भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
भौतिक परिवर्तन
जिस परिवर्तन के बाद किसी पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है उसे भौतिक परिवर्तन कहते हैं। भौतिक परिवर्तन के बाद किसी नये पदार्थ का निर्माण नहीं होता है। भौतिक परिवर्तन अक्सर उत्क्रमणीय होते हैं, यानि पदार्थ को भौतिक क्रिया द्वारा मूल रूप में लाया जा सकता है।
उदाहरण: जब आप कागज को मोड़कर उससे हवाई जहाज बनाते हैं तो कागज के आकार में परिवर्तन होता है। इसमें किसी नये पदार्थ का निर्माण नहीं होता है। इसलिए यह भौतिक परिवर्तन है।
उदाहरण: जब पानी को फ्रीजर में एकाध घंटे के लिए रखा जाता है तो बर्फ बन जाता है। इस परिवर्तन में पानी की अवस्था बदलती और किसी नये पदार्थ का निर्माण नहीं होता है। बर्फ पिघलकर फिर से पानी बन जाता है। इसलिए पानी का जमना भौतिक परिवर्तन है।
रासायनिक परिवर्तन
जिस परिवर्तन के बाद किसी पदार्थ के रासायनिक गुणों में परिवर्तन होता है और नये पदार्थ का निर्माण होता है उसे रासायनिक परिवर्तन कहते हैं। रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया या रासायनिक प्रतिक्रिया भी कहते हैं।
रासायनिक परिवर्तन के साथ होने वाली घटनाएँ:
- ऊष्मा, प्रकाश या अन्य प्रकार के विकिरण का निकलना या अवशोषित होना।
- ध्वनि का उत्पन्न होना।
- गंध में परिवर्तन या गंध का निकलना।
- रंग में परिवर्तन
- किसी गैस का निकलना।
उदाहरण: लोहे में जंग लगना एक रासायनिक परिवर्तन है। जब हम लोहे की किसी चीज को खुले में कुछ दिनों के लिए छोड़ देते हैं तो उस चीज के ऊपर एक भूरे रंग की परत जम जाती है। भूरे रंग के इस पदार्थ को जंग कहते हैं। जंग लोहा नहीं है बल्कि लोहे का यौगिक है। जब लोहे को खुले में छोड़ा जाता है तो यह वातावरण की हवा और नमी के साथ अभिक्रिया करके जंग का निर्माण करता है। इस अभिक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिखाया जाता है।
लोहा + ऑक्सीजन + जल → जंग (आयरन ऑक्साइड)
Fe + O2 + H2O → Fe2O3
जंग की रोकथाम
जंग से बहुत नुकसान होता है, क्योंकि जंग लगने से लोहे का सामान कमजोर हो जाता है और अंत में बेकार हो जाता है। जंग से रोकथाम के लिए कई तरीके अपनाये जाते हैं।
- पेंट: लोहे के सामान, जैसे फर्नीचर, दरवाजे, जहाज, आदि के ऊपर पेंट की एक परत चढ़ाई जाती है। पेंट की परत से जंग लगने को रोका जा सकता है।
- गैल्वेनाइजेशन: लोहे पर जिंक (जस्ता) की एक परत चढ़ाते हैं। इस प्रक्रिया को गैल्वेनाइजेशन कहते हैं। पानी की पाइप पर जिंक की परत चढ़ाई जाती है। इससे जंग की रोकथाम होती है।
- क्रोम प्लेटिंग: लोहे पर क्रोमियम की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को क्रोम प्लेटिंग कहते हैं। क्रोम प्लेटिंग के कारण लोहे के सामान में चमक आ जाती है। साइकिल और मोटरसाइकिल की रिम और हैंडल को क्रोम प्लेटिंग़ के द्वारा चमकाया जाता है।
- स्टेनलेस स्टील: यह एक मिश्रधातु है। लोहे में कार्बन, मैंगनीज, निकेल और क्रोमियम मिलाकर स्टेनलेस स्टील बनाई जाती है। स्टेनलेस स्टील में जंग नहीं लगता है।
उदाहरण: जब मैग्नीशियम के फीते को हवा की उपस्थिति में जलाया जाता है तो चमकदार सफेद रोशनी निकलती है और सफेद राख बनती है। इस परिवर्तन में मैग्नीशियम का दहन होता है और अभिक्रिया के अंत में मैग्नीशियम ऑक्साइड (सफेद राख) बनता है। इसे इस समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।
मैग्नीशियम + ऑक्सीजन → मैग्नीशियम ऑक्साइड
Mg + O2 → MgO
उदाहरण: तूतिया (कॉपर सल्फेट) का क्रिस्टल नीले रंग का होता है और जल में कॉपर सल्फेट का विलयन भी नीले रंग का होता है। जब कॉपर सल्फेट के विलयन में लोहे की कील या ब्लेड रखी जाती है तो थोड़ी देर बाद विलयन का रंग हरा हो जाता है। ऐसा आयरन सल्फेट बनने के कारण होता है। इस अभिक्रिया को इस समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।
आयरन + कॉपर सल्फेट → आयरन सल्फेट + कॉपर
Fe + CuSO4 → FeSO4 + Cu
उदाहरण: जब सिरके (ऐसिटिक अम्ल) में खाने का सोडा डाला जाता है तो बुदबुदाहट होती है। ऐसा कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनने के कारण होता है। इस अभिक्रिया को इस समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।
सिरका (ऐसिटिक अम्ल) + खाने का सोडा (सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट) → कार्बन डाइऑक्साइड + अन्य पदार्थ
CH3COOH +NaHCO3 → CO2 + CH3COONa + H2
जब ऊपर दी गई अभिक्रिया में निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है तो चूने के पानी का रंग दूधिया हो जाता है। ऐसा कैल्सियम कार्बोनेट बनने के कारण होता है। इस अभिक्रिया को इस समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।
कार्बन डाइऑक्साइड + चूने का पानी → कैल्सियम कार्बोनेट + जल
CO2 + Ca(OH)2 → CaCO3 + H2O
इन सभी उदाहरणों में आपने देखा कि किसी में रंग में परिवर्तन होता है, किसी में गैस बनती है और हर बार कोई न कोई नया पदार्थ बनता है। इससे पता चलता है कि इन उदाहरणों में रासायनिक परिवर्तन होता है।
क्रिस्टलीकरण
किसी पदार्थ के विलयन से उस पदार्थ के शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते हैं। इसे समझने के लिए एक प्रयोग कीजिए।
एक बीकर में शुद्ध जल लीजिए और उसमें कुछ बूँदें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की डालिए। अब जल को धीरे धीरे गर्म कीजिए और उसमें थोड़ा थोड़ा करके कॉपर सल्फेट का पाउडर डालकर मिलाते रहिए। तब तक कॉपर सल्फेट मिलाते रहिए जब तक कि और अधिक कॉपर सल्फेट मिलाना संभव न हो। उसके बाद विलयन को शांत छोड़ दीजिए। एकाध घंटे के बाद आपको विलयन में कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल प्राप्त हो जाएँगे।