भोजन के अवयव
हमारे शरीर के लिए कुछ पदार्थ भोजन के रूप में आवश्यक होते हैं। इन पदार्थों को पोषक कहते हैं। भोजन के ये मुख्य अवयव हैं: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज।
कार्बोहाइड्रेट: कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा देने वाला भोजन कहते हैं। हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का मुख्य स्रोत कार्बोहाइड्रेट है। कार्बोहाइड्रेट का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मेल से होता है। कार्बोहाइड्रेट तीन प्रकार के होते हैं: शर्करा, स्टार्च और सेल्यूलोज।
- शर्करा या शुगर: यह एक सरल कार्बोहाइड्रेट है जिसका स्वाद मीठा होता है। ग्लूकोज, गन्ना, दूध और फलों में शुगर होता है
- स्टार्च या मंड: यह एक जटिल कार्बोहाइड्रेट है। यह एक स्वादहीन सफेद पाउडर होता है। गेहूँ, मक्का, आलू और चावल में स्टार्च होता है।
- सेल्यूलोज: यह पादपों की कोशिका भित्ति में रहता है। यह एक जटिल कार्बोहाइड्रेट होता है। मनुष्य का पाचन तंत्र सेल्यूलोज का पाचन करने में अक्षम होता है।
प्रोटीन: प्रोटीन से शरीर के विकास में तथा ऊतकों की मरम्मत में मदद मिलती है। इसलिए प्रोटीन को शरीर की वृद्धि वाला भोजन कहा जाता है। दूध, अंडे, मांस, मछली और दाल में प्रोटीन होता है। प्रोटीन का अणु कई छोटे अणुओं से मिलकर बना होता है जिन्हें एमिनो एसिड कहते हैं। एक वयस्क के शरीर को प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से प्रतिदिन 1 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। लेकिन बढ़ते बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
वसा या फैट: वसा का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से होता है। मक्खन, घी, दूध, अंडे की जर्दी, सूखे मेवे और तेल में प्रचुर मात्रा में वसा होती है। एक वयस्क को प्रतिदिन लगभग 35 ग्रा वसा की आवश्यकता होती है। हमारे शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा को वसा के रूप में जमा कर लिया जाता है। जब शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है तो शरीर वसा का इस्तेमाल करता है। इसलिए वसा को शरीर का ऊर्जा बैंक भी माना जाता है। विटामिन A, D, E और K के अवशोषण के लिए वसा का होना जरूरी होता है। वसा के कारण शरीर से ऊष्मा के ह्रास की रोकथाम होती है।
विटामिन: विटामिन जटिल कार्बनिक कंपाउंड होते हैं। हमारे शरीर के वृद्धि और विकास के लिए विटामिन आवश्यक होते हैं। विटामिन से कोई ऊर्जा नहीं मिलती है। हमारे शरीर के लिए विटामिन A, C, D, E, K और B-कॉम्प्लेक्स की जरूरत होती है। हमारा शरीर केवल दो विटामिन का निर्माण करता है; विटामिन D और K; इसलिए अन्य विटामिन भोजन से ही मिल पाते हैं। विटामिन B कॉम्प्लेक्स कई ऐसे विटामिन का मिश्रण होता है जो जल में घुलनशील होते हैं। इस समूह के महत्वपूर्ण विटामिन हैं: B1 B2 B3 B4 B6 B9 और B12.
खनिज: हमारे शरीर को खनिजों की अल्प मात्रा की जरूरत होती है। लोहा, आयोडीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम और पोटाशियम कुछ महत्वपूर्ण खनिज हैं। ये खनिज हमें जंतुओं और पादपों से मिलते हैं।
अभावजन्य रोग
जब किसी पोषक के लंबे समय के अभाव के कारण कोई रोग होता है तो उस रोग को अभावजन्य रोग कहते हैं। इस टेबल में कुछ अभावजन्य रोगों के बारे में बताया गया है।
विटामिन/खनिज | अभावजन्य रोग | लक्षण |
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विटामिन A | रतौंधी | नजर की कमजोरी, रात में दिखाई न पड़ना |
विटामिन B1 | बेरी बेरी | कमजोर पेशियाँ, थकान |
विटामिन C | स्कर्वी | मसूड़ों से खून आना |
विटामिन D | रिकेट | हड्डियों में झुकाव |
कैल्सियम | ऑस्टिओमैलेशिया | कमजोर हड्डियाँ, दांतों का क्षय |
आयोडीन | ग्वाइटर | गले में स्थाई सूजन |
लौह | एनीमिया | कमजोरी, थकान |
आहारी रेशे: भोजन में उपस्थित रेशों को आहारी रेशा या रुक्षांश कहते हैं। हमारा शरीर इनका पाचन नहीं कर पाता है। लेकिन रुक्षांश से कब्जियत की रोकथाम होती है। रुक्षांश से भोजन का आयतन बढ़ जाता है जिससे पेट भरा हुआ लगता है। रुक्षांश से भोजन को आहार नाल में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। अनाज, सलाद, सब्जियों और अंकुरित दानों में रुक्षांश रहता है।
संतुलित आहार: जिस आहार में सभी पोषक सही अनुपात में रहते हैं उसे संतुलित आहार कहते हैं। किसी भी पोषक की लंबे समय तक कमी होने से अभावजन्य रोग हो सकते हैं।
भोजन में कार्बोहाइड्रेट का परिक्षण: इसके लिए दिये गये खाद्य पदार्थ का पेस्ट बना लिया जाता है। उस पेस्ट में आयोडीन की बूंदें डाली जाती हैं। यदि खाद्य पदार्थ का रंग गहरा नीला हो जाता है तो इससे यह पता चलता है कि खाद्य पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट मौजूद है।
भोजन में प्रोटीन का परीक्षण: इसके लिये दिये गये खाद्य पदार्थ का पेस्ट बना लिया जाता है। फिर उस पेस्ट में 2 बूंद कॉपर सल्फेट और 10 बूंद कॉस्टिक सोडा मिलाया जाता है। यदि खाद्य पदार्थ का रंग बैंगनी हो जाता है तो इससे यह पता चलता है कि खाद्य पदार्थ में प्रोटीन मौजूद है।
भोजन में वसा का परीक्षण: इसके लिए दिये गये खाद्य पदार्थ को एक कागज में लपेटकर मसला जाता है। यह सावधानी रखनी होती है कि कागज फट न जाये। उसके बाद कागज को फैलाकर रोशनी में देखा जाता है। यदि कागज पर धुंधले धब्बे दिखाई पड़ते हैं जिनसे हल्की रोशनी आर पार होती हो तो इससे यह पता चलता है कि खाद्य पदार्थ में वसा मौजूद है।