दिल्ली सुल्तान
1219 में मंगोलों ने ईरान के पूर्वोत्तर भागों और ट्रान्सॉक्सियाना पर आक्रमण किया था। उसके तुरंत बाद उन्होंने दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण किया। अलाउद्दीन खलजी और मुहम्मद तुगलक के शासन के शुरुआती दौर में दिल्ली सुलतान पर आक्रमण बढ़ गये थे। इसलिए उन्हें दिल्ली में एक बड़ी सेना तैयार रखनी पड़ती थी, जो एक चुनौती भरा काम था।
अलाउद्दीन खलजी के समय मंगोल का आक्रमण
- मंगोलों ने एक बार 1299/1300 में और फिर 1302/1303 में दिल्ली पर आक्रमण किया था। इसका मुकाबला करने के लिए खलजी ने एक बड़ी सेना तैयार कर ली थी।
- खलजी ने एक गैरिसन शहर बनाया जिसका नाम सीरी रखा गया।
- खलजी ने सैनिकों के राशन के इंतजाम के लिए गंगा यमुना दोआब के क्षेत्र से कर वसूलना शुरु किया। किसान की उपज का 50 प्रतिशत कर के रूप में वसूला जाता था।
- खलजी के समय में सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था। व्यापारियों द्वारा मुनाफाखोरी रोकने के लिए कीमतें तय की गईं।
- खलजी के प्रशासन की बड़ाई कई इतिहासकारों ने की है। उसने कीमतों को नियंत्रण में रखा और बाजार में माल की भरपूर आपूर्ति सुनिश्चित की। वह मंगोलों के आक्रमण को रोकने में कामयाब रहा।
तुगलक के समय मंगोल का आक्रमण
- तुगलक ने पहले से ही बड़ी सेना तैया कर रखी थी, और मंगोलों को हराने में कामयाब हो गया। उसके बाद उसने ट्रांसऑक्सियाना पर आक्रमण करने की योजना बनाई
- तुगलक ने सैनिकों के रहने के लिए पुराने शहर दिल्ली-ए कुहना को खाली करवा दिया और वहाँ के निवासियों को दक्षिण में एक नये शहर दौलताबाद भेजने का आदेश दे दिया।
- तुगलक ने सैनिकों का पेट भरने के लिए स्थानीय क्षेत्र से कर वसूला। साथा में कुछ अतिरिक्त कर भी लगाये गये। उसी समय दिल्ली में अकाल पड़ गया।
- तुगलक भी सैनिकों को नकद वेतन देता था। उसने सस्ती धातु से बनी हुई टोकन मुद्रा चलाई। लेकिन उन सिक्कों पर लोगों का भरोसा नहीं था। उन सिक्कों की नकल बड़ी आसानी से बन जाती थी। लोगों ने सोने चांदी के सिक्के जमा कर लिए और टोकन मुद्रा में ही टैक्स देते रहे।
- तुगलक का प्रशासन बुरी तरह विफल रहा। जब उसने कश्मीर पर आक्रमण किया तो विफल हो गया। इसलिए उसने ट्रांसऑक्सियाना पर हमले की योजना छोड़ दी और अपनी सेना को भंग कर दिया।
हालांकि तुगलक के प्रशासन को असफल माना जाता है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह पहला सुलतान था जिसने मंगोल पर आक्रमण की योजना बनाई।