नात्सीवाद और हिटलर
NCERT अभ्यास
प्रश्न 1: वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर: वाइमर गणराज्य के सामने निम्नलिखित समस्याएँ थीं:
- संविधान में कुछ खामियाँ थीं, जिसके कारण हमेशा तानाशाह का खतरा बना रहता था।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुच्छेद के कारण किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाता था और गठबंधन सरकारें बनती थीं। इसलिए यह राजनैतिक अस्थिरता का दौर था। कई बार आपातकाल लागू हुआ था।
- युद्ध से संबंधित हर्जाने को अदा करने के चक्कर में अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी।
प्रश्न 2: इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
उत्तर: जिस तरीके से वाइमर गणराज्य ने वर्साय संधि पर आसानी से सहमति दे दी थी उससे अधिकतर जर्मनी वासी खुश नहीं थे। युद्ध संबंधित हर्जाने की भारी राशि चुकाने के कारण अर्थव्यवस्था खराब हालत में थी और लोगों के कष्ट बढ़े हुए थे। ऐसे में हिटलर ने अपने आप को किसी मसीहा की तरह पेश किया। भाषण देने की कला में उसका कोई जोड़ नहीं था। अपने लोकलुभावने वादों से उसने जनता का दिल जीत लिया और 1930 आते आते नात्सीवाद लोकप्रिय होने लगा।
प्रश्न 3: नात्सी सोच के खास पहलू कौन से थे?
उत्तर: नात्सी सोच के खास पहलू निम्नलिखित हैं:
- नस्ली भेदभाव: नात्सी सोच के अनुसार नॉर्डिक जर्मन आर्य सबसे उन्नत नस्ल थी और केवल उन्हें ही इस धरती पर जीने का अधिकार था। बाकी नस्लों के लोगों का धरती पर से समूल नाश करना जरूरी था।
- नस्ली कल्पनालोक: ऐसे देश का निर्माण जहाँ केवल वांछित लक्षण वाले लोग ही रह सकेंगे। उस कल्पनालोक में खराब नस्लों (यहूदी, जिप्सी, आदि) और विकलांगों के लिए कोई स्थान नहीं था।
- युवाओं का प्रशिक्षण: नात्सियों का मानना था कि बचपन और युवावस्था में सही ढ़ंग से प्रशिक्षण देने से योग्य नागरिक तैयार किये जा सकते थे। इसे सुनिश्चित करने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में बदलाव किये गये। किशोरावस्था से ही लड़कों को नात्सी संगठन के किसी न किसी अंग में भर्ती कर दिया जाता था।
- मातृत्व की परिकल्पना: एक ओर जहाँ लड़कों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने की बात होती थी, वहीं दूसरी ओर लड़कियों को इस बात के लिये तैयार किया जाता था कि भविष्य में उन्हें आदर्श माता किस तरह बनना है। औरतों की मुख्य जिम्मेदारी अधिक से अधिक बच्चे पैदा करना थी ताकि शुद्ध नस्ल के लोगों की आबादी बढ़ाई जा सके। इसके लिए बच्चों की संख्या के हिसाब से पुरस्कार भी दिये जाते थे।
प्रश्न 4: नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे हुआ?
उत्तर: नात्सी शासन ने भाषा और मीडिया का प्रभाशाली इस्तेमाल किया था। उन्होंने हत्या या नरसंहार के लिए दस्तावेजों में अन्य शब्दों का इस्तेमाल किया जो भ्रामक थे, जैसे विशेष व्यवहार, अंतिम समाधान, चयन, संक्रमण मुक्ति, आदि। नात्सी विचारधारा को फैलाने के लिए फोटो, फिल्म, रेडियो, पोस्टर, नारों, आदि का इस्तेमाल किया। नात्सी विचारधारा का विरोध करने वालों को अलग अलग दुष्प्रचारों के जरिये बुरा दिखाया जाता था।
प्रश्न 5: नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था? एक पैराग्राफ में बताएँ।
उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। महिलाओं ने वोटिंग अधिकार के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। लेकिन नात्सी समाज में महिलाओं की कोई सक्रिय भूमिका नहीं थी। हिटलर का मानना था कि शुद्ध नस्ल के बच्चे पैदा करना ही महिला की एकमात्र जिम्मेदारी थी।
प्रश्न 6: नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर: नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए:
- मीडिया का बखूबी इस्तेमाल किया गया ताकि नात्सी विचारधारा का प्रचार हो और समाज के अवांछित तत्वों के खिलाफ दुष्प्रचार हो सके।
- स्कूलों में सिलेबस बदल दिया गया और यहूदी शिक्षकों और बच्चों को हटा दिया गया ताकि स्कूल शुद्ध और पवित्र हो जाये।
- युवकों को नात्सी पार्टी के युवा विंग में भर्ती किया जाता था ताकि उनके दिमाग में घुट्टी पिलाई जा सके।