भारत: भौगोलिक स्वरूप
प्रायद्वीपीय पठार
यह के मेज की आकृति वाला क्षेत्र है। यह गोंडवाना लैंड के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था इसलिए यह सबसे पुराने शैलों से बना हुआ है। इस भाग में चौड़ी और छिछली घाटियाँ हैं और गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
प्रायद्वीपीय पठार को दो क्षेत्रों में बाँटा गया है: मध्य उच्चभूमि तथा दक्कन का पठार।
मध्य उच्चभूमि
यह नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है। यह मालवा के पठार के अधिकतर भागों में फैला है। इस क्षेत्र की नदियाँ दक्षिण पश्चिम से पूर्व उत्तर की ओर बहती हैं, जिससे इस क्षेत्र की ढ़ाल का पता चलता है। यह पश्चिम में चौड़ा और पूर्व में पतला है। इस पठार के पूर्वी प्रसार को बुंदेलखंड या बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। उसके आगे पूर्व में यह छोटानागपुर पठार तक फैला हुआ है।
दक्कन का पठार
यह नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है। इस त्रिभुज के आकार का है। इसके उत्तरी हिस्से में सतपुरा श्रृंखला और और उत्तर पश्चिम में अरावली है। पूर्वी हिस्से में महादेव, कैमूर पहाड़ी और मैकाल श्रृंखला है। दक्कन के पठार की ढ़ाल पश्चिम से पूर्व की ओर है। यह पूर्वोत्तर में मेघालय, कार्बी-ऐंगलोंग तथा उत्तरी कचार पहाड़ी तक फैला है। इस क्षेत्र की मुख्य श्रृंखलाएँ (पश्चिम से पूर्व की ओर) गारो, खासी और जयंतिया हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट:
ये घाट दक्कन पठार के पूर्वी और पश्चिमी किनारों पर स्थित हैं। पश्चिमी घाट की औसत ऊँचाई 900 से 1600 मी है, जबकि पूर्वी घाट की औसत ऊँचाई 600 मी है। पूर्वी घाट महानदी की घाटी से दक्षिण में नीलगिरि तक फैला है। समुद्र से उठने वाली नम हवाएँ पश्चिमी घाट से टकराकर ऊपर उठती हैं और इस क्षेत्र में वर्षा लाती हैं।
भारतीय मरुस्थल
भारतीय मरुस्थल अरावली के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इस क्षेत्र में नाममात्र वर्षा होती है जो साल में 140 मिमी है। इसलिए यहाँ की जलवायु शुष्क है और वनस्पति नाममात्र है। लूनी इस क्षेत्र की एकमात्र बड़ी नदी है लेकिन कुछ सरिताएँ वर्षा ऋतु में पानी से भर जाती हैं। बरकान (अर्धचंद्राकार बालू का टीला) इस क्षेत्र में बहुतायत से देखे जा सकते हैं।
तटीय मैदान
प्रायद्वीपीय पठार से लगे तटीय मैदान का एक पतला बेल्ट है। यह मैदान पश्चिम में अरब सागर के साथ और पूर्व में बंगाल की खाड़ी के साथ लगा हुआ है। पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच पश्चिमी तटीय मैदान स्थित है। इसे तीन भागों में बाँटा गया है। उत्तर में मुम्बई और गोवा वाले हिस्से को कोंकण कहते हैं। बीच वाले हिस्से को कन्नड़ मैदान तथा दक्षिणी हिस्से को मालाबार तट कहते हैं।
पूर्वी तटीय मैदान चौड़ा है और बंगाल की खाड़ी के साथ लगा हुआ है। इसे दो भागों में बाँटा गया है। उत्तरी भाग को उत्तरी सरकार और दक्षिणी भाग को कोरोमंडल तट कहते हैं। इस क्षेत्र में महानदी, गोदावरी और कावेरी द्वारा विशाल डेल्टा का निर्माण हुआ है।
द्वीप समूह
लक्षद्वीप: यह द्वीप समूह अरब सागर में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 32 वर्ग किमी है। इस द्वीपसमूह का प्राशासनिक केंद्र कवरत्ती द्वीप है। यहाँ पर जैव विविधता भरपूर है।
अंडमान और निकोबार: यह क्षेत्र में बड़ा है और द्वीपों की संख्या भी अधिक है। इस द्वीप समूह को दो समूहों में बाँटा गया है। उत्तर वाले भाग को अंडमान और दक्षिण वाले भाग को निकोबार कहते हैं। यहाँ पर जैव विविधता भरपूर है।