खाद्य सुरक्षा
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर: भारत में खाद्य सुरक्षा इन तरीकों से सुनिश्चित की जाती है:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार खाद्यान्न खरीदती है।
- खाद्यान्न का बफर स्टॉक रखा जाता है।
- जन वितरण प्रणाली द्वारा जरूरतमंद लोगों को सस्ते दर पर खाद्य दिया जाता है।
प्रश्न 2: कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?
उत्तर: खाद्य असुरक्षा से सबसे अधिक पीड़ित होने वाले लोग हैं भूमिहीन गरीब, परंपरागत दस्तकार, परंपरागत सेवा प्रदान करने वाले, छोटे-मोटे काम करने वाले और बेसहारा लोग। शहरी इलाकों में जो लोग कम मेहनताने वाले काम करते हैं और जो मौसमी काम करते हैं, वो खाद्य असुरक्षा की समस्या से ग्रसित होते हैं।
प्रश्न 3: भारत में कौन से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं?
उत्तर: बिमारु राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) और ओडिसा
प्रश्न 4: क्या आप मानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है? कैसे?
उत्तर: 1970 के दशक में हरित क्रांति के शुरु होने से आज तक एक बार भी अकाल नहीं पड़ा है जबकि इस बीच कई वर्ष ऐसे बीते हैं जब मौसम प्रतिकूल था। खाद्द्यान्न का उत्पादन 1960-61 के 70 मिलियन टन से बढ़कर 2015-16 में 252 मिलियन टन हो गया। 2016-17 में 275 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ। इन तथ्यों से जाहिर होता है कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है।
प्रश्न 5: भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यदि भारत के विभिन्न सामाजिक समूहों को देखें तो हम पाते हैं कि अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ी जाति के कुछ वर्ग या तो भूमिहीन हैं या उनके पास बहुत कम जमीन है। ऐसे लोगों पर खाद्य असुरक्षा का खतरा सबसे अधिक रहता है। जो लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं उनपर भी खाद्य असुरक्षा का खतरा रहता है। महिलाएँ, खासकर से गर्भवती महिलाएँ भी खाद्य असुरक्षा से ग्रसित हो सकती हैं।
प्रश्न 6: जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: जब कोई आपदा आती है तो खाद्य आपूर्ति बाधित हो जाती है। आपदा ग्रसित लोगों तक खाद्य सामग्री पहुँचाना बहुत मुश्किल कार्य हो जाता है। ऐसे में एफसीआई के बफर स्टॉक का सहारा लिया जाता है ताकि आपदा ग्रसित लोगों को भोजन की कमी न हो।
प्रश्न 7: मौसमी भुखमरी और दीर्धकालिक भुखमरी में भेद कीजिए।
उत्तर: भुखमरी मौसमी या फिर दीर्घकालिक हो सकती है। जो लोग बहुत कम कमाते हैं और अधिकतर समय भुखमरी के शिकार रहते हैं उनमें दीर्धकालिक भुखमरी देखने को मिलती है। मौसमी भुखमरी अक्सर कृषि के चक्र से संबंधित होती है। कई भूमिहीन किसान और सीमांत किसान भी मौसमी भुखमरी के शिकार होते हैं। शहरी इलाकों में जिन लोगों को मौसमी बेरोजगारी की समस्या होती है उन्हें मौसमी भुखमरी से जूझना पड़ता है।
प्रश्न 8: गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरु की गई किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर: गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने तीन मुख्य कार्यक्रम शुरु किये हैं, जन वितरण प्रणाली, बाल विकास सेवाएँ और काम के बदले अनाज।
- एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (आई सी डी एस): गरीब बच्चों को उचित पोषण प्रदान करने के उद्देश्य से इस सेवा को शुरु किया गया।
- काम के बदले अनाज (एफ एफ डब्ल्यू): इस कार्यक्रम को शुरु किया गया ताकि गरीब लोग काम के बदले कुछ कमा भी सकें।
प्रश्न 9: सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है?
उत्तर: बफर स्टॉक इसलिए बनाया जाता है ताकि प्राकृतिक आपदा या अकाल पड़ने की स्थिति में जरूरतमंद लोगों को खाद्य असुरक्षा से न जूझना पड़े।
प्रश्न 10: टिप्पणी लिखें:
(a) न्यूनतम समर्थित कीमत
उत्तर: जिन राज्यों में अधिशेष उत्पादन होता है, वहाँ से सरकार धान और गेहूँ किसानों से खरीदती है। इसके लिए एक न्यूनतम कीमत तय की जाती है। इस कीमत को न्यूनतम समर्थित कीमत कहते हैं।
(b) बफर स्टॉक
उत्तर: किसानों से खाद्यान्न खरीदने के बाद उसे एफसीआई के गोदामों में रखा जाता है। इस स्टॉक को बफर स्टॉक कहते हैं।
(c) निर्गत कीमत
उत्तर: जिस दर पर एफसीआई के खाद्यान्न जनवितरण प्रणाली के लिए दिया जाता है उसे निर्गत कीमत कहते हैं।
(d) उचित दर की दुकान
उत्तर: जन वितरण प्रणाली की दुकानों को उचित दर की दुकान कहते हैं। इन दुकानों से जरूरतमंद लोगों को सस्ते दर पर खाद्यान्न दिया जाता है।
प्रश्न 11: राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर: गरीबों की मदद करने में पी डी एस काफी कारगर साबित हुआ है। लेकिन खराब प्रबंधन और भ्रष्टाचार के कई मामले देखने को मिल जाते हैं। कई लोगों की शिकायत रहती है कि एपीएल और बीपीएल के अलग हो जाने के बाद से एपील कार्डधारी शायद ही राशन की दुकानों से सामान खरीदते हैं क्योंकि बाजार भाव से खास अंतर नहीं रहता है। ऐसे में राशन की दुकानवाला अक्सर उस अनाज को खुले बाजार में बेच देता है और फिर राशन की दुकानों में घटिया क्वालिटी के अनाज बेचता है। कई दुकानदार दुकान खोलने में नियमित नहीं होते हैं जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 12: खाद्य और संबंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर: कई राज्यों में सहकारी समितियों ने पीडीएस से बेहतर काम किया है। तमिलनाडु में 94% राशन की दुकानें सहकारी समितियों द्वारा चलाई जा रही हैं। महाराष्ट्र में एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साइंस ने अनाज बैंकों की स्थापना में गैर-सरकारी संगठनों की सहायता की है जिससे गरीबों को लाभ मिल रहा है। दिल्ली में मदर डेयरी की दुकानों के द्वारा लोगों तक फल, सब्जियाँ और दूध सस्ते दरों पर पहुँचाया जा रहा है। गुजरात का अमूल, दूध और दूध उत्पादों को घर घर पहुँचाने में सहकारी समिति का एक सफल उदाहरण है।