
सिद्ध करना है: AD/DB = AE/EC
प्रमाण: (1/2) x AD x EM
इसी तरह;
ar(BDE) = (1/2) x DB x EM
ar(ADE) = (1/2) x AE x DN
ar(DEC) = (1/2) x EC x DN
इसलिए; [ar(ADE)]/[ar(BDE)] = [(1/2) x AD x EM]/[(1/2) x DB x EM] = AD/DB
इसी तरह; [ar(ADE)]/[ar(DEC)] = AE/EC
त्रिभुज BDE और DEC एक ही आधार DE पर बने हैं और समान समांतर रेखाओं DE और BC के बीच हैं।
इसलिए, ar(BDE) = ar(DEC)
ऊपर दिए गए समीकरण से, यह स्पष्ट है;
AD/DB = AE/EC सिद्ध हुआ।
प्रमेय 2: यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे, तो वह तीसरी भुजा के समांतर होती है।
संरचना: ABC एक त्रिभुज है जिसमें भुजा AB और AC को एक रेखा समान अनुपात में विभाजित करती है। इसका मतलब है; AB/DB = AE/EC
सिद्ध करना है: DE || BC
मान लीजिए कि DE और BC समांतर नहीं हैं। अब एक रेखा DE’ खींचिए जो BC के समांतर है।
प्रमाण:
यदि DE’ || BC, तो;
AB/DB = AE’/E’C
प्रमेय के अनुसार;
AB/DB = AE/EC
इसलिए पहले प्रमेय के अनुसार; E और E’ निश्चित रूप से संपाती होंगे।
इससे सिद्ध होता है कि DE || BC
प्रमेय 3: यदि दो त्रिभुजों में, संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) होती हैं और इसलिए ये त्रिभुज समरूप होते हैं।
संरचना: दो त्रिभुज ABC और DEF हैं जिनके संगत कोण बराबर हैं। इसका मतलब है; ∠ A =∠ D, ∠ B = ∠ E और ∠ C = ∠ F
सिद्ध करना है: AB/DE = AC/DF = BC/EF
दूसरे त्रिभुज में रेखा PQ खींचिए ताकि DP = AB और PQ = BC
प्रमाण:
ΔABC ≅ ΔDPQ
क्योंकि इन दोनों त्रिभुज में संगत भुजाएँ समान हैं।
इसका मतलब है; ∠ B = ∠ P = ∠ E और PQ || EF
इसलिए; DP/PE = DQ/QF
इसलिए; AB/DE = AC/DF
AB/DE = BC/EF
इसलिए; AB/DE = AC/DF = BC/EF सिद्ध हुआ।