ध्वनि
NCERT अभ्यास
Part 2
प्रश्न 13: 500 मी ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित पानी एक तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10 m s-2 तथा ध्वनि की चाल = 340 m s-1)
उत्तर: पत्थर द्वारा मीनार की ऊँचाई से तालाब की सतह तक पहुँचने में लगा समय
`s=ut+1/2g\t^2`
या, `500=0+1/2xx10xxt^2`
या, `500=5t^2`
या, `t^2=(500)/5=100`
या, `t=sqrt(100)=10` सेकंड
तालाब की सतह से ध्वनि को मीनार की चोटी तक पहुँचने में लगा समय
`t=s/v`
`=(500)/(340)=1.47` सेकंड
कुल समय = 10 + 1.47 = 11.47 सेकंड
प्रश्न 14: एक ध्वनि तरंग 339 m s-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
उत्तर: वेग = λ × ν
या, 399 = 0.015 m × ν
या, ν `=(399)/(0.015)=26600` Hz
प्रश्न 15: अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर: किसी भी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाली ध्वनी दीवारों से बार बार परावर्तित होती है। इसलिए प्रतिध्वनि काफी देर तक बनी रहती है। बार बार होने वाली इस प्रतिध्वनि को अनुरणन कहते हैं। अनुरणन की रोकथाम के लिए दीवारों पर ध्वनि अवशोषण करने के लिए संपीड़ित फाइबर, खुरदरा प्लास्टर और परदे लगाये जाते हैं। कुर्सियों के गद्दों में रेशे लगाये जाते हैं या कोई अन्य ध्वनि अवशोषक पदार्थ लगाये जाते हैं।
प्रश्न 16: ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर: ध्वनि की प्रबलता का मतलब है कि ध्वनि कितनी धीमी या तेज है। यह ध्वनि तरंग के आयाम पर निर्भर करती है। कम आयाम काम मतलब है धीमी आवाज, जबकि अधिक आयाम से तेज आवाज उत्पन्न होती है।
प्रश्न 17: चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर: चमगादड़ पराध्वनि उत्पन्न करता है। जब पराध्वनि किसी अवरोध या शिकार से परावर्तित होती है तो चमगादड़ तक वापस पहुँचती है। इसके आधार पर चमगादड़ शिकार की स्थिति का पता लगा लेता है।
प्रश्न 18: वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर: वस्तु को किसी अपमार्जक से धोया जाता है और वस्तु पर पराध्वनि तरंगों से प्रहार किया जाता है। पराध्वनि के कारण वस्तु में कंपन उत्पन्न होता है और गंदगी अलग हो जाती है।
प्रश्न 19: सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: यह एक ऐसी युक्ति है जिसकी मदद से जल के भीतर स्थित वस्तु की दूरी, दिशा तथा चाल का पता किया जाता है। इसे जहाजों पर इस्तेमाल किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र और एक संसूचक होता है। प्रेषित्र से पराध्वनि छोड़ी जाती है। यह ध्वनि जब किसी वस्तु से टकराती है तो परावर्तित होकर संसूचक तक पहुँचती है। वेग और समय को गुना करने पर तय की गई दूरी का पता चल जाता है। इसकी मदद से जहाज पर बैठे नाविक को जल के भीतर के खतरों का पता चल जाता है।
प्रश्न 20: एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उसकी प्रतिध्वनि 5 सेकंड पश्चात ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 मी हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
उत्तर: दूरी = चाल × समय
चूँकि ध्वनि को वस्तु तक जाने और वापस आने में दोगुनी दूरी तय करनी होगी। इसलिए,
2 × 3625 = चाल × 5
चाल `=(2xx3625)/5=1450` मी/से
प्रश्न 21: किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है वर्णन कीजिए।
उत्तर: जब धातु के ब्लॉक पर पराध्वनि प्रेषित की जाती है तो पराध्वनि का परावर्तन होता है। परावर्तित तरंगों के आधार पर कम्प्यूटर धातु का प्रतिबिंब बनाता है जिससे धातु के ब्लॉक के दोषों का पता चल जाता है।
प्रश्न 22: मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर: कर्ण पल्लव का काम है अपने आस पास से ध्वनि तरंगों को इकट्ठा करना। उसके बाद ध्वनि तरंगें श्रवण नलिका से गुजरते हुए कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली तक पहुँचती हैं। ध्वनि तरंगों के कारण कर्ण पटह में कंपन होता है जिसके कारण तीनों हड्डियाँ कंपन करने लगती हैं। उसके बाद कंपन कॉक्लिया में पहुँच जाता है। कॉक्लिया से श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक संदेश पहुँचता है और फिर मस्तिष्क ध्वनि को पहचानने का काम करता है।