भारत: भौगोलिक स्वरूप
भारत की भौगोलिक आकृतियों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है:
- हिमालय पर्वत श्रृंखला
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह
हिमालय पर्वत श्रृंखला
हिमालय पर्वत श्रृंखला में दुनिया के सबसे नवीनतम पर्वत हैं और ये सभी वलय पर्वत हैं। हिमालय पर्वत माला भारत की उत्तरी सीमा के साथ साथ चलती है। हिमालय पर्वत श्रृंखला लगभग 2,400 किमी लंबा अर्धवृत्त बनाती है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 किमी से लेकर अरुणाचल में 150 किमी तक है। पश्चिमी भाग की तुलना में पूर्वी भाग में ऊँचाई में बहुत अधिक विविधता है। इसकी लम्बाई में (पश्चिम से पूर्व) तीन समांतर श्रृंखलाएँ हैं।
महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि
यह उत्तर में स्थित है और सबसे अधिक सतत श्रृंखला है। इस श्रृंखला में दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत स्थित हैं। इस श्रृंखला में चोटियों की औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है। हिमालय के सभी प्रधान शिखर इसी श्रृंखला में स्थित हैं। इस पर्वत का क्रोड लिगनाइट शैलों से बना है। महान हिमालय के वलय एक समान नहीं हैं। अत्यधिक ऊँचाई के कारण इस पर्वत माला की चोटियाँ सालों भर बर्फ से ढ़की रहती हैं।
निम्न हिमालय या हिमाचल
महान हिमालय के दक्षिण में पड़ता है निम्न हिमालय या हिमाचल। इस श्रृंखला की चोटियाँ 3,700 से 4,500 किमी तक ऊँची हैं। इस श्रृंखला की औसत चौड़ाई 50 किमी है। यह श्रृंखला अत्यधिक संपीड़ित और रूपांतरित शैलों से बनी है।
शिवालिक
सबसे दक्षिण में स्थित श्रृंखला को शिवालिक कहते हैं। इस श्रृंखला की ऊँचाई 900 से 1100 किमी है और चौड़ाई 10 से 50 किमी है। यह श्रृंखला नदियों द्वारा लाई गई असंपीड़ित अवसादों से बनी हुई है। निम्न हिमालय और शिवालिक के बीच स्थित लंबवत घाटी को दून के नाम से जाना जाता है, जैसे कि देहरादून, कोटलीदून और पाटलीदून।
पूर्व से पश्चिम तक के हिमालय के क्षेत्र
- पंजाब हिमालय: यह भाग सिंधु और सतलुज के बीच पड़ता है। पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने पर इसे कश्मीर हिमालय और हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
- कुमाऊँ हिमालय: यह हिस्सा सतलुज और काली नदियों के बीच पड़ता है।
- नेपाल हिमालय: यह हिस्सा काली और तिस्ता नदियों के बीच पड़ता है।
- असम हिमालय: यह हिस्सा तिस्ता और दिहंग नदियों के बीच पड़ता है।
पूर्वी पर्वत और पहाड़ियाँ: ब्रह्मपुत्र नदी से हिमालय की पूर्वी सीमा समाप्त हो जाती है। दिहंग गॉर्ज (महाखड्ड) के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फैलकर पूर्वी पहाड़ियों या पूर्वांचल का निर्माण करता है। ये पहाड़ मजबूत बलुआ पत्थरों से बने हुए हैं। पूर्वांचल में पटकाई, नागा, मणिपुरी और मिजो पहाड़ियाँ शामिल हैं।
उत्तरी मैदान
भारत का उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों से बना है: सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र। यह मैदान लाखों वर्षों के दौरान जमा हुई जलोढ़ मिट्टी से बना है। उत्तरी मैदान का कुल क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किमी है। यह लगभग 2,400 किमी लंबा और 240 से 320 किमी चौड़ा है।
उत्तरी मैदान को तीन भागों में बाँटा जा सकता है: पंजाब का मैदान, गंगा का मैदान और ब्रह्मपुत्र का मैदान।
पंजाब का मैदान: यह उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को बनाता है। यह मैदान सिंधु और उसकी सहायक नदियों (झेलम, चेनाब, रावी, बेआस और सतलुज) द्वारा बना है। इस का अधिकतर हिस्सा पाकिस्तान में है। इस मैदान में दोआब की भरमार है। दो नदियों के बीच के हिस्से को दोआब कहते हैं।
गंगा का मैदान: यह मैदान घघ्घर और तिस्ता नदियों के बीच स्थित है। भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग और पश्चिम बंगाल इसी मैदान में स्थित हैं।
ब्रह्मपुत्र का मैदान: यह उत्तरी मैदान के पूर्वी हिस्से का निर्माण करता है मुख्यत: असम में पड़ता है।
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को चार क्षेत्रों में बाँटा गया है: भाबर, तराई, भांगर और खादर।
- भाबर: पर्वतों से निकलने के बाद नदियाँ एक संकरी पट्टी में गुटिकाओं का निक्षेपण करती हैं। इस पट्टी की चौड़ाई 8 से 16 किमी है और यह शिवालिक के समांतर है। इस क्षेत्र में आने पर सभी सरिताएँ विलुप्त हो जाती हैं।
- तराई: यह भाबर के दक्षिण में स्थित है। इस क्षेत्र में सरिताएँ फिर से निकलती हैं और इस क्षेत्र को एक नम और दलदली क्षेत्र बनाती हैं।
- बांगर: यह सबसे पुरानी जलोढ़ मृदा से बना क्षेत्र है और उत्तरी मैदान का सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित है। इस क्षेत्र की मृदा में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं जिन्हें कंकड़ कहते हैं।
- खादर: सबसे नई जलोढ़ मृदा से बनने वाले बाढ़ के मैदान को खादर कहते हैं। इस क्षेत्र की मिट्टी हर साल नई हो जाती है, इसलिए यह क्षेत्र अत्यधिक उपजाऊ है।