कार्य और ऊर्जा
NCERT अभ्यास
Part 2
प्रश्न 11: पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर: जब कोई उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर घूमता है तो पृथ्वी से उपग्रह की ऊर्ध्वाधर ऊँचाई एक समान रहती है। इसलिए ऐसी स्थिति में गुरुत्व बल द्वारा उपग्रह पर कोई कार्य नहीं होता है।
प्रश्न 12: क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापक से विचार विमर्श कीजिए।
उत्तर: जब कोई वस्तु एकसमान गति से चलती है तो उस पर कोई बाहरी बल नहीं लगता है। लेकिन गति के कारण वस्तु का विस्थापन होता रहता है।
प्रश्न 13: कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर: जब कोई मनुष्य भूसे के गट्ठर को लेकर खड़ा रहता है तो गट्ठर में कोई विस्थापन नहीं होता है। इसलिए वह कोई कार्य नहीं करता है।
प्रश्न 14: एक विद्युत हीटर की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
उत्तर: दिया गया है P = 1500, t = 10 h = 10 × 60 × 60 s
`E=P×t`
`=1500xx10xx3600=5400000`
`=5.4xx10^6` J
प्रश्न 15: जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंतत: इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर: ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार ऊर्जा का रुपांतरण होता है लेकिन ऊर्जा को न तो हम उत्पन्न कर सकते हैं और न ही इसका विनाश कर सकते हैं।
जब किसी सरल लोलक का गोलक दोलन करता है तो इसकी दो महत्तम स्थितियाँ होती हैं और एक माध्य स्थिति होती है। महत्तम स्थिति में गोलक अपनी अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचता है और माध्य स्थिति में इसकी ऊँचाई न्यूनतम हो जाती है।
अधिकतम उँचाई पर गोलक की स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है और गतिज ऊर्जा शून्य होती है। माध्य स्थिति में गोलक की स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है और गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है। हर स्थिति में गोलक की यांत्रिक ऊर्जा अचर रहती है। इसलिए गोलक ऊर्जा के संरक्षण के नियम का पालन करता है।
लेकिन दोलन करते समय गोलक को हवा के प्रतिरोध का सामना भी करना पड़ता है। ऐसा करने से गोलक की ऊर्जा का ह्रास होता रहता है और फिर यह विराम अवस्था में पहुँच जाता है।
प्रश्न 16: m द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग v से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
उत्तर: पिंड को विराम अवस्था में लाने के लिए उसकी गतिज ऊर्जा के बराबर लेकिन गति की विपरीत दिशा में कार्य करना होगा यानि ऋणात्मक कार्य करना होगा।
`E_k=1/2mv^2`
इसलिए पिंड पर किया जाने वाला कार्य
`-1/2mv^2`
प्रश्न 17: 1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
उत्तर: कार को विराम अवस्था में लाने के लिए उसकी गतिज ऊर्जा के बराबर लेकिन गति की विपरीत दिशा में कार्य करना होगा यानि ऋणात्मक कार्य करना होगा।
दिया गया है m = 1500 kg, v = 60 km/h `=60xx5/(18)=(50)/3` m/s
`E_k=1/2mv^2`
`=1/2xx1500xx((50)/3)^2`
`=750xx(2500)/9=(1875000)/9=208333.3` J
इसलिए कार पर किया जाने वाला कार्य
-208333.3 J
प्रश्न 18: निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व कि ओर है जो एक लंबे तीरे से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर: पहले चित्र में कार्य शून्य है, दूसरे चित्र में कार्य धनात्मक है और तीसरे चित्र में कार्य ऋणात्मक है।
प्रश्न 19: सोनी कहती है कि किसी वस्तु का त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर: जब किसी वस्तु पर काम करने वाले कई बलों का नेट बल शून्य हो तो वस्तु का त्वरण शून्य हो जाता है। इसलिए मैं सोनी की बात से सहमत हूँ।
प्रश्न 20: चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 W है 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
उत्तर: दिया गया है, P = 500 W, t = 10 h
इसलिए चार युक्तियों द्वारा व्यय की गई ऊर्जा
`=4xx500xx10=20000` Wh
= 20 kWh
प्रश्न 21: मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंतत: धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर: जब कोई पिंड मुक्त रूप से गिरता है तो धरती से टकराते समय इसकी गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है। टकराने के बाद यह ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा और ध्वनि ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है और पिंड विराम अवस्था में पहुँच जाता है।