राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएँ
जल परिवहन
यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। जल परिवहन भारी और विशाल सामान को ले जाने के लिये अत्यंत उपयुक्त है। इसमें ईंधन की कम खपत होती है और यह पर्यावरण हितैषी भी है। भारत में अंत: स्थलीय नौचालन मार्ग 14,500 किमी लंबा है। लेकिन इसमें से केवल 3,700 किमी मोटरचालित बोट के लायक हैं।
निम्नलिखित जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है:
- इलाहाबाद और हल्दिया के बीच की गंगा का मार्ग (1620 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 1
- सदिया और धुबरी के बीच ब्रह्मपुत्र का मार्ग (891 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 2
- केरल का पश्चिम तटीय नहर ((कोट्टापुरमा से कोम्मान तक, उद्योगमंडल और चम्पक्कारा नहरें: 205 किमी): नौगम्य जलमार्ग संख्या 3
- गोदावरी, कृष्णा, सुंदरबन, बराक, बकिंघम कैनाल, ब्राह्मणी, पूर्व-पश्चिम नहर और दामोदर घाटी नहर का नाम अन्य सक्षम जलमार्गों की श्रेणी में आता है।
प्रमुख समुद्री पत्तन
भारत की तटरेखा 7,516.6 किमी लंबी है। इसमें 12 प्रमुख और 181 मध्यम और छोटे पत्तन हैं। देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 95% प्रमुख पत्तनों से संचालित होता है। विभाजन के बाद कराची पत्तन भारत के पास से निकल गया। इसलिए मुम्बई के प्त्तन पर लोड हटाना जरूरी हो गया था। इसलिये आजादी के तुरंत बाद कच्छ में कांडला के पत्तन को विकसित किया गया। कांडला का पत्तन एक ज्वारीय पत्तन है। यह जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के औद्योगित और खाद्यान्न निर्यात और आयात को सुचारू तरीके से संचालित करता है।
मुंबई एक विशाल पत्तन है जहाँ प्राकृतिक रूप से खुले और बड़े हार्बर हैं। मुम्बई के पत्तन पर से भीड़ कम करने के लिए पास में ही जवाहरलाल नेहरू पत्तन का निर्माण किया गया। गोवा का मारमागाओ पत्तन लौह अयस्क के निर्यात के लिए एक अग्रणी पत्तन है। इस पत्तन से भारत के लौह अयस्क के निर्यात का 50% हिस्सा संचालित होता है।
कर्नाटक के न्यू मंगलोर पत्तन से कुद्रेमुख की खानों से निकलने वाला लौह अयस्क निर्यात होता है। कोची का पत्तन सुदूर दक्षिण पश्चिम में है जो लैगून के मुहाने पर स्थित है और जहाँ प्राकृतिक हार्बर है।
पूर्वी तट पर तामिलनाडु का तूतीकोरन पत्तन है। यहाँ एक प्राकृतिक हार्बर है और आस पास के इलाके समृद्ध हैं। इसलिये यहाँ से श्रीलंका, मालदीव और भारत के तटीय इलाकों के लिये विविध प्रकार के वस्तुओं का व्यापार संचालित होता है।
चेन्नई का पत्तन सबसे पुराने कृत्रिम पत्तनों में से एक है। व्यापार की मात्रा और माल ढ़ुलाई के मामले में इसका स्थान मुम्बई के बाद दूसरा है।
विशाखापत्तनम जमीन से घिरा हुआ, गहरा और सुरक्षित पत्तन है। इस पत्तन का निर्माण मूल रूप से लौह अयस्क के निर्यात के लिए किया गया था।
उड़ीसा का पारादीप पत्तन विशेषत: लौह अयस्क का निर्यात करता है।
कोलकाता में एक अंत:स्थलीय नदी पत्तन है। इस पत्तन से गंगा और ब्रह्मपुत्र के मैदानों का समृद्ध इलाका जुड़ा हुआ है। एक ज्वारीय पत्तन होने के कारण इस पत्तन में हुगली के तलछट के जमाव को नियमित रूप से साफ करना पड़ता है। कोलकाता के पत्तन पर से भीड़ हटाने के उद्देश्य से हल्दिया के पत्तन का निर्माण हुआ था।
वायु परिवहन
1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीकरण हुआ था। उससे पहले वायु परिवहण केवल निजी कंपनी के हाथों में था। भारत में अंतर्देशीय उड़ानों की सेवा एअर इंडिया, एलायंस एअर और कुछ निजी सेक्टर के एअरलाइन द्वारा सेवा प्रदान की जाती है। एअर इंडिया अंतर्राष्ट्रीय उड़ान की सेवा भी देती है। पवनहंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कमिशन को और उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्यों के दुर्गम इलाकों के लिये हेलिकॉप्टर सेवा प्रदान करती है।
वायु परिवहन से दुर्गम इलाकों; जैसे ऊँचे पहाड़, कठिन रेगिस्तान, घने जंगल और दूर दराज के द्वीपों तक भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।