वायु
वायु हमारे चारों ओर मौजूद है। हम अपने आस पास मौजूद हवा को देख नहीं सकते हैं। लेकिन जब पत्तियाँ सरसराहट करती हैं तो हम समझ जाते हैं कि यह हवा के कारण हो रहा है।
वायु का महत्व
- हर सजीव को सांस लेने के लिये हवा चाहिए
- किसी पदार्थ का दहन करने के लिए हवा चाहिए
- हवाई जहाज और चिड़िया हवा की अनुपस्थिति में नहीं उड़ पायेंगे
- पृथ्वी पर हवा के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है
हवा का संघटन
वायु कई गैसों, जलावाष्प और धूलकणों का मिश्रण है। वायु में उपस्थित कुछ गैसों के बारे में नीचे दिया गया है।
नाइट्रोजन: वायु का सबसे बड़ा घटक नाइट्रोजन है। हमारे आस पास की वायु का 79% हिस्सा नाइट्रोजन है। पादपों को प्रोटीन बनाने के लिए नाइट्रोजन की जरूरत पड़ती है। पादप हवा में मौजूद नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण नहीं कर पाते हैं। मिट्टी में कुछ बैक्टीरिया होते हैं जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण का काम करते हैं। ये बैक्टीरिया नाइट्रोजन के ऐसे कम्पाउंड बनाते हैं जिन्हें पौधे आसानी से ग्रहण कर सकें।
ऑक्सीजन: हवा का दूसरा बड़ा घटक है ऑक्सीजन। हवा का 21% हिस्सा ऑक्सीजन से बना है। हर सजीव को श्वसन के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन के बिना किसी वस्तु का दहन करना असंभव है। श्वसन और दहन के फलस्वरूप कार्बन डाइऑकसाइड गैस निकलती है।
कार्बन डाइऑक्साइड: हवा के शेष 1% हिस्से में कार्बन डाइऑक्साइड और कई अन्य गैसें, जलवाष्प और धूलकण होते हैं। सजीवों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पौधों को प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड की जरूरत होती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान पादप कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस तरह से पौधे हमारे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाये रखते हैं।
जल में वायु: पानी में भी हवा मौजूद रहती है। जल में घुली हुई वायु के कारण ही जलीय जीव पानी के भीतर सांस ले पाते हैं। जब आप पानी को उबालते हैं तो उसमें से बुलबुले निकलते हैं। ये बुलबुले इस बात की पुष्टि करते हैं कि जल में वायु रहती है।
वायु में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन की उपस्थिति को दिखाने के लिए क्रियाकलाप
इसके लिए एक मोमबत्ती, काँच का गिलास और एक पैन लीजिए। पैन में पानी भर दीजिए। मोमबत्ती को पैन में खड़ा कीजिए और फिर मोमबत्ती को जला दीजिए। उसके बाद मोमबत्ती को गिलास से ढ़क दीजिए। आप देखेंगे कि मोमबत्ती कुछ ही देर में बुझ जाती है।
गिलास के भीतर उपस्थित ऑक्सीजन का उपयोग मोमबत्ती को जलाने में होता है। जब सारा ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है तो मोमबत्ती बुझ जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि कार्बन डाइऑक्साइड दहन का विरोधी है।
जब मोमबत्ती बुझ जाती है तो जल की कुछ मात्रा गिलास के भीतर खिंच जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि कार्बन डाइऑक्साइड का आयतन ऑक्सीजन के आयतन से कम होता है।
आपने यह भी देखा होगा कि इन सब गतिविधियों के बाद भी गिलास के भीतर वायु की अच्छी खासी मात्रा है। इस वायु के अधिकांश हिस्से में नाइट्रोजन रहता है। नाइट्रोजन गैस दहन का समर्थन नहीं करती है।