9 विज्ञान

मिश्रण के घटकों का पृथक्कीकरण

विषमांगी मिश्रण के घटकों को साधारण भौतिक विधि से अलग किया जा सकता है, जैसे: हाथ से चुनकर, छन्नी से छानकर। लेकिन समांगी मिश्रण के घटकों को अलग करने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ता है। इनकी कुछ विधियाँ नीचे दी गई हैं।

वाष्पीकरण

इस विधि के इस्तेमाल से विलायक से विलेय को अलग किया जा सकता है। जब विलयन को क्वथनांक तक गर्म किया जाता है तो विलायक का वाष्पीकरण हो जाता है। उसके बाद बर्तन में विलेय बचा रह जाता है। इस विधि से हम नमक को जल से अलग कर सकते हैं।

अपकेंद्रीकरण

इस विधि से कोलाइड के अवयवों को अलग किया जा सकता है। जब अपकेंद्रीय यंत्र में कोलाइड को तेजी से घुमाया जाता है तो भारी अवयव नीचे रह जाते हैं और हल्के अवयव ऊपर तैरने लगते हैं। इस विधि से दूध से क्रीम निकाली जाती है। इस विधि का उपयोग रक्त और मूत्र की जाँच करने के लिए होता है। वाशिंग मशीन में कपड़े सुखाने के लिए इसी विधि का प्रयोग होता है।

पृथक्करण कीप

separating funnel

इस युक्ति द्वारा दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को अलग किया जाता है। इसके लिए जल और तेल के मिश्रण का उदाहरण लेते हैं। इस मिश्रण को पृथक्करण कीप में डालकर शांत होने के लिए छोड़ दिया जाता है। थोड़ी देर में तेल ऊपर की परत में और जल नीचे की परत में आ जाते हैं। उसके बाद पृथक्करण कीप के स्टॉप कॉक को खोलकर जल को निकाल लिया जाता है। फिर कीप में तेल बचा रह जाता है।

ऊर्ध्वपातन

जब मिश्रण में से एक अवयव ऊर्ध्वपातित हो सकता है तो इस विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए नमक और कपूर के मिश्रण का उदाहरण लेते हैं। इस मिश्रण को एक प्याली में रखकर उसके ऊपर एक कीप को उलटा रखा जाता है। कीप की नली को रुई से बंद कर दिया जाता है। जब प्याली को गर्म करते हैं तो कपूर ऊर्ध्वपातित हो जाता है और फिर कीप की नली की दीवार पर जम जाता है। प्याली में नमक बच जाता है।

क्रोमैटोग्राफी

Chromatography setup

इस विधि में अवयवों को अलग करने के लिए छन्ना पत्र या सोख्ता पत्र का इस्तेमाल होता है। छन्ना पत्र की एक पतली पट्टी को काँच की छड़ की सहायता से बीकर में टांग दिया जाता है। बीकर में थोड़ा जल रखा जाता है। छन्ना पत्र पर मिश्रण की एक बूंद रखी जाती है ताकि बूंद जल के समीप हो। छन्ना पत्र को इस तरह टांगा जाता है कि वह जल को बस छूता रहे। जैसे ही छन्ना पत्र जल को सोखने लगता है मिश्रण के अवयव ऊपर की ओर चढ़ने लगते हैं। अलग-अलग अवयव अलग-अलग ऊँचाई तक जाते हैं। इस विधि से स्याही या रंगों के घटकों को अलग किया जाता है। रक्त से नशीले पदार्थों को अलग करने के लिए भी इस विधि का प्रयोग होता है।

आसवन

distillation apparatus

दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण के अवयवों को अलग करने के लिए इस विधि का प्रयोग होता है। इस विधि से वैसे द्रवों को अलग किया जाता है जिनका अपघटन उबालने से नहीं होता है और जिनके क्वथनांकों में अधिक अंतर होता है। इसे समझने के लिए जल और एसीटोन के मिश्रण का उदाहरण लेते हैं। एसीटोन का क्वथनांक जल के क्वथनांक से काफी कम होता है। मिश्रण को एक गोल पेंदी के फ्लास्क में रखते हैं। फ्लास्क से निकलने वाली नली को संघनक से जोड़ दिया जाता है। क्वथनांक कम होने के कारण एसीटोन का वाष्पीकरण जल्दी होता है। एसीटोन का वाष्प जब संघनक से होकर गुजरता है तो ठंडा होकर द्रव में बदल जाता है।

प्रभाजी आसवन

fractional distillation setup

इस विधि से वैसे घुलनशील द्रवों को मिश्रण से अलग किया जाता है जिनके क्वथनांकों का अंतर 25° C से कम होता है। इसके लिए प्रभाजी नली का इस्तेमाल किया जाता है। यह नली शीशे के गुटकों से भरी रहती है। इन गुटकों से संघनन के लिए बड़ा पृष्ठ क्षेत्र मिल जाता है। अलग-अलग द्रवों के निकास के लिए अलग-अलग ऊँचाई पर निकास नली लगी होती है। ये नलियाँ अलग-अलग संघनकों से गुजरती हैं। इस विधि से पेट्रोलियम के घटकों को अलग किया जाता है।