6 इतिहास

आरंभिक नगर

आप क्या सीखेंगे:

लोगों का जीवन

आपने पढ़ा है कि गांव के लोगों का मुख्य पेशा खेतीबारी होती है। लेकिन शहर के लोग कई अन्य पेशे में शामिल रहते हैं। हड़प्पा के शहरों में कुछ संभावित पेशे इस प्रकार हो सकते हैं:

शिल्प:

बरतन बनाने के लिए मिट्टी, तांबा और कांसे का उपयोग होता था। औजार, हथियार और सील बनाने के लिए तांबे और कांसे का प्रयोग होता था। मिट्टी के सील भी बनाये जाते थे। कई बड़े बरतन भी मिले हैं, जिनका इस्तेमाल शायद अनाज रखने के लिये किया जाता था।

जेवर बनाने के लिए सोना, मनके, लकड़ी और मिट्टी का इस्तेमाल होता था। मनके बनाने के लिए महंगे पत्थर का प्रयोग होता था, जैसे कि कैनेलियन, जैस्पर, क्रिस्टल, आदि।

Utensils from Harappa
Bust of King Priest from Harappa

खिलौने बनाने के लिए मिट्टी और लकड़ी का प्रयोग होता था। एक गाड़ी के आकार का खिलौना बड़ी अच्छी हालत में मिला है। इसे देखकर लगता है कि उस जमाने में गाड़ी को जानवरों द्वारा खींचा जाता था।

खिलौनों, बरतनों और जेवरों पर जटिल नक्काशी देखने को मिलती है। इससे सिंधु घाटी सभ्यता के कारीगरों की दक्षता का पता चलता है।

कुछ तकलियाँ भी मिली हैं, जिनका इस्तेमाल धागा बनाने के लिए होता था। लोग कपास से धागा बनाते थे।

Fig 1 Ref: Wikipedia Fig 2 Ref: Wikipedia

व्यापार

हड़प्पा के लोगों का मुख्य व्यवसाय व्यापार था। तांबा राजस्थान तथा ओमन से आता था। हड़प्पा के कुछ सील मेसोपोटामिया में मिले हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा और मेसोपोटामिया के बीच व्यापार हुआ करता था।

गुजरात के लोथल में एक बंदरगाह मिला है। इससे पता चलता है कि उस जमाने में समुद्री मार्ग से व्यापार होता था। कई तरह के सील मिलने से यह पता चलता है कि व्यावसायिक लेन देन का सिस्टम अच्छी तरह से विकसित था।

खेती

आपने पहले पढ़ा है कि झुलसे हुए अनाजों के अवशेष मिले हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के गांवों में गेहूँ, जौ, दलहन, मटर, चावल, तिल, अलसी और सरसों की खेती होती थी।

हल की शक्ल का एक खिलौना भी मिला है। इससे पता चलता है कि खेत जोतने के लिए हल का इस्तेमाल होता था। बड़े भंडार गृह और बड़े-बड़े बरतनों के मिलने से यह पता चलता है कि अनाजों का उत्पादन प्रचुर था।

पुरास्थलों से कई पालतू पशुओं की हड्डियाँ भी मिली हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा के लोग गाय, भैंस, बकरियाँ, भेड़ और सूअर पाला करते थे।

जीवन के कुछ अन्य पहलू

हड़प्पा सभ्यता के अंत का रहस्य

हड़प्पा सभ्यता का अंत अचानक से आज से 3900 वर्ष पहले हो गया। टूटी सड़कों और जाम पड़ी नालियों से पता चलता है कि सारा तंत्र खराब हो चुका था। बाद के समय की खुदाई में दूर के स्थानों के सामानों के अवशेष नहीं मिलते हैं। इसका मतलब है कि बाहरी दुनिया से व्यापार समाप्त हो चुका था। घरों की दशा भी खराब हो चुकी थी। शहर के लोग अब धनी नहीं रह गये थे। इतिहासकार अभी तक सिंधु घाटी सभ्यता के अंत का सही कारण समझ नहीं पाये हैं। लेकिन कुछ अनुमान लगाये गये हैं, जो नीचे दिये गये हैं: