सरकार
आप क्या सीखेंगे
- सरकार क्यों जरूरी है?
- सरकार के स्तर
- सरकार के प्रकार
सरकार क्यों जरूरी है?
- निर्णय लेने और काम करवाने के लिए सरकार की आवश्यकता होती है। सरकार विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेती है; जैसे सड़क कहाँ और कैसे बनवानी है, कितने स्कूल और रेल चाहिए, स्वास्थ्य सुविधाएँ कैसे सुधारी जाएँ, आदि।
- सरकार को कई सामाजिक मुद्दों पर निर्णय लेना होता है। उदाहरण: सरकार गरीबों की मदद के लिए कार्यक्रम बनाती है। जब दो समाजिक गुटों में झगड़ा होता है तो सरकार को कुछ निर्णय लेना होता है।
- सरकार को देश की सीमा की सुरक्षा करनी पड़ती है। इसे अपने पड़ोसी देशों से मधुर संबंध भी रखने पड़ते हैं।
- सरकार को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि हर नागरिक को समुचित भोजन मिल रहा है। किसी प्राकृतिक विपदा की स्थिति में सरकार को प्रभावित लोगों की मदद के लिए राहत कार्य करना पड़ता है।
- सरकार को नियम कानून बहाल करना पड़ता है ताकि सब लोग सौहार्द्र के वातावरण में रह सकें।
सरकार के स्तर
सरकार के विभिन्न स्तर नीचे दिये गये हैं।
केंद्रीय स्तर या राष्ट्रीय स्तर: यह सरकार का सबसे शीर्ष स्तर है। केंद्र सरकार का काम है राष्ट्रीय हितों की देखभाल करना। प्रधान मंत्री केंद्र सरकार का मुखिया होता है। केंद्र सरकार देश की राजधानी नई दिल्ली से काम करती है।
राज्य स्तर: हर राज्य की अपनी एक सरकार होती है। मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुखिया होता है। राज्य के अधीन रहने वाले मुद्दों की देखभाल राज्य सरकार करती है।
जिला स्तर: जिला स्तर पर सरकार चलाने का काम सरकारी अधिकारियों के हाथ में है। इन अधिकारियों को लोक सेवक (सिविल सर्वेंट) कहते हैं। सरकारी अधिकारी का काम है विभिन्न कार्यक्रमों पर अमल करना।
गांव स्तर: गांव के स्तर पर सरकार का मुखिया होता है सरपंच। गांव के स्तर की सरकार को ग्राम पंचायत कहते हैं। इसका काम है स्थानीय महत्व के मुद्दों की देखभाल करना।
केंद्र सरकार को राष्ट्रीय सरकार कहते हैं, जबकि अन्य स्तर की सरकारों को स्थानीय सरकार कहते हैं।
सरकार और कानून
नियमों को लागू करके ही कोई भी सरकार काम कर पाती है। उदाहरण के लिए सरकार ने ट्रैफिक सुचारु रखने के लिए कुछ नियम बनाये हैं। इन नियमों से यह संभव हो पाता है कि कोई भी व्यक्ति आराम से सड़क का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसा करने में उसे न तो किसी से विघ्न मिलेगा और न ही वह किसी अन्य को विघ्न डालेगा।
यदि किसी को लगता है कि देश के कानून का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है तो वह अपनी शिकायत लेकर कोर्ट जा सकता है। कोर्ट को उस केस की सुनवाई करनी पड़ेगी और देश के कानून के अनुसार अपना फैसला देना होगा। कोर्ट के फैसले के बाद सरकारी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून सही ढ़ंग से लागू हो।
सरकार के प्रकार
सरकार दो प्रकार की होती है: राजतंत्र और प्रजातंत्र
राजतंत्र: जब सरकार का मुखिया राजा होता है, तो ऐसी सरकार को राजतंत्र कहते हैं। राजा के पास असीम शक्ति होती है। सत्ता एक राजा से दूसरे राजा के हाथ में वंशानुगत तरीके से जाती है। इसका मतलब यह है कि राजा का बेटा या बेटी ही अगला राजा या अगली रानी बनते हैं। इस प्रकार की सरकार के चयन में लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है। अभी भी कुछ देशों में राजतंत्र है; जैसे भूटान और सउदी अरब।
प्रजातंत्र: इस तरह की सरकार में शासक का चयन लोगों द्वारा होता है। जो सरकार लोगों द्वारा, लोगों की और लोगों के लिए होती है उसे प्रजातंत्र या लोकतंत्र कहते हैं। इस तरह की सरकार में लोगों की इच्छा के अनुसार सत्ता का हस्तांतरण होता है।
आज अधिकांश देशों में प्रतिनिधि लोकतंत्र देखने को मिलता है। इस प्रकार के तंत्र में लोग अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं। चुनाव के बाद, लोगों की इच्छा के अनुसार एक नई सरकार का गठन होता है। इसे समझने के लिए भारत में केंद्र सरकार के गठन को समझने की कोशिश करते हैं।
भारत में हर पाँच साल पर एक नई सरकार को चुनने के लिये आम चुनाव होते हैं। पूरे देश को 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। हर संसदीय क्षेत्र के लोग अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं जिसे सांसद (मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट) कहते हैं।
जिस राजनैतिक पार्टी या समूह को संसद में कम से कम 272 सीटें (आधे से एक अधिक) आती हैं उसे सरकार बनाने का मौका मिलता है। उसके बाद जीतने वाली पार्टी या गुट के सांसद अपना नेता चुनते हैं। वही नेता प्रधानमंत्री बनता है।
प्रजातंत्र का इतिहास
आज से 300 वर्षों से भी पहले दुनिया के ज्यादातर देशों में राजतंत्र का बोलबाला हुआ करता था। कई देशों के लोगों ने कई वर्षों तक इस बात के लिए संघर्ष किया कि राजतंत्र को हटाकर प्रजातंत्र बहाल हो सके। भारत में विदेशी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी गई। अंग्रेजी राज के अंत के साथ भारत में प्रजातंत्र की शुरुआत हुई।
सबके लिए मताधिकार: आज लगभग हर देश के हर वयस्क को मताधिकार मिला हुआ है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का मतलब है कि देश के हर वयस्क नागरिक को वोट देने का अधिकार है। हर नागरिक के वोट की कीमत एक समान होती है; चाहे वह अमीर या गरीब हो, पुरुष या महिला हो, किसी भी धर्म का हो या किसी भी जाति का हो। अधिकांश देशों में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार एक लंबे संघर्ष के बाद ही मिल पाया।