10 भूगोल

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएँ

परिवहन

परिवहन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवहन के द्वारा ही कच्चा माल कारखानों तक पहुँच पाता है और कारखानों से उत्पाद ग्राहकों तक पहुँच पाते हैं। किसी भी देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं और सेवाओं तथा उनके एक कोने से दूसरे कोने तक आवागमन पर उस देश के विकास की दर निर्भर करती है। इसलिये कुशल परिवहन किसी देश में तेज विकास के लिये बहुत मत्वपूर्ण हो जाता है। परिवहन के अलावा, संचार की सहूलियत का भी महत्व होता है। टेलिफोन तथा इंटरनेट से संचार सुलभ हो जाता है।

भारत आज दुनिया के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास में रेल, सड़क परिवहन, हवाई यातायात, अखबार, रेडियो, टेलिविजन, सिनेमा, इंटरनेट, आदि का हमेशा से योगदान रहा है। स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिला है। मजबूत अर्थव्यवस्था ने हमारे जीवन को खुशहाल बनाया है।

सड़क परिवहन

भारत में सड़कों का जाल आज दुनिया के विशाल सड़क नेटवर्कों में से एक है। भारत में कुल 2.3 मिलियन किलोमीटर सड़क है। निर्माण और रखरखाव के मामले में रेल की तुलना में सड़कें बेहतर होती हैं। रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन का महत्व बढ़ रहा है। इसके कारण निम्नलिखित हैं:

भारत में सड़कों के प्रकार

भारत में सड़कों की क्षमता के आधार पर इन्हें छ: प्रकारों में बाँटा गया है:

स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग: यह 6 लेन वाली महाराजमार्ग की सड़क परियोजना है जो दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई और दिल्ली को जोड़ती है। उत्तर दक्षिण कॉरिडोर श्रीनगर और कन्याकुमारी को आपस में जोड़ता है। पूर्व पश्चिम कॉरिडॉर सिलचर और पोरबंदर को आपस में जोड़ता है। इस सुपर हाइवे प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है भारत के बड़े शहरों के बीच की दूरी को कम करना। इस परियोजना को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा कार्यरूप दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग: राष्ट्रीय राजमार्ग भारत के सुदूर हिस्सों को आपस में जोड़ते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग देश की मुख्य सड़क प्रणाली बनाते हैं। इन्हें सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन किया जाता है।

राज्य राजमार्ग: राज्य राजमार्ग के तहत वो सड़कें आती हैं जो किसी भी राज्य की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं। इन्हें स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन किया जाता है।

जिला मार्ग: जिला मुख्यालय को जिले के अन्य भागों से जोड़ने वाली सड़कों को जिला मार्ग कहते हैं। इन सड़कों का निर्माण और रखरखाव जिला परिषद द्वारा किया जाता है।

अन्य सड़कें: ग्रामीण सड़कें इस श्रेणी में आती हैं। प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इन सड़कों के निर्माण में तेजी आई है। इस योजना को इस उद्देश्य से शुरु किया गया था ताकि देश का हर गाँव पक्की सड़क से किसी मुख्य शहर से जुड़ सके।

सीमांत सड़कें: सीमा पर स्थित सड़कों को इस श्रेणी में रखा गया है। इनका निर्माण और रखरखाव बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा किया जाता है। इस संस्था का गठन 1960 में किया गया था ताकि सीमा पर स्थित पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में सामरिक महत्व की सड़कें बन सकें। सीमांत सड़कों ने दुर्गम इलाकों के लोगों का जीवन आसान बना दिया है।

सड़क घनत्व

प्रति 100 वर्ग किमी में उपलब्ध सड़क की लंबाई को सड़क घनत्व कहते हैं। हमारे देश में हर तरह की भौगोलिक संरचना पाई जाती है। इसलिये यहाँ सड़कों का फैलाव एक जैसा नहीं है। एक ओर जम्मू कश्मीर में सड़क घनत्व 10 किमी प्रति वर्ग किमी है तो दूसरी ओर केरल में यह आँकड़ा 375 किमी है। 1996 – 97 के आँकड़ों के अनुसार पूरे देश का सड़क घनत्व 75 किमी है।

आज भी भारत में सड़क परिवहन यहाँ कि जरूरतों को पूरा करने के लिये काफी नहीं है। विशाल जनसंख्या के हिसाब से सड़कों का जाल काफी नहीं है। आधे से अधिक सड़कें कच्ची हैं। शहरों में तंग और भीड़-भाड़ भरी सड़कें हैं। अधिकतर पुल और पुलिया पुराने हो गये हैं और संकरे हैं।