पौधों को जानिये
हमारे चारों और नाना प्रकार के पौधे दिखाई देते हैं। इन्हें उँचाई, तने और शाखाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इन गुणों के आधार पर पादप तीन प्रकार के होते हैं: शाक, झाड़ी और वृक्ष।
शाक: इनका आकार छोटा होता है और इनके तने मुलायम होते हैं। शाक की उँचाई तुम्हारी उँचाई से कम होती है। उदाहरण: गेहूँ, धान, बंदगोभी, घास, पुदीना, आदि।
झाड़ी: ये मध्यम आकार के होते हैं। झाड़ी की उँचाई तुम्हारी उँचाई के बराबर होती है। झाड़ी के तने में शाखाएँ जमीन से थोड़े ऊपर से ही निकलती हैं। उदाहरण: नींबू, धनिया, मेंहदी, गुलाब, उड़हुल, आदि।
वृक्ष: इनका आकार बड़ा होता है। वृक्ष की उँचाई तुम्हारी उँचाई से बहुत अधिक होती है। वृक्ष में एक मुख्य तना होता है जिससे शाखाएँ निकलती हैं। इन शाखाओं पर पत्तियाँ, फूल और फल लगते हैं। उदाहरण: आम, बबूल, नीम, नारियल, जामुन, आदि।
पादप के कुछ अन्य प्रकार
विसर्पी लता: कुछ पौधों का तना इतना कमजोर होता है कि ये अपने आप खड़े नहीं होते हैं। जब इस तरह के पौधे जमीन पर ही आगे बढ़ते हैं तो उन्हें विसर्पी लता कहते हैं। उदाहरण: लौकी, कद्दू, तरबूज, शकरकंदी, आदि।
आरोही लता: जब कमजोर तने वाला पौधा किसी सहारे पर चढ़ जाता है तो इसे आरोही लता कहते हैं। उदाहरण: अंगूर, खीरा, मनी प्लांट, आदि।
पादप की संरचना
एक प्रारूपी पादप के दो मुख्य भाग होते हैं: जड़ और तना। जड़ जमीन के नीचे रहती है जबकि तना जमीन के ऊपर रहता है।
जड़
जड़ हल्के पीले या मटमैले रंग की होती है। जड़ का काम है पौधे को मिट्टी में जमाए रखना। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो जड़ एक लंगर की तरह काम करती है। जड़ का दूसरा काम है मिट्टी से पानी और खनिज लवन का अवशोषण करना। जड़ें दो प्रकार की होती हैं।
मूसला जड़: इस प्रकार की जड़ में एक मुख्य जड़ होती है और उससे कई शाखाएँ और उपशाखाएँ निकलती हैं। मूसला जड़ जमीन में अधिक गहराई तक जाती है। उदाहरण: मटर, मूली, गाजर, आम, गेंदा, सरसों, आदि।
रेशेदार जड़ या झकड़ा जड़: इस प्रकार की जड़ में तने के आधार से कई पतली-पतली जड़ें निकलती हैं। इस प्रकार के जड़ें जमीन में चारों तरफ फैल जाती हैं, लेकिन गहराई में नहीं जाती हैं। उदाहरण: धान, गेहूँ, मक्का, घास, ज्वार, आदि।
तना
तने द्वारा पादप का मुख्य ढ़ाँचा बनता है। तने पर शाखाएँ, पत्तियाँ, फूल और फल लगते हैं। तने के जिस बिंदु से कोई शाखा या पत्ती निकलती है उसे नोड कहते हैं। दो नोड के बीच के भाग को इंटरनोड कहते हैं।
तने के कार्य
- पादप को ढ़ाँचा प्रदान करना
- तने पर शाखाएँ, पत्तियाँ फूल और फल लगते हैं।
- जड़ से आगे जल और खनिज लवन का संवहन तने द्वारा होता है।
- भोजन का संवहन भी तने द्वारा होता है।