विनिर्माण उद्योग
खनिज पर आधारित उद्योग
लोहा इस्पात उद्योग
लोहा इस्त्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि लोहे का इस्तेमाल मशीनों को बनाने में होता है। इस कारण से स्टील के उत्पादन और खपत को किसी भी देश के विकास के सूचक के रूप में लिया जाता है।
भारत में कच्चे इस्पाद का उत्पादन 32.8 मिलियन टन है और विश्व में इसका 9वाँ स्थान है। भारत स्पॉंज लोहे का सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत केवल 32 किग्रा प्रति वर्ष है।
अभी भारत में 10 मुख्य संकलित स्टील प्लांट हैं। इनके अलावा कई छोटे प्लांट भी हैं। इस सेक्टर में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड एक मुख्य पब्लिक सेक्टर कंपनी है। प्राइवेट सेक्टर की मुख्य कम्पनी है टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी।
भारत में स्टील का कुल उत्पादन | |
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वर्ष | उत्पादन (मिलियन टन में) |
1950 – 51 | 1.04 |
1960 – 61 | 2.39 |
1970 – 71 | 4.64 |
1980 – 81 | 6.82 |
1990 – 91 | 13.53 |
1997 – 98 | 23.40 |
2004 – 05 | 32.60 |
भारत में ज्यादातर लोहा इस्पात उद्योग छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र में केंद्रित है। इस क्षेत्र में सस्ता लौह अयस्क, उच्च क्वालिटी का कच्चा माल, सस्ते मजदूर और रेल और सड़क से अच्छा संपर्क है।
भारत में लोहा इस्पात उद्योग के खराब प्रदर्शन के कारण:
- कोकिंग कोल की सीमित उपलब्धता और ऊँची कीमत
- श्रमिकों की कम उत्पादकता
- अनियमित विद्युत सप्लाई
- अविकसित अवसंरचना
अलमुनियम प्रगलन
भारत में अलमुनियम प्रगलन दूसरा सबसे महत्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है। अलमुनियम को अक्सर मिश्रधातु में बदला जाता है। अलमुनियम के मिश्रधातु का इस्तेमाल विभिन्न उत्पादों के निर्माण में किया जाता है।
भारत में अलमुनियम प्रगलन के आठ प्लांट हैं। ये उड़ीसा (नालको और बालको), पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तामिलनाडु में हैं। 2004 में भारत में 600 मिलियन टन अलमुनियम का उत्पादन हुआ था।