यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
NCERT Solution
प्रश्न:1 निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें
प्रश्न:a) ज्युसेपे मेत्सिनी
उत्तर: ज्युसेपे मेत्सिनी एक इतालवी क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 1807 में हुआ था। वह कार्बोनारी के सेक्रेट सोसायटी के सदस्य बन गये थे। जब वह 24 वर्ष के थे तभी उनको 1931 लिगुरिया में क्रांति की कोशिश के आरोप में देशनिकाला दे दिया गया था। उसके बाद उन्होंने दो और गुप्त सोसायटी की स्थापना की; पहले मार्सेई में यंग इटली के नाम से और फिर बाद में बर्न में यंग यूरोप के नाम से। मेत्सिनी का मानना था कि यह भगवान की मर्जी थी कि राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। इसलिए इटली को छोटे छोटे राज्यों के पैबंद की बजाय एक एकीकृत गणराज्य बनाना जरूरी था। मेत्सिनी का अनुसरण करते हुए जर्मनी, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में कई गुप्त संगठन बनाये गये। रुढ़िवादी लोग मेत्सिनी से डरते थे।
प्रश्न:b) काउंट कैमिली दे कावूर
उत्तर: इटली के एकीकरण में काउंट कैमिली दे कावूर एक अग्रणी माने जाते हैं। वह पिडमॉंट सार्डीनिया के प्राइम मिनिस्टर थे। वह न तो कोई क्रांतिकारी थे और न ही लोकतांत्रिक्। वह इटली के कई अन्य अभिजात वर्ग के लोगों की तरह धनी और सुशिक्षित थे। इतालवी भाषा के मुकाबले उनकी भी पकड़ फ्रेंच भाषा पर अधिक थी। उन्होंने फ्रांस के साथ एक कूटनीतिक गठबंधन किया और उसकी वजह से 1859 में ऑस्ट्रिया की सेना को हराने में सफल हुए थे। इस लड़ाई में नियमित सेना के अलावा ज्युसेपे गैरीबाल्डी के नेतृत्व में कई स्वयंसेवकों ने भी हिस्सा लिया था। 1860 में इन्होने दक्षिण इटली और दो सिसिली के राज पर धावा बोल दिया। वे स्थानीय किसानों का समर्थन जीत गये और इस तरह से स्पैनिश शासकों को उखाड़ फेकने में सफल हो गये। 1861 में विक्टर एमानुयेल को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया। कावूर उस एकीकृत इटली के प्राइम मिनिस्टर बन गये।
प्रश्न:c) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
उत्तर: ग्रीस की आजादी की लड़ाई ने पूरे यूरोप के पढ़े लिखे वर्ग में राष्ट्रवाद की भावना को और मजबूत कर दिया। ग्रीस की आजादी का संघर्ष 1821 में शुरु हुआ था। ग्रीस के राष्ट्रवादियों को ग्रीस के ऐसे लोगों से भारी समर्थन मिला जिन्हे देशनिकाला दे दिया गया था। इसके अलावा उन्हें पश्चिमी यूरोप के अधिकाँश लोगों से भी समर्थन मिला जो प्राचीन ग्रीक संस्कृति का सम्मान करते थे। मुस्लिम साम्राज्य के विरोध करने वाले इस संघर्ष का समर्थन बढ़ाने के लिए कवियों और कलाकारों ने भी जन भावना को इसके पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की। यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि ग्रीस उस समय ऑटोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। आखिरकार 1832 में कॉन्स्टैंटिनोपल की ट्रीटी के अनुसार ग्रीस को एक स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी गई।
प्रश्न:d) फ्रैंकफर्ट संसद
उत्तर: जर्मनी में ऐसे कई राजनैतिक गठबंधन थे जिनके सदस्य मध्यम वर्गीय पेशेवर, व्यापारी और धनी कलाकार हुआ करते थे। वे फ्रैंकफर्ट शहर में एकत्रित हुए और एक सकल जर्मन एसेंबली के लिए वोट करने का फैसला किया। 18 मई 1848 को 831 चुने हुए प्रतिनिधियों ने जश्न मनाते हुए एक जुलूस निकाला और फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट को चल पड़े जिसका आयोजन सेंट पॉल के चर्च में किया गया था। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र का संविधान तैयार किया। उस राष्ट्र की कमान कोई राजपरिवार का आदमी करता जो पार्लियामेंट को जवाब देने के लिए उत्तरदायी होता। इन शर्तों पर प्रसिया के राजा फ्रेडरिक विलहेम (चतुर्थ) को वहाँ का शासन सौंपने की पेशकश की गई। लेकिन उसने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और उस चुनी हुई संसद का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिला लिया।
प्रश्न:e) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका
उत्तर: उदारवादी आंदोलन में महिलाओं ने भी भारी संख्या में हिस्सा लिया। इसके बावजूद, एसेंबली के चुनाव में उन्हें मताधिकार से मरहूम किया गया। जब सेंट पॉल के चर्च में फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट बुलाई गई तो महिलाओं को केवल दर्शक दीर्घा में बैठने की अनुमति मिली।
प्रश्न:2 फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
उत्तर: फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियो ने कई कदम उठाए। उन्होंने इसके लिए रोमांटिसिज्म का सहारा लिया। रोमांटिसिज्म एक सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक खास तरह की राष्ट्रवादी भावना का विकास करना चाहता था। रोमांटिक कलाकार सामान्यतया तर्क और विज्ञान को बढ़ावा देने के खिलाफ होते थे। इसके बदले वे भावनाओं, अंतर्ज्ञान और रहस्यों पर ज्यादा ध्यान देते थे। राष्ट्र के आधार के रूप में उन्होंने साझा विरासत और सांस्कृतिक धरोहर की भावना को अधिक प्रश्रय दिया। भाषा ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं को बल देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूरे फ्रांस में फ्रेंच भाषा को मुख्य भाषा की तरह बढ़ावा दिया गया ताकि लोगों में एक राष्ट्र की भावना पनप सके। पोलैंड में रूसी आधिपत्य के खिलाफ विरोध के लिए पॉलिश भाषा का इस्तेमाल किया गया।
प्रश्न:3 मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें किया गया उसका क्या महत्व था?
उत्तर: फ्रेंच राष्ट्र को मारिआन का नाम दिया गया जिसे एक स्त्री के रुप में चित्रित किया गया। इसी तरह से जर्मनी की मातृभूमि को जरमैनिया का नाम दिया गया। इसाइयों में महिलाओं के नाम के तौर पर मारीआन काफी लोकप्रिय नाम है। उसके चरित्र को उदारवाद और गणतंत्र पर आधारित किया गया था; जिसमें लाल टोपी, तिरंगा झंडा और कलगी थी। सार्वजनिक चौराहों पर उसकी मूर्तियाँ लगाई गईं और सिक्कों और टिकटों पर उसकी तस्वीरें छापी गईं; ताकि लोग उससे पहचान बना लें। जर्मेनिया वलूत के पत्तों का मुकुट पहनती थी। जर्मनी में वलूत को शौर्य की निशानी माना जाता है।
प्रश्न:4 जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उत्तर: 1814 के वियेना कॉन्ग्रेस में जर्मनी की पहचान 39 राज्यों के एक लचर संघ के रूप में हुई थी। इस संघटण का निर्माण नेपोलियन द्वारा पहले ही किया गया था। 1848 के मई महीने में फ्रैंकफर्ट संसद में विभिन्न राजनैतिक संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिये एक संविधान की रचना की। उसके अनुसार जर्मन राष्ट्र का मुखिया कोई राजा होता तो संसद के प्रति जवाबदेह होता। जर्मन एकीकरण के मुख्य सूत्रधार थे ऑट्टो वॉन बिस्मार्क जो प्रसिया के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ने इस काम के लिए प्रसिया की सेना और अफसरशाही की मदद ली थी। उसके बाद ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से सात साल के भीतर तीन लड़ाइयाँ हुईं। उन युद्धों की परिणति हुई प्रसिया की जीत मे जिसने जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया को संपूर्ण किया। 1871 के जनवरी महीने में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम 1 को जर्मनी का शहंशाह घोषित किया गया।
प्रश्न:5 अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उत्तर: शासन व्यवस्था को अधिक कुशन बनाने के लिए नेपोलियन नी निम्नलिखित बदलाव किये:
- 1804 के सिविल कोड (जिसे नेपोलियन कोड भी कहा जाता है) ने जन्म के आधार पर मिलने वाले विशेषाधिकार समाप्त किये गये।
- उसने कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को बहाल किया।
- उसने अपने नियंत्रण में आने वाले अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे ही सुधार किये; जैसे कि फ्रांस में।
- उसने डच रिपब्लिक, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में प्राशासनिक इकाइयों को सरल बनाया।
- उसने जमींदारी प्रथा को समाप्त किया और किसानों भू दासता और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।
- शहरों में श्रेणी-संघों के नियंत्रण को हटाया गया।
- यातायात और संचार तंत्र को सुधारा गया।
प्रश्न:6 उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?
उत्तर: उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर के यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना उदारवाद से पूरी तरह से प्रभावित थी। एक नये मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सबकी समानता।
राजनैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण: राजनैतिक दृष्टिकोण से उदारवाद का मतलब था आम सहमति से सरकार चलाना। इसका ये भी मतलब था कि तानाशाही का अंत हो और पादरियों को मिलने वाले विशेषाधिकार बंद हों। एक संविधान और प्रतिनिधि पर आधारित सरकार की जरूरत भी महसूस की गई। उस समय के उदारवादियों निजी संपत्ति के अधिकार की भी वकालत की।
आर्थिक दृष्टिकोण: नेपोलियन कोड की एक और खासियत थी आर्थिक उदारवाद। नवोदित मध्यम वर्ग भी आर्थिक उदारवाद के पक्ष में था। कई तरह की मुद्राएँ, माप तौल के कई मानक और ट्रेड बैरियर आर्थिक गतिविधियों में रोड़े अटका रहे थे। नया व्यवसायी वर्ग एक एकीकृत आर्थिक इलाके की माँग कर रहा था जिससे माल, लोग और पूँजी का आवगमन निर्बाध रूप से चलता रहे।
प्रश्न:7 यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उत्तर: फ्रांस में एक ही भाषा को बढ़ावा देने से वहाँ के लोगो6 में एक राष्ट्र के रूप में पहचान विकसित करने में काफी मदद मिली थी। इसी तरह से रूसी आधिपत्य के खिलाफ पोलैंड में पॉलिश भाषा के इस्तेमाल से मदद मिली। जर्मनी में क्रांतिकारियों ने लोगों में एक साझा पहचान विकसित करने के लिए लोग संस्कृति को बढ़ावा दिया। इन उदाहरणों से पता चलता है कि यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने में संस्कृति का अहम योगदान था।
प्रश्न:8 किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।
उत्तर: कावूर की कोशिशों के कारण इटली एक राष्ट्र बन पाया। उसने फ्रांस के साथ गठबंधन करके ऑस्ट्रिया की सेना को हराया। कई लड़ाइयों के बाद इटली का एकीकरण का सपना साकार हो पाया और यह एक राष्ट्र के रूप में सामने आया।
यूनान ने अपनी ऐतिहासिक संस्कृति का हवाला देते हुए दिखाया कि वह ऑट्टोमन साम्राज्य कि इस्लामी संस्कृति से भिन्न था और फिर अपनी स्वतंत्रता का दावा ठोका। कई प्रवासी यूनानियों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया।
ये उदाहरण वैसे कई कारकों को दर्शाते हैं जिनकी वजह से उन्नीसवीं सदी में राष्ट्रों का जन्म हुआ। अधिकतर मामलों में एक साझा संस्कृति का इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा गरीबों का उत्पीड़न और उदारवाद का जन्म ने ऐसे उत्प्रेरक का काम किया जिसने लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को घर बनाने में मदद किया।
प्रश्न:9 ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर: यूरोप के अन्य भागों की तुलना में यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास कुछ अलग तरह से हुआ था। ब्रिटिश द्वीप चार मुख्य नस्ली राष्ट्रों में बँटे हुए थे; यानि इंगलिश, स्कॉटिश, वेल्श और आइरिश। औद्योगीकरण के कारण इंगलैंड एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा था। अपनी वित्तीय ताकत के कारण इंगलैंड ब्रिटिश द्वीपों के अन्य राष्ट्रों पर बीस पड़ता था। इसके कारण एक ऐसे यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का निर्माण हुआ जिसमें इंगलैंड एक हावी सदस्य था और अन्य नस्ल के लोगों को इंग्लिश संस्कृति द्वारा दबा दिया गया।
प्रश्न:10 बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उत्तर: बाल्कन का एक बड़ा हिस्सा ओटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था। यह वह दौर था जब ओटोमन साम्राज्य बिखर रहा था और बाल्कन में रोमांटिक राष्ट्रवादी भावना बढ़ रही थी। इसलिए यह क्षेत्र ऐसा था जैसे किसी बारूद की ढ़ेर पर बैठा हो। पूरी उन्नीसवीं सदी में ओटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आंतरिक सुधारों से अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन इसमे उसे अधिक सफलता नहीं मिली। इसके नियंत्रण में आने वाले यूरोपीय देश एक एक करके इससे अलग होते गए और अपनी आजादी घोषित करते गए। बाल्कन के देशों ने अपने इतिहास और राष्ट्रीय पहचान का हवाला देते हुए अलग होने की घोषणा की। लेकिन जब ये देश अपनी पहचान बनाने और आजादी पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे तब यह क्षेत्र कई गंभीर झगड़ों का अखाड़ा बन चुका था। इस प्रक्रिया में बाल्कन के क्षेत्र में ताकत हथियाने के लिए भी जबरदस्त लड़ाई जारी थी।