इंडो चीन का राष्ट्रवाद
कम्यूनिस्ट आंदोलन और वियतनाम का राष्ट्रवाद
1930 के दशक की आर्थिक मंदी का वियतनाम पर गहरा असर पड़ा था। चावल और रबर की कीमतों में भारी गिरावट हुई थी। इसके कारण गाँवों में बेरोजगारी बढ़ी और लोगों पर कर्जे बढ़ गए। इसके फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने विरोध में आवाज उठानी शुरु कर दी। नगे अन और हा तिन राज्य ऐसे प्रतिरोधों के केंद्रबिंदु थे। इन विरोधों को फ्रेंच शासकों ने कुचल दिया। विरोध को कुचलने के लिये विमान और बम का इस्तेमाल भी किया गया।
1930 की फरवरी में हो ची मिन ने कई विरोधी राष्ट्रवादी गुटों को एक साथ लाकर वियतनाम कम्यूनिस्ट पार्टी (वियतनाम कॉन्ग सन डांग) को शुरु किया। बाद में इसका नाम इंडो चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी कर दिया गया।
वियतनाम में लोकतंत्र की स्थापना: जापान दक्षिण पूर्व एशिया मे अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहा था। जापान ने 1940 में वियतनाम पर कब्जा कर लिया। अब राष्ट्रवादी नेताओं को दो दुश्मनों से लड़ना पड़ रहा था; फ्रेंच और जापानी। लीग ऑफ द इंडेपेंडेंस ऑफ वियतनाम (वियत नाम डॉक लैप डोंग मिन); जिसे बाद में वियतमिन के नाम से जाना गया ने जापानी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और 1945 में हनोई को अपने कब्जे में ले लिया। इस तरह से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ वियतनाम का निर्माण हुआ जिसके चेयरमैन बने हो ची मिन।
वियतनाम का विभाजन
फ्रेंच शासकों ने दोबारा वियतनाम को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की। इस काम के लिए वहाँ के राजा बाओ दाई को कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया गया। वियतमिन को पहाड़ियों में भागकर छुपने को मजबूर होना पड़ा। आठ साल की लड़ाई के बाद वियतमिन ने फ्रांसीसियों को दियेन बियेन फू में 1954 में हरा दिया।
फ्रांस की हार के बाद जेनेवा में एक शांति वार्ता हुई। वियतनाम को दो भागों में विभाजित कर दिया गया; उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम। हो ची मिन और कम्यूनिस्टों ने उत्तर में सत्ता संभाली। बाओ दाई की सरकार ने दक्षिण में सत्ता संभाली।
कुछ ही दिनों बाद नगो दिन दिएम के नेतृत्व में बाओ दाई शासन का तख्तापलट हो गया। दिएम ने एक तानाशाह शासन व्यवस्था बनाई। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने दिन दिएम के तानशाही शासन का विरोध किया। नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने हो ची मिन सरकार की मदद ली और देश के एकीकरण के लिए संघर्ष किया।