धातु और अधातु
धातुओं का परिष्करण
ऊपर दी गई विधियों से निकाली गई धातु में कुछ अशुद्धियाँ रहती हैं। इनका परिष्करण करके शुद्ध धातु निकाली जाती है। इस काम के लिये अक्सर इलेक्ट्रोलिटिक रिफाइनिंग का इस्तेमाल होता है।
इसके लिये अशुद्ध धातु को एनोड की तरह इस्तेमाल किया जाता है और शुद्ध धातु की एक पतली पट्टी को कैथोड की तरह इस्तेमाल किया जाता है। उस धातु के साल्ट के विलयन को इलेक्ट्रोलाइट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जब उपकरण से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो एनोड से निकलकर अशुद्ध धातु इलेक्ट्रोलाइट में घुल जाती है। इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु इलेक्ट्रोलाइट से निकलकर कैथोड पर जमा हो जाती है। घुलनशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं। अघुलनशील अशुद्धियाँ तली में जमा हो जाती हैं जिसे एनोड पंक कहते हैं।
कोरोजन
धातु की हवा और नमी से प्रतिक्रिया करने की प्रवृत्ति होती है। इससे कुछ धातुओं पर ऑक्साइड की एक परत बन जाती है। यह प्रक्रिया चलती रहती है और समय के साथ धातु को खा जाती है। इसी प्रक्रिया को कोरोजन कहते हैं।
जंग: लोहे के सामान पर आयरन ऑक्साइड की भूरी परत को जंग कहते हैं। जंग लगने से लोहे का कोरोजन होता है। लोहे में जंग लगने के लिये हवा और नमी की जरूरत पड़ती है।
कोरोजन की रोकथाम
- जंग लगना रोकने से कोरोजन की रोकथाम हो सकती है। लोहे के सामान को पेंट करके ऐसा किया जा सकता है।
- लोहे के सामान को गैल्वेनाइज करके इसे रोका जा सकता है।
- ग्रीस या तेल की परत चढ़ाकर।
- मिश्रधातु बनाकर भी इसे रोका जा सकता है। आयरन में कार्बन की बहुत कम मात्रा मिलाने से स्टील बनता है। आयरन, निकेल और क्रोम से बने मिश्रधातु को स्टेनलेस स्टील कहते हैं। ये मिश्रधातुएँ जंगरोधी होती हैं।
मिश्रधातु:
दो या अधिक धातु या एक धातु और एक अधातु के होमोजेनस मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं। कॉपर और जिंक के मिश्रधातु को पीतल कहते हैं। कॉपर और टिन के मिश्रधातु को कांसा कहते हैं। लेड और टिन के मिश्रधातु को सोल्डर कहते हैं। मरकरी के मिश्रधातु को अमलगम कहते हैं।
सारांश:
- धातु अक्सर कठोर होते हैं और रूम के तापमान पर ठोस अवस्था में होते हैं।
- धातु में धात्विक चमक, तन्यता, मैलिएबिलिटी और सोनोरिटी होती है।
- धातु विद्युत और ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
- अधातु रूम के तापमान पर पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में पाए जाते हैं।
- अधिकतर धातु ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऑक्साइड बनाते हैं।
- अलमुनियम ऑक्साइड की मोटी परत बनने की प्रक्रिया को एनोडीकरण कहते हैं।
- धातु जब पानी के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो ऑक्साइड बनता है।
- धातु जब एसिड के साथ प्रतिक्रिया करते हैं तो साल्ट और हाइड्रोजन गैस बनती है।
- जब एक अधिक प्रतिक्रियाशील धातु किसी कम प्रतिक्रियाशील धातु के साल्ट के साथ प्रतिक्रिया करती है तो यह कम प्रतिक्रियाशील धातु को विस्थापित करके अपना साल्ट बनाती है।
- इलेक्ट्रॉन के ट्रांसफर से बनने वाले कंपाउंड को आयनिक कंपाउंड कहते हैं।
- रिएक्टिविटी सीरीज में नीचे आने वाली धातु के ऑक्साइड को गर्म करने से शुद्ध मेटल मिलता है। इन अयस्कों के सल्फाइड को गर्म करके ऑक्साइड बनाया जाती है। उसके बाद ऑक्साइड को गर्म करके शुद्ध मेटल निकाला जाता है।
- सल्फाइड अयस्क को रोस्टिंग करने ऑक्साइड मिलता है।
- कार्बोनेट अयस्क को कैल्सिनेशन करने से ऑक्साइड मिलता है।
- रिएक्टिविटी सीरीज में ऊपर आने वाली धातु को प्राप्त करने के लिये उनके ऑक्साइड का इलेक्ट्रोलिटिक रिडक्शन किया जाता है।
- लोहे के सामान पर आयरन ऑक्साइड की भूरी परत को जंग कहते हैं।