10 भूगोल

वन एवं वन्य जीव संसाधन

समुदाय और संरक्षण:

इस बात को अब कई स्थानीय समुदायों ने भी मान लिया है कि संरक्षण से उनके जीवनयापन को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए अब कुछ लोग कई जगहों पर सरकार के संरक्षण के प्रयासों के साथ भागीदारी कर रहे हैं।

राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में गाँव के लोगों ने खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।

कई गाँव के लोग तो अब वन्यजीवन के आवास की रक्षा करने के क्रम में सरकारी हस्तक्षेप की भी अनदेखी कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण अलवर जिले में देखने को मिलता है। इस जिले के पाँच गाँवों ने 1,200 हेक्टेअर वन को भैरोदेव डाकव ‘सोनचुरी’ घोषित कर दिया है। वहाँ के लोगों ने वन्यजीवन की रक्षा के लिये अपने ही नियम और कानून बनाये हैं।

हिंदू धर्म और कई आदिवासी समुदायों में प्रकृति की पूजा की पुरानी परंपरा रही है। जंगलों में पवित्र पेड़ों के झुरमुट इसी परंपरा की गवाही देते हैं। वनों में ऐसे स्थानों को मानव गतिविधियों से अछूता रखा जाता है।

छोटानागपुर के मुण्डा और संथाल लोग महुआ और कदम्ब की पूजा करते हैं। इसी तरह उड़ीसा और बिहार के आदिवासी शादी के मौके पर इमली और आम की पूजा करते हैं।

बंदरों को हिंदुओं के देवता हनुमान का वंशज माना जाता है। अधिकाँश स्थानों पर इसी मान्यता के कारण बंदरों और लंगूरों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता है। राजस्थान के बिश्नोई गाँवों में चिंकारा, नीलगाय और मोर को पूरे समुदाय का संरक्षण मिलता है और कोई उनको नुकसान नहीं पहुँचाता है।

संरक्षण कार्य में समुदाय की भागीदारी का एक अच्छा उदाहरण है चिपको आंदोलन।

टेहरी और नवदन्य के बीज बचाओ आंदोलन जैसे संगठनों ने यह दिखा दिया है कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के बिना भी विविध अनाजों की पैदावार करना आर्थिक रूप से संभव है।

स्थानीय समुदाय द्वारा संरक्षण में भागीदारी का एक और उदाहरण है ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट। यह कार्यक्रम उड़ीसा में 1988 से चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत गाँव के लोग अपनी संस्था का निर्माण करते हैं और संरक्षण संबंधी क्रियाकलापों पर काम करते हैं। उसके बदले में सरकार द्वारा उन्हें कुछ वन संसाधनों के इस्तेमाल का अधिकार मिल जाता है।

प्रोजेक्ट टाइगर

बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिये प्रोजेक्ट टाइगर को 1973 में शुरु किया गया था।

बीसवीं सदी की शुरुआत में बाघों की कुल आबादी 55,000 थी जो 1973 में घटकर 1,827 हो गई।

बाघ की आबादी के लिए खतरे: व्यापार के लिए शिकार, सिमटता आवास, भोजन के लिए आवश्यक जंगली उपजातियों की घटती संख्या, आदि।

प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता
वर्ष बाघों की जनसंख्या
19854,002
19894,334
19933,600
वर्तमान स्थिति 37,761 वर्ग किमी में फैले 27 टाइगर रिजर्व

महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व: कॉर्बेट नेशनल पार्क (उत्तराखंड), सुंदरबन नेशनल पार्क (पश्चिम बंगाल), बांधवगढ़ नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश), सरिस्का वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (राजस्थान), मानस टाइगर रिजर्व (असम) और पेरियार टाइगर रिजर्व (केरल)।