बिमारी और स्वास्थ्य
स्वास्थ्य का मतलब
स्वास्थ्य का मतलब सरल भी है और जटिल भी। सरल भाषा में कहा जाये तो स्वास्थ्य का मतलब है कि आपका शरीर सही तरीके से काम कर रहा है। लेकिन अलग अलग लोगों के लिए स्वास्थ्य के अलग अलग मतलब हो सकते हैं। कुछ उदाहरण नीचे दिये गए हैं।
एक आठ दस साल का बच्चा अमूमन सारा दिन ऊधम मचाया करता है। जिससे उसके माँ बाप परेशान भी हो जाते हैं। लेकिन वही बच्चा अगर बिलकुल शांत बैठ जाए तो उसके माँ बाप को लगेगा कि बच्चे की तबियत ठीक नहीं है यानि उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।
दूसरी ओर एक सत्तर साल के आदमी पर गौर कीजिए। बुढ़ापे के कारण वह उछल कूद नहीं कर सकता है। लेकिन अगर वह बिना किसी के सहारे सुबह की सैर कर ले या बाजार से थोड़ी सब्जी तरकारी ले आए तो हम कहेंगे कि वह स्वस्थ है।
कोई लड़की नवीं क्लास में पढ़ती है। लेकिन उसका मन पढ़ाई को छोड़कर गाना सुनने और सिनेमा देखने में लगता है। ऐसे में उसके मास्टर कहते हैं कि लड़की का रवैया स्वस्थ नहीं है।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य वह अवस्था है जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्य समुचित क्षमता द्वारा और उचित प्रकार से किया जा सके।
शारीरिक क्षमता को समझना बड़ा आसान है। लेकिन यदि कोई हट्टा कट्टा आदमी पूरे दिन किसी आलसी की तरह मक्खी मारता रहता है तो उसे हम बेकार कहते हैं। ऐसा आदमी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं माना जाएगा। ऐसा आदमी समाज पर बोझ भी बन जाएगा।
व्यक्तिगत तथा सामुदायिक समस्याएँ
व्यक्तिगत समस्याएँ भी स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। कोई आदमी अगर किसी भी कारण से उदास होगा या गुस्से में होगा तो वह तनाव, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, आदि का शिकार हो सकता है। ऐसे में उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
समुदाय का भी स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अगर कोई विद्यार्थी किसी ऐसे मुहल्ले में रहता है जहाँ पतली पतली गलियाँ हों, खुली नालियाँ और जहाँ तहाँ कूड़े के ढ़ेर हों तो उस विद्यार्थी के बीमार पड़ने की संभावनाएँ बहुत अधिक हैं।
रोग
जब शरीर का कोई भी अंग समुचित तरीके से काम नहीं कर रहा हो तो ऐसी स्थिति को रोग या बिमारी या व्याधि कहते हैं।
लक्षण
जब कोई रोग होता है तो किसी न किसी अंग के काम करने में कोई न कोई परेशानी होती है। शरीर में कुछ न कुछ होता है तो असामान्य लगता है। जैसे बुखार लगना, दर्द होना, खाँसी होना, आदि। इन असामान्य संकेतों के कारण ही हम जान पाते हैं कि किसी को कोई बिमारी हुई है। इन असामान्य संकेतों को लक्षण कहते हैं। शरीर में लक्षण दिखने पर ही हम परेशान होते हैं और फिर डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते हैं।
तीव्र और दीर्घकालिक रोग
तीव्र या प्रचंड रोग
जो रोग थोड़े समय के लिए होते हैं उन्हें तीव्र या प्रचंड रोग कहते हैं। जैसे: सर्दी, जुकाम, घाव, चेचक, मलेरिया, डेंगू, हैजा, आदि। प्रचंड रोग से अक्सर शरीर को कोई दूरगामी नुकसान नहीं होता है। कई तीव्र रोग तो अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।
दीर्घकालिक रोग
जो रोग कई वर्षों के लिए लगते हैं उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं। जैसे: गठिया, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दमा, आदि। दीर्घकालिक रोग से शरीर को दूरगामी नुकसान होते हैं।
रोग के कारक:
रोगों के मुख्यतया दो कारक होते हैं: तात्कालिक कारक और सहायक कारक। किसी भी रोग के अनेक कारक होते हैं।
संक्रमण
जब रोग किसी रोगाणु के कारण होता है तो यह उस रोगाणु से संक्रमण के कारण होता है। बैक्टीरिया, वायरस, कवक, कृमि, आदि रोगाणु के उदाहरण हैं। किसी भी रोग के लिए संक्रमण एक तात्कालिक कारक होता है।
कुपोषण
जब शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी हो जाती है तो ऐसी अवस्था को कुपोषण कहते हैं। शरीर में कई रोग कुपोषण के कारण होते हैं। मैरास्मस, बेरी-बेरी, रतौंधी, आदि रोगों के लिए कुपोषण एक तात्कालिक कारक होता है। लेकिन कई अन्य रोगों के लिए कुपोषण एक सहायक कारक होता है। जैसे अगर कोई आदमी कुपोषण का शिकार है तो उसको संक्रमण लगने का खतरा अधिक रहता है।
आनुवंशिक भिन्नता
कुछ लोगों के जीन में कुछ अलग होता है जिसके कारण उन्हें कुछ विशेष रोगों से ग्रसित होने का खतरा बहुत अधिक होता है। कुछ रोग आनुवंशिक भिन्नता के कारण ही होते हैं। जैसे: हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, कलर ब्लाइंडनेस, क्लेफ्ट पैलेट, आदि।
आर्थिक और सामाजिक परिस्थिति
कई लोग गरीबी के कारण तंग बस्तियों में रहने को मजबूर होते हैं। कई लोगों के पास तो रहने के लिए पन्नी और टिन से बनी झोपड़ियाँ होती हैं। ऐसे में उन्हें ना तो पीने का साफ पानी मिलता है और ना ही आस पास साफ सफाई। अक्सर एक छोटे से कमरे में आठ दस लोगों का परिवार रहता है। कई बीमारियाँ गंदगी और दूषित भोजन-पानी के कारण होती हैं।
संक्रामक रोग: जो रोग संक्रमण के कारण होते हैं उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं। उदाहरण: टीबी, चेचक, हैजा, मलेरिया, डेंगू, आदि।
असंक्रामक रोग: जो रोग शरीर के किसी अंग या अंगतंत्र में खराबी के कारण या फिर किसी आनुवंशिक कारण से होते हैं उन्हें असंक्रामक रोग कहते हैं। उदाहरण: डायबिटीज, कैंसर, उच्च रक्तचाप, मिर्गी, पथरी, आदि।
संचारी रोग: जो रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है उसे संचारी रोग कहते हैं। संक्रामक रोग अक्सर संचारी होते हैं। उदाहरण: मरेलिया, हैजा, डेंगू, कोविड-19, आदि।
असंचारी रोग: जो रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है उसे असंचारी रोग कहते हैं। उदाहरण: डायबिटीज, दिल की बिमारी, आदि।