ऊष्मा
ऊष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है। किसी भी वस्तु में कितनी ऊष्मा है इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि वह वस्तु कितनी गर्म अथवा ठंडी है।
गर्म या ठंडा
कोई वस्तु गर्म है या ठंडी, इसका पता हम छू कर लगा सकते हैं। लेकिन स्पर्श के द्वारा या छू कर पता लगाने में दो समस्याएँ हैं। पहली समस्या है कि छूकर हम बिलकुल सटीक नहीं बता सकते। दूसरी समस्या है कि कुछ चीजें इतनी गर्म होती हैं कि उन्हें छूने से हमारा हाथ जल सकता है।
किसी वस्तु का तापमान बताने के लिए हमारी स्पर्श की इंद्रिय कारगर नहीं है इसे समझने के लिए एक प्रयोग करते हैं। तीन नाद लीजिए जिन्हें A, B और C नाम रख दीजिए। नाद A में गर्म पानी रखिए, नाद B में ठंडा पानी रखिए और नाद C में गुनगुना पानी रखिए (पहले दोनों नादों के पानी को मिलाकर)।
अब अपना दाहिना हाथ नाद A में रखिए और बाँया हाथ नाद B में रखिए। उसके बाद दोनों हाथों को नाद C में रखिए। आप देखेंगे कि आपके दाहिने हाथ को नाद का पानी ठंडा लग रहा है, जबकि आपके बाएँ हाथ को यही पानी गर्म लग रहा है। इस प्रयोग से आपको ताप बताने के लिए स्पर्श की सीमित क्षमता का पता चल जाएगा।
थर्मामीटर
ताप से हमें किसी वस्तु में मौजूद ऊष्मा का पता चलता है। दूसरे शब्दों में, किसी वस्तु में मौजूद ऊष्मा के मापन को ताप या तापमान कहते हैं। किसी वस्तु का तापमान बताने के लिए जिस युक्ति का इस्तेमाल करते हैं उसे थर्मामीटर कहते हैं।
थर्मामीटर काँच से बनी बेलनाकार नली होती है जिसके अंदर पारा भरा रहता है। थर्मामीटर को गौर से देखने पर उसके भीतर का पारा एक पतली चमकीली लाइन जैसा दिखता है। थर्मामीटर के एक सिरे पर एक चमकदार बल्ब होता है जो पारे के कारण चमकता है। थर्मामीटर के ऊपर तापमान को दिखाने के लिए स्केल बना होता है। यह स्केल सेंटीग्रेड (सेल्सियस) या फारेनहाइट में हो सकता है। थर्मामीटर दो प्रकार के होते हैं: डाक्टरी थर्मामीटर और प्रयोगशाला थर्मामीटर।
डाक्टरी थर्मामीटर
डाक्टरी थर्मामीटर में तापमान की रेंज 35 से 42 डिग्री सेल्सियस होती है। डाक्टरी थर्मामीटर की रेंज इन दो तापमानों के बीच इसलिए रखी जाती है क्योंकि मानव शरीर का तापमान 35°C से कम और 42°C से अधिक नहीं होता है। डाक्टरी थर्मामीटर में बल्ब से थोड़ी दूर पर एक किंक होता है जो पारे के लेवेल को अपने आप नीचे गिरने से रोकता है।
डाक्टरी थर्मामीटर के इस्तेमाल का तरीका
- सबसे पहले थर्मामीटर के बल्ब को किसी एंटीसेप्टिक से साफ कीजिए।
- उसके बाद थर्मामीटर को हाथ से दो तीन बार झटके दीजिए। इससे पारे का लेवेल 35°C पर आ जाएगा।
- उसके बाद थर्मामीटर के बल्ब को अपनी जीभ के नीचे लगभग एक मिनट तक रखिए।
- थर्मामीटर को मुँह से निकाल लीजिए और तापमान पढ़ने की कोशिश कीजिए।
प्रयोगशाला थर्मामीटर
प्रयोगशाला थर्मामीटर की रेंज अक्सर 10°C से 110°C होती है। प्रयोगशाला थर्मामीटर में किंक नहीं होता है, इसलिए इसमें पारे का स्तर अपने आप नीचे गिर जाता है। इसलिए प्रयोगशाला थर्मामीटर का पठन लेते समय यह उस वस्तु के सम्पर्क में होना चाहिए जिसका तापमान लेने की कोशिश हो रही है।