कोशिका
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर:
पादप कोशिका | जंतु कोशिका |
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प्लाज्मा झिल्ली उपस्थित होती है। | प्लाज्मा झिल्ली उपस्थित होती है। |
कोशिका भित्ति उपस्थित होती है। | कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है। |
क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होता है। | क्लोरोप्लास्ट अनुपस्थित होता है। |
रिक्तिका बड़ी होती है। | रिक्तिका छोटी होती है। |
प्रश्न 2: प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर:
प्रोकैरियोटी कोशिका | यूकैरियोटी कोशिका |
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आकार प्राय: छोटा (1-10 µm) | आकार प्राय: बड़ा (5-100 µm) |
केंद्रकीय क्षेत्र: अस्पष्ट और केंद्रकीय झिल्ली अनुपस्थित | केंद्रकीय क्षेत्र: सुस्पष्ट जो चारों ओर से केंद्रकीय झिल्ली से घिरा होता है। |
क्रोमोसोम: एक | क्रोमोसोम: एक से अधिक |
झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित | झिल्ली युक्त कोशिका अंगक उपस्थित |
प्रश्न 3: यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर: प्लाज्मा झिल्ली का काम है कोशिका के भीतर के पदार्थों को बाहरी वातावरण से अलग और सुरक्षित रखना। इसलिए यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो कोशिका की मृत्यु हो जाएगी।
प्रश्न 4: यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर: गॉल्जी उपकरण विभिन्न पदार्थों का संग्रहण, रूपांतरण और पैकिंग करता है ताकि इन पदार्थों को अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सके। यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कई जरूरी पदार्थ कोशिका को नहीं मिल पाएंगे। इससे कोशिका के कई कार्यों में बाधा पड़ेगी और कोशिका मृत हो जायेगी।
प्रश्न 5: कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर: चूँकि माइटोकॉन्ड्रिया में ऊर्जा का उत्पादन होता है इसलिए इसे कोशिका का बिजली घर या पावरहाउस भी कहते हैं।
प्रश्न 6: कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर: लिपिड का संश्लेषण चिकनी अंत:द्रव्यी जालिका में तथा प्रोटीन का संश्लेषण खुरदरी अंत:द्रव्यी जालिका में होता है।
प्रश्न 7: अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर: अमीबा एककोशिकीय जीव है जिसकी कोशिका अनियमित आकार की होती है। अमीबा की प्लाज्मा झिल्ली जरूरत के अनुसार छद्मपाद या स्यूडोपोडिया में रूपांतरित हो जाती है। उसके बाद स्यूडोपोडिया की मदद से अमीबा अपना भोजन पकड़ता है।
प्रश्न 8: परासरण क्या होता है?
उत्तर: जब जल का विसरण किसी वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उस प्रक्रिया को परासरण कहते हैं। ऐसे में जल का गमन जल की अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र से जल की कम सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर होता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें:
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
- कप A को खाली रखो
- कप B में एक चम्मच चीनी डालो
- कप C में एक चम्मच नमक डालो
- उबले आलू से बनाए गए कप D में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दो:
(a) B तथा C के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
उत्तर: B तथा C में क्रमश: चीनी और नमक डालने से कप के बाहर का जल अल्पपरासरणदाबी हो गया। इसलिए जल की गति बाहर से कप के भीतर की ओर हुई। इसलिए इन कपों में जल एकत्र हो गया।
(b) A आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: कप A के बाहर रखा हुआ जल समपरासारी है जिससे यह पता चलता है की परिस्थिति सामान्य रखने पर प्रयोग में क्या हो सकता है। इस कप का प्रयोग तुलना करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि यदि कप में कोई पदार्थ न रखा जाए तो क्या होता है।
(c) A तथा D आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
उत्तर: कप A के बारे में पिछले प्रश्न में व्याख्या की गई है। कप D की कोशिकाएँ उबालने के बाद मृत हो जाती हैं। इसलिए उन कोशिकाओं में परासरण नहीं होता है।
प्रश्न 10: कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएँ।
उत्तर: कायिक वृद्धि और मरम्मत के लिए सूत्री विभाजन या माइटोसिस की आवश्यकता होती है। सूत्री विभाजन के फलस्वरूप कायिक कोशिकाओं का निर्माण होता है जिससे वृद्धि और मरम्मत के लिए अतिरिक्त कोशिकाएँ मिलती रहती हैं।
प्रश्न 11: युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्व बताएँ।
उत्तर: युग्मकों के बनने के लिए अर्धसूत्री विभाजन या मीओसिस होता है। अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बनी पुत्री कोशिकाओं में क्रोमोसोम की संख्या आधी हो जाती है। बाद में जब युग्मकों के फ्यूजन से जाइगोट बनता है तो जाइगोट में क्रोमोसोम की संख्या कायिक कोशिका के बराबर हो जाती है। इसलिए जाइगोट से विकसित होने वाले जीव के लक्षण अपने जनक के समान होते हैं।