निर्धनता
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है?
उत्तर: भारत में निर्धनता रेखा का आकलन आय और उपभोग के सूचकों द्वारा किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले पाँच व्यक्तियों के एक परिवार की मासिक आय यदि 4,080 रु से कम है तो वह परिवार निर्धन माना जाता है। शहरी क्षेत्र के लिए यह राशि 5,000 रु प्रति माह है। प्रति व्यक्ति कैलोरी उपभोग यदि ग्रामीण क्षेत्र में 2400 से कम हो और शहरी क्षेत्र में 2100 से कम हो तो वह व्यक्ति निर्धन माना जाता है।
प्रश्न 2: क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर: मुझे लगता है कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही नहीं है। इससे यह नहीं पता चलता है कि किसी व्यक्ति को अन्य मूलभूत सुविधाएँ मिल रही हैं या नहीं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, पेय जल, आदि।
प्रश्न 3: भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर: 1070 के दशक में भारत में आर्थिक संवृद्धि की दर 3.5% थी यानि बहुत कम थी। इस दौरान जनसंख्या तेजी से बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप गरीबों की संख्या भी बहुत बढ़ गई। 1980 और 1990 के दशक में भारत की अर्थव्यवस्था 6% की दर से बढ़ी और भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर बढ़े और लोगों की आय भी बढ़ी।
प्रश्न 4: भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर: भारत के अलग-अलग राज्यों में गरीबी का स्तर अलग-अलग है। भारत में 22% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। बिहार में 33.7% और ओडिसा में 32.6% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, आदि राज्यों में यह प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर से कम है। केरल में केवल 7% लोग ही गरीबी रेखा के नीचे हैं।
प्रश्न 5: उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
उत्तर: भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय सामाजिक और आर्थिक समूहों के नाम नीचे दिये गये हैं:
- अनुसूचित जाति
- अनुसूचित जनजाति
- अल्पसंख्यक
- विकलांग
- महिलाएँ
प्रश्न 6: भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर: भारत में अंतर्राज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कई कारण हैं। भू-सुधार के कई प्रयासों के बावजूद आज भी भारत के अधिकांश किसान भूमिहीन हैं। हरित क्रांति से कृषि के क्षेत्र में होने वाली तरक्की कुछ राज्यों तक ही सीमित रही, जैसे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश। बाकी के राज्यों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। औद्योगिक विकास भी भारत के कुछ राज्यों तक ही सीमित रहा।
प्रश्न 7: वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।
उत्तर: पूरी दुनिया में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों का अनुपात 1990 के 36% से गिर कर 2015 में 10% रह गया। चीन में निर्धनों की संख्या 1981 के 88.3% से गिर कर 2008 में 14.7% हो गई। दक्षिण एशिया के अन्य देशों (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान) में भी गरीबों की संख्या तेजी से गिरी है और 2005 के 34% से यह 2013 में 16.2% हो गई है।
सब-सहारा अफ्रीका में निर्धनता 2005 के 51% से घटकर 2015 में 41% हो गई। लैटिन अमेरिका में निर्धनता 2005 के 10% से घटकर 2015 में 4% हो गई।
प्रश्न 8: निर्धनता उन्मूलन की वर्तमान सरकारी रणनीति की चर्चा करें।
उत्तर: भारत में निर्धनता दूर करने के उपाय दो लक्ष्यों पर काम करते हैं: आर्थिक संवृद्धि और लक्षित गरीबी-उन्मूलन। आर्थिक संवृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकार ऐसी नीतियाँ बनाती है जिससे उद्योग धंधों और व्यवसाय को बढ़ावा मिले। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद उद्योग और व्यवसाय को काफी प्रश्रय मिला है। लक्षित गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार कई कार्यक्रम लाती है, जैसे मनरेगा।
प्रश्न 9: निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें:
(a) मानव निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की कमी को निर्धनता कहते हैं। भोजन, घर, कपड़े, स्वास्थ्य सुविधाएँ, सफाई, आदि, मूलभूत आवश्यकताएँ हैं।(b) निर्धनों में भी सबसे निर्धन कौन है?
उत्तर: जो सामाजिक रूप से सबसे असहाय और असुरक्षित श्रेणी में आता है वह निर्धनों में भी सबसे निर्धन है, जैसे अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक, महिला, आदि।(c) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की मुख्य विशेषताएँ:
- गाँव के हर परिवार के एक व्यक्ति को एक वर्ष में कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी
- यदि किसी व्यक्ति को 15 दिनों के भीतर रोजगार नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी भत्ता दी जायेगी।