गुरुत्वाकर्षण
विश्व के सभी पिंड एक दूसरे को आकर्षित करते हैं। वस्तुओं के बीच के इस आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण या गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
किसी भी दो पिंडों के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल दोनों पिंडों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों पिंडों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
मान लीजिए कि दो पिंड A और B एक दूसरे से d दूरी पर स्थित हैं और उनके द्रव्यमान क्रमश: M तथा m हैं। गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, दोनों पिंडों के बीच लगने वाला बल नीचे दिये गये समीकरण से दिया जा सकता है।
F ∝ M × m
और
F ∝ `1/d^2`
दोनों समीकरणों को मिलाने पर
`F∝(M\xx\m)/(d^2)`
या `F=G(M\xx\m)/(d^2)` …………. (1)
यहाँ पर G आनुपातिकता का स्थिरांक है, जिसे सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक कहते हैं।
समीकरण (1) में बल, दूरी तथा द्रव्यमान के मात्रक रखने पर G का SI मात्रक N m2 kg-2 होता है।
हैनरी कैवेंडिस (1731-1810) ने एक सुग्राही तुला का इस्तेमाल करके G का मान ज्ञात किया था जिसका मान 6.673 × 10-11 N m2 kg-2 है।
मुक्त पतन
जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर केवल गुरुत्वाकर्षण बल के कारण गिरती है, तो कहा जाता है कि वस्तु मुक्त पतन में है। मुक्त पतन से गिरती हुई वस्तु की गति कि दिशा में कोई बदलाव नहीं होता है। लेकिन पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है। हम जानते हैं कि वेग के परिमाण में किसी भी परिवर्तन से त्वरण उत्पन्न होता है। इसलिए जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है तो उस पर त्वरण काम करता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण होता है। इसलिए इस त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। इसे g से दिखाया जाता है। इसका मात्रक m s-2 है।
हम जानते हैं कि द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल को बल कहते हैं। इसलिए गुरुत्वीय बल का परिमाण द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
`F=mg` ………..(2)
समीकरण (1) में बल के इस मान को रखने पर
`mg=G(M\xx\m)/(d^2)`
`g=GM/(d^2)` ……………(3)
यहाँ पर M पृथ्वी का द्रव्यमान है और d वस्तु और पृथ्वी के बीच की दूरी है।
जब वस्तु पृथ्वी की सतह पर या इसकी सतह के पास होती है तो पृथ्वी की त्रिज्या की तुलना में d का मान नगण्य होता है। इसलिए d का मान पृथ्वी की त्रिज्या R के बराबर मान लिया जाता है।
अब समीकरण (1) को इस तरह लिखा जा सकता है।
`mg=G(M\xx\m)/(R^2)`
`g=GM/(R^2)` ……………(4)
हम जानते हैं कि पृथ्वी पूरी तरह से गोल नहीं है। इसलिए विषुवत रेखा पर पृथ्वी की त्रिज्या अधिक होती है और ध्रुवों पर कम होती है। इसलिए विषुवत रेखा की तुलना में ध्रुवों पर g का मान अधिक होता है। लेकिन अधिकतर गणनाओं के लिए हम g के स्थिर मान का इस्तेमाल करते हैं।
गुरुत्वीय त्वरण g के मान का परिकलन
गुरुत्वीय त्वरण का मान निकालने के लिए हमें समीकरण (4) में इन मानों को रखना होगा।
G = 6.7 × 10-11 N m2 kg-2
M = 6 × 1024 kg
R = 6.4 × 106 m
`g=GM/(R^2)`
`=(6.7xx10^(-11)Nm^2kg^(-2)xx6xx10^(24)kg)/((6.4xx10^6m)^2)`
`=9.8\m\s^(-2)`
पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव में वस्तुओं की गति
चूँकि पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर होता है, इसलिए एकसमान त्वरित गति के सभी समीकरण a के स्थान पर g रखने पर भी मान्य होंगे। इन समीकरणों को इस तरह लिखा जा सकता है।
`v=u+g\t`
`s=ut+1/2g\t^2`
`v^2=u^2+2gs`
यदि त्वरण की दिशा और वेग की दिशा समान होगी तो त्वरण का मान धनात्मक होगा। यदि त्वरण की दिशा वेग की दिशा के विपरीत होगी तो त्वरण का मान ऋणात्मक होगा।
द्रव्यमान
आपने पिछले अध्याय में पढ़ा है कि किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है। वस्तु का द्रव्यमान हमेशा स्थिर रहता है यानि एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता है।
भार
जिस बल से पृथ्वी किसी वस्तु को आकर्षित करती है उस बल को उस वस्तु का भार कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वस्तु पर पृथ्वी के आकर्षण बल को वस्तु का भार कहते हैं। इसे W से दर्शाते हैं।
`F=m\xx\g` …………….(5)
`W=m\xx\g` …………….(6)
भार का SI मात्रक न्यूटन (N) है। भार एक सदिश राशि है, यानि इसमें परिणाम और दिशा दोनों होते हैं।
किसी भी दिए हुए स्थान पर g का मान स्थिर रहता है। इसलिए किसी भी दिए हुए स्थान पर वस्तु का भार वस्तु के द्रव्यमान के समानुपाती होआ है, यानि W ∝ m
इसलिए किसी दिए हुए स्थान पर हम वस्तु के भार को उसके द्रव्यमान की माप के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। वस्तु का भार किसी भी स्थान के g के मान पर निर्भर करता है।
किसी वस्तु का चंद्रमा पर भार
पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा का द्रव्यमान कम है। इसलिए चंद्रमा पर वस्तु पर कम आकर्षण बल लगता है।
मान लीजिए कि किसी वस्तु का द्रव्यमान m है और चंद्रमा पर इसका भार Wm है। यदि चंद्रमा का द्रव्यमान Mm है और इसकी त्रिज्या Rm है, तो गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार, चंद्रमा पर वस्तु का भार इस समीकरण से दिया जायेगा।
`W_m=G(M_m\xx\m)/(R_m^2)` ………….(7)
मान लीजिए कि उसी वस्तु का पृथ्वी पर भार We है। यदि पृथ्वी का द्रव्यमान M और त्रिज्या R है, तो पृथ्वी पर वस्तु का भार इस समीकरण से दिया जायेगा।
`W_e=G(M\xx\m)/(R^2)`………………..(8)
इस टेबल में पृथ्वी और चंद्रमा के द्रव्यमान और त्रिज्या के मान दिये गये हैं।
पिंड | द्रव्यमान (kg) | त्रिज्या (m) |
---|---|---|
पृथ्वी | 5.98 × 1024 | 6.37 × 106 |
चंद्रमा | 7.36 × 1022 | 1.74 × 106 |
दिए गए टेबल से समीकरण (7) और (8) में उपयुक्त मान रखने पर
`W_m=G(7.36xx10^(22)kg\xx\m)/((1.74xx10^6m)2)`
`W_m=2.431xx10^(10)G\xx\m` ……………..(9)
`W_e=1.474xx10^(11)G\xx\m` ……………..(10)
समीकरण (9) को समीकरण (10) से भाग देने पर
`(W_m)/(W_e)=(2.431xx10^(10))/(1.474xx10^(11))`
`(W_m)/(W_e)=1/6`
इससे पता चलता है कि किसी भी वस्तु का चंद्रमा पर भार उस वस्तु के पृथ्वी पर के भार का छठा भाग होगा।
प्रणोद तथा दाब
प्रणोद: किसी वस्तु की सतह के लम्बवत लगने वाले बल को प्रणोद कहते हैं।
दाब: प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते हैं।
दाब = प्रणोद ÷ क्षेत्रफल
दाब का SI मात्रक N m-2 है। वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में इस मात्रक को पास्कल (Pa) भी कहते हैं। इस समीकरण से पता चलता है कि दाब प्रणोद के समानुपाती और क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
कील को उसके नुकीले सिरे से किसी लकड़ी में ठोकना आसान होता है क्योंकि नुकीले सिरे का क्षेत्रफल कम होने के कारण अधिक दाब उत्पन्न होता है। अगर आप कील को उसके चिपटे सिरे की ओर से लकड़ी में ठोकने की कोशिश करेंगे तो यह काम लगभग असंभव होगा।
उत्प्लावकता
जब किसी वस्तु को किसी तरल में रखा जाता है तो वस्तु पर दो बल काम करते हैं। गुरुत्वीय बल नीचे की दिशा में काम करता है और तरल द्वारा लगने वाला बल ऊपर की दिशा में काम करता है। तरल द्वारा लगने वाले इस बल को उत्प्लावकता कहते हैं। उत्प्लावन बल का परिमाण उस तरल के घनत्व पर निर्भर करता है जिसमें वस्तु को डुबोया जाता है। यदि वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से अधिक होता है तो वस्तु उस तरल में डूब जाती है। यदि वस्तु का घनत्व तरल के घनत्व से कम होता है तो वस्तु उस तरल में तैरती रहती है।
आर्किमीडीज का सिद्धांत
“जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या अंशिक रूप से डुबोया जाता है तो उस वस्तु पर ऊपर की दिशा में एक बल लगता है जो बल उस वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।“
घनत्व: किसी वस्तु के प्रति इकाई आयतन के भार को उस वस्तु का घनत्व कहते हैं। घनत्व का SI मात्रक Kg m-3 है।
आपेक्षिक घनत्व: किसी वस्तु के घनत्व और जल के घनत्व के अनुपात को उस वस्तु का आपेक्षिक घनत्व कहते हैं। चूँकि यह एक अनुपात है इसलिए आपेक्षिक घनत्व का कोई मात्रक नहीं होता है।