जीवों में विविधता
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ है?
उत्तर: जीवों के वर्गीकरण से हमें उनका अध्ययन करने में सहूलियत होती है। वर्गीकरण की मदद से हमें बीमारियों और उनके इलाज का पता करने में भी मदद मिलती है।
प्रश्न 2: वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में आप किस लक्षण का चयन करेंगे?
उत्तर: वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए हम दो प्रकार के लक्षण को देखेंगे। सबसे पहले यह देखना होगा कि वह लक्षण जीवों की कितनी बड़ी संख्या में समान है। यदि लक्षण कम जीवों में समान होगा तो पदानुक्रम सबसे निचले स्तर का होगा। यदि लक्षण अत्यधिक जीवों में समान होगा तो पदानुक्रम ऊपर के स्तर का होगा।
प्रश्न 3: जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार नीचे दिए गए हैं:
- झिल्लीयुक्त कोशिकांग की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर जीवों को दो वर्गों में बाँटा गया है: प्रोकैरियोटी और यूकैरियोटी। जिन जीवों की कोशिकाओं में सुस्पष्ट केंद्रक और झिल्लीयुक्त कोशिकांग नहीं होते हैं उन्हें प्रोकैरियोटी कहते हैं। जिन जीवों की कोशिकाओं में सुस्पष्ट केंद्रक और झिल्लीयुक्त कोशिकांग होते हैं उन्हें यूकैरियोटी कहते हैं।
- कुछ जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं। उन्हें एककोशिक जीव कहते हैं। जो जीव एक से अधिक कोशिकाओं से बने होते हैं, उन्हें बहुकोशिक जीव कहते हैं।
- जो जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं उन्हें स्वपोषी कहते हैं। जो जीव किसी दूसरे जीव से भोजन प्राप्त करते हैं उन्हों परपोषी कहते हैं।
प्रश्न 4: पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर: पादप जगत के वर्गीकरण का आधार नीचे दिया गया है:
- पादप शरीर के प्रमुख घटक पूरी तरस से विकसित और विभेदित हैं या नहीं।
- संवहन ऊतक उपस्थित हैं या नहीं।
- पादप में बीज बनते हैं या नहीं।
- बीज फल के अंदर विकसित होते हैं या नहीं।
- बीजों में एक पत्र है या दो पत्र हैं।
किंगडम प्लांटी को इन डिविजन में बाँटा गया है: थैलोफाइटा, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म।
प्रश्न 5: जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है?
उत्तर: पौधों के वर्गीकरण के लिए पौधों के मुख्य अंगों में विभेदन को आधार बनाया जाता है, जैसे कि जड़, तना, पत्ती, फूल, आदि की उपस्थिति या अनुपस्थिति। जंतुओं के वर्गीकरण के लिए उनके शरीर का संगठन स्तर देखा जाता है। जंतुओं में यह देखा जाता है कि संगठन केवल कोशिका स्तर का है या जटिल होकर अंगतंत्र स्तर तक पहुँच गया है।
प्रश्न 6: वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वर्टीब्रेटा को विभिन्न वर्गों में बाँटने के लिए निम्नलिखित आधार हैं:
जिन कशेरुकी के जबड़े नहीं होते उन्हें साक्लोस्टोमेटा ग्रुप में रखा गया है। जबड़े वाले जंतुओं को नैथोस्टोमैटा ग्रुप में रखा गया है।
नैथोस्टोमेटा को पाँच ग्रुप में बाँटा गया है, जो इस प्रकार हैं:
- मत्स्य: इन जीवों की त्वचा स्केल से ढ़की होती है और गमन करने के लिए मांसल पूँछ और पख होते हैं। श्वसन के लिए गिल होते हैं। हृदय में दो कक्ष होते हैं।
- उभयचर: इन जीवों की त्वचा चिकनी होती है। गमन करने के लिए चार पैर होते हैं। श्वसन के लिए फुफ्फुस होते हैं। हृदय में तीन कक्ष होते हैं।
- सरीसृप: ये रेंगने वाले जीव होते हैं। श्वसन के लिए फुफ्फुस होते हैं। इनके अंडे के ऊपर कठोर कवच होता है। हृदय में तीन कक्ष होते हैं, लेकिन मगरमच्छ के हृदय में चार कक्ष होते हैं।
- पक्षी: इनके हृदय में चार कक्ष होते हैं और ये समतापी होते हैं। त्वचा के ऊपर पंख होते हैं। अगले पैरों का रूपांतरण डैनों में होता है, जो उड़ने के काम आते हैं।
- स्तनपायी: त्वचा के ऊपर रोयें होते हैं। त्वचा में श्वेद ग्रंथियाँ और तेल ग्रंथियाँ होती हैं। मादा में स्तन ग्रंथियाँ होती हैं जिनसे निकले दूध से शिशु का पोषण होता है। ये जंतु शिशु को जन्म देते हैं।