इंडो चीन का राष्ट्रवाद
अमेरिकी कब्जा
युद्ध में अमेरिका का शामिल होना: अमेरिका को यह खतरा लगने लगा कि वियतनाम में किसी कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार बहाल हो जाने से आसपास के इलाकों में भी वैसी ही सरकारें बन जायेंगी। अमेरिका नहीं चाहता था कि कम्युनिज्म फैले। इसलिये अमेरिका ने वियतनाम पर आक्रमण कर दिया।
वियतनाम के युद्ध में अमेरिका ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों का इस्तेमाल किया और अत्याधुनिक हथियारों और साज सामानों का भी इस्तेमाल किया। अत्याधुनिक तकनीक और दवाइयों की समुचित आपूर्ति के बावजूद वियतनाम में अमेरिकी सेना के सैनिक भारी संख्या में हताहत हुए। उस युद्ध में उस समय के सबसे शक्तिशाली बॉम्बर प्लेन B52 का इस्तेमाल भी किया गया। उस युद्ध में लगभग 47,000 अमेरिकी सैनिक मारे गए और 303,000 सैनिक घायल हुए। उनमें से कोई 23,000 सैनिक पूर्ण रूप से अपाहिज हो गये।
वियतनाम के लोगों का अमेरिकी शक्ति के सामने प्रदर्शन से यह साबित हो गया कि मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने से एक कमजोर सेना में भी जान आ जाती है। अमेरिका ने इस बात को शायद नजरअंदाज कर दिया था।
अमेरिका पर प्रभाव: ज्यादातर अमेरिकी वियतनाम में अमेरिकी दखल का विरोध कर रहे थे। कई समकालीन विचारकों का मानना था कि अमेरिका को ऐसे युद्ध में पड़ना ही नहीं चाहिए था जिसमें जीतने की संभावना न के बराबर थी।
मीडिया की भूमिका: अमेरिकी मीडिया और फिल्म ने इस युद्ध की सराहना भी की और आलोचना भी। जॉन वाएन की फिल्म ग्रीन बेरेट (1968) ने वियतनाम में अमेरिकी दखलंदाजी का समर्थन किया। जॉन फोर्ड कोपोला की फिल्म ऐपोकैलिप्स नाउ (1979) ने वियतनाम में अमेरिकी दखलंदाजी की आलोचना की।
हो ची मिन ट्रेल:
यह पगडंडियों और सड़कों का एक बड़ा भारी जाल था। इसका इस्तेमाल आदमी और सामान को उत्तर से दक्षिण की ओर ले जाने के लिए किया जाता था। इसके रास्ते में कई अस्पताल और सपोर्ट बेस थे। ज्यादातर सामानों को महिलाओं और बच्चों द्वारा साइकिल से ले जाया जाता था। उस ट्रेल का ज्यादातर हिस्सा वियतनाम से बाहर लाओस और कम्बोडिया में था और उसकी शाखाएँ दक्षिण वियतनाम तक जाती थीं। सामान और लोगों की आवाजाही रोकने के लिए अमेरिका उस ट्रेल पर हमेशा बमबारी करता था। लेकिन वियतनाम के लोग तुरंत ही उसकी मरम्मत कर लेते थे। हो ची मिन ट्रेल वियतनाम के लोगों की दिलेरी और सूझबूझ की गवाही देता है।
महिलाओं की भूमिका: चीन की तुलना में वियतनाम की महिलाओं को अधिक समानता प्राप्त थी। खासकर से निचले वर्ग के लोगों में तो ये बात और भी प्रखर थी। लेकिन उनकी स्वतंत्रता सीमित थी और वे सार्वजनिक जीवन में कोई भी योगदान नहीं कर पाती थीं। राष्ट्रवादी आंदोलन के परवान चढ़ने के साथ साथ लेखकों और विचारकों ने महिलाओं को समाज के कायदे कानूनों के विरोधी के रूप में चित्रित करना शुरु कर दिया था। हो ची मिन ट्रेल से होकर सामान की सप्लाई करने के साथ साथ महिलाओं ने युद्ध में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसके अलावा शांति काल के समय अर्थव्यवस्था को ठीक करने में भी वहाँ की महिलाओं ने पूरी जिम्मेदारी उठाई।
अमेरिकी कब्जे का अंत: 1974 की जनवरी में पेरिस में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। उस समझौते के साथ अमेरिका के साथ होने वाली लड़ाई समाप्त हुई। लेकिन साइगाओ शासन और NLF के बीच लड़ाई जारी रही। 30 अप्रैल 1975 को NLF ने साइगाओ के राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया और एक सकल वियतनाम की स्थापना की।