अशोक महान
आप क्या सीखेंगे
- सम्राट अशोक
- कलिंग का युद्ध
- अशोक की विरासत
अशोक: एक अनोखा सम्राट
अशोक कई मायनों मे एक अनोखा राजा था। वह एकमात्र ऐसा शासक था जिसने एक युद्ध जीतने के बाद अपने साम्राज्य के विस्तार की परिपाटी समाप्त कर दी। वह पहला शासक था जिसने अपनी प्रजा से सीधा संवाद करने की परंपरा शुरु की।
कलिंग का युद्ध
आज के तटीय ओडिसा को कलिंग के नाम से जाना जाता था। अपने साम्राज्य का विस्तार करने की मंशा से अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया और युद्ध में विजयी हुआ। उस युद्ध में एक लाख से अधिक लोग मारे गये, उससे भी अधिक लोग बंदी बनाये गये और बड़ी भारी संख्या में लोग बुरी तरह प्रभावित हुए। उस हादसे को देखकर अशोक स्तब्ध रह गया। इतने बड़े पैमाने पर होने वाले खून खराबे को देखकर अशोक का दिल पिघल गया। उसने प्रण लिया कि भविष्य में कोई युद्ध नहीं लड़ेगा।
अशोक का धम्म
कलिंग के युद्ध के बाद अशोक पर बुद्ध के उपदेशों का गहरा असर पड़ा। अशोक ने एक नये धम्म (धर्म) को अपना लिया जो उस जमाने के हिसाब से क्रांतिकारी था। अशोक के धम्म में भगवान की पूजा का कोई स्थान नहीं था और ना ही उसमें कोई रीति-रिवाज या फिर बलि का प्रावधान था। यदि हम आज के दृष्टिकोण से देखें तो अशोक के धम्म में धर्मनिरपेक्षता की बात थी। धरमनिरपेक्षता का मतलब होता है सभी धर्मों को समान भाव से देखना।
अशोक ने अपनी प्रजा से संवाद के लिए संदशों और अभिलेखों का सहारा लिया। उसने लोगों से कहा कि अन्य धर्मों की इज्जत करें। उन्होंने लोगों को बिना मतलब के रीति-रिवाजों से दूर रहने को कहा।
अशोक का मानना था कि एक राजा को अपनी प्रजा के ऊपर शक्ति प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। उसे लगता था कि लोगों की सेवा करना और उनकी समस्याएँ हल करना ही राजा का कर्तव्य होता है। उसने ‘धम्म महामात्त’ की नियुक्ति की, जिसका काम था लोगों को धम्म के बारे में बताना।
अशोक ने पत्थर के स्तंभों पर अभिलेख खुदवाये ताकि आम लोग उन्हें पढ़ पाएँ। अधिकारियों को निर्देश दिये गये कि वे अनपढ़ लोगों को उस तरह के संदेश पढ़कर सुनाएँ। धम्म का संदेश देने के लिए अन्य देशों में भी दूत भेजे गये।
अशोक ने प्रजा की भलाई के लिये कई काम किये। अशोक के शासन काल में सड़कें बनीं, कुँए खोदे गये और सराय बनवाये गये। अशोक ने न सिर्फ मनुष्यों के लिए बल्कि जानवरों के लिए भी अस्पताल बनवाए।
उस समय के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में प्राकृत भाषा में लिखे गये थे। कुछ स्थानों पर वहाँ की स्थानीय भाषा में अभिलेख लिखे गये थे। आज के अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अरबी में अभिलेख लिखवाये गये।
अशोक की विरासत
अशोक ने अपने पीछे एक संपन्न विरासत छोड़ी है। उसके कई सिद्धांतों का अनुसरण आज भी होता है। हमारे कई राष्ट्रीय प्रतीक अशोक के काल से लिये गये हैं। राष्ट्रीय चिह्न को सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में जो चक्र है उसे अशोक के शासन में कई स्थानों पर इस्तेमाल किया गया था। अशोक द्वारा जारी किये गये सिक्कों में भी ऐसे चक्र बने थे