यूक्लिड की ज्यामिति
अभ्यास 5.1
Part 2
प्रश्न 2: निम्नलिखित पदों में से प्रत्येक की परिभाषा दीजिए। क्या इनके लिए कुछ ऐसे पद हैं, जिन्हें परिभाषित करने की आवश्यकता है? वे क्या हैं और आप इन्हें कैसे परिभाषित कर पाएँगे?
समांतर रेखाएँ, लम्ब रेखाएँ, रेखाखंड, वृत्त की त्रिज्या, वर्ग
उत्तर: दिए गए पदों को परिभाषित करने से पहले हमें इन पदों को परिभाषित करना होगा:
बिंदु: यदि हम एक पेंसिल की नोक से कागज पर निशान बनाएँ तो उस निशान को बिंदु कह सकते हैं। एक बिंदु की ना तो लम्बाई होती है और ना ही चौड़ाई। बिंदु का केवल एक स्थान होता है।
रेखा: बिंदुओं का ऐसा समूह जिसकी केवल लम्बाई होती है और कोई चौड़ाई नहीं होती है, रेखा कहलाता है। एक रेखा को दोनों दिशाओं में अनंत रूप से बढ़ाया जा सकता है।
पृष्ठ: बिंदुओं का ऐसा समूह जिसकी लम्बाई और चौड़ाई होती है लेकिन जिसकी मोटाई नहीं होती है, पृष्ठ कहलाता है।
किरण: रेखा का एक भाग जिसका सांत बिंदु होता है।
कोण: दो विभिन्न रेखाओं की किरणों का ऐसा समूह जिसका एक साझा प्रारंभिक बिंदु होता है, कोण कहलाता है।
वृत्त: एक पृष्ठ पर के उन सभी बिंदुओं का समूह जिनकी दूरी एक नियत बिंदु से बराबर होती है, वृत्त कहलाता है। नियत बिंदु को वृत्त का केंद्र कहते हैं।
चतुर्भुज: चार रेखाखंडों से बनी बंद आकृति को चतुर्भुज कहते हैं।
अब प्रश्न में दिए गए पदों की परिभाषा निम्नलिखित है:
समांतर रेखाएँ: एक ही पृष्ठ पर स्थित दो रेखाएँ जब किसी भी दिशा में अनंत रूप से बढ़ाने पर भी एक दूसरे को नहीं काटती हैं तो उन्हें समांतर रेखाएँ कहते हैं।
लम्ब रेखाएँ: यदि एक पृष्ठ पर स्थित दो रेखाएँ आपस में समकोण बनाती हैं तो उन्हें लम्ब रेखाएँ कहते हैं।
रेखाखंड: रेखा का वह भाग जिसके दो नियत बिंदु होते हैं।
त्रिज्या: वृत्त पर स्थित किसी भी बिंदु से केंद्र की दूरी को त्रिज्या कहते हैं।
वर्ग: जिस चतुर्भुज की चारों भुजाएँ बराबर हों और चारों कोण समकोण हों, उसे वर्ग कहते हैं।
प्रश्न 3: नीचे दी हुई दो अभिधारणाओं पर विचार कीजिए:
- दो भिन्न बिंदु A और B दिए रहने पर, एक तीसरा बिंदु C ऐसा विद्यमान है जो A और B के बीच स्थित होता है।
- यहाँ कम से कम ऐसे तीन बिंदु विद्यमान हैं कि वे एक रेखा पर स्थित नहीं हैं।
क्या इन अभिधारणाओं में कोई अपरिभाषित शब्द हैं? क्या ये अभिधारणाएँ अविरोधी हैं? क्या ये यूक्लिड की अभिधारणाओं से प्राप्त होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हम जानते हैं कि किसी भी दो बिंदु से होकर एक रेखा गुजरती है। लेकिन यदि कोई तीसरा बिंदु दिया गया है तो उसके बारे में केवल एक ही अभिधारणा सच हो सकती है। वह बिंदु या तो उस रेखा पर स्थित होगा या उस रेखा के बाहर होगा। इसलिए बिंदु C के बारे में या तो पहला कथन सत्य होगा या फिर दूसरा।
प्रश्न 4: यदि दो बिंदुओं A और B के बीच एक बिंदु C ऐसा स्थित है कि AC = BC है, तो सिद्ध कीजिए कि `AC=1/2AB` है। एक आकृति खींच कर इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: दिया गया है AC = BC ………………..(i)
समीकरण (i) से,
AC = BC
या, AC + AC = BC + AC (दोनों तरफ AC जोड़ने पर)
या, 2AC = AB (क्योंकि BC + AC = AB)
या, `AC = 1/2 AB`
प्रश्न 5: प्रश्न 4 में, C रेखाखंड AB का एक मध्य-बिंदु कहलाता है। सिद्ध कीजिए कि एक रेखाखंड का एक और केवल एक ही मध्य बिंदु होता है।
उत्तर: दिया गया है, AC = BC ……………….(i)
मान लीजिए कि AB का एक और मध्य बिंदु D है।
AD = DB …………………. (ii)
समीकरण (i) से समीकरण (ii) को घटाने पर
AC –AD = BC – DB
या, DC = -DC (क्योंकि AC-AD = DC और CB-DB = -DC)
या, DC + DC = 0
या, 2DC = 0
या, DC = 0
इसलिए, C और D संगत होंगे
इसलिए यह सिद्ध होता है कि किसी भी रेखा का केवल एक ही मध्य बिंदु होता है।
प्रश्न 6: दी गई आकृति में, यदि AC = BD है, तो सिद्ध कीजिए कि AB = CD है।
उत्तर: दिया गया है, AC = BD ……………….(i)
AC = AB + BC …… (ii)
और, BD = BC + CD …… (iii)
समीकरण (i) में समीकरण (ii) और (iii) का मान रखने पर
AB + BC = BC + C
AB + BC – BC = CD
AB = CD
इसलिए, AB = CD
प्रश्न 7: यूक्लिड की अभिगृहीतों की सूची में दिया हुआ अभिगृहीत 5 एक सर्वव्यापी सत्य क्यों माना जाता है? (ध्यान दीजिए कि यह प्रश्न पाँचवीं अभिधारणा से संबंधित नहीं है।)
उत्तर: यह अभिगृहीत विश्व के किसी भी हिस्से में हमेशा सही साबित होता है, इसलिए इसे सर्वव्यापी सत्य माना जाता है।
अभ्यास 5.2
प्रश्न 1: आप यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा को किस प्रकार लिखेंगे ताकि वह सरलता से समझी जा सके?
उत्तर: यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारण को इस तरह से लिखा जा सकता है:
बिंदु P से होकर जाने वाली रेखा l के समांतर होती है।
ऐसी केवल एक ही रेखा संभव है।
प्रश्न 2: क्या यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा से समांतर रेखाओं के अस्तित्व का औचित्य निर्धारित होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यदि कोई रेखा l दो रेखाओं m और n से इस तरह गुजरती है कि इसके एक तरफ के अंत:कोणों का योग दो समकोणों के बराबर होता है, तो यूक्लिड की पाँचवीं अभिधारणा के अनुसार दोनों रेखाएँ (m और n) उस तरफ आपस में नहीं मिलती हैं। हम यह भी जानते हैं कि रेखा l की दूसरी ओर बने अंत:कोणों का योग भी दो समकोण होगा। इसलिए दोनों रेखाएँ (m और n) दूसरी तरफ भी आपस में नहीं मिलेंगी। चूँकि ये रेखाएँ आपस में कभी नहीं मिलेंगी, इसलिए ये समांतर हैं।
m || n, यदि, ∠1 + ∠2 = 180° (दो समकोण)
या, ∠3 + ∠4 = 180°