जन संघर्ष और आंदोलन
लामबंदी और संगठन
राजनैतिक पार्टियाँ: जो संगठन राजनैतिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करते हैं उन्हें राजनैतिक पार्टी कहते हैं। राजनैतिक पार्टियाँ चुनाव लड़ती हैं ताकि सरकार बना सकें।
दबाव समूह: जो संगठन राजनैतिक प्रक्रिया में परोक्ष रूप से भागीदारी करते हैं उन्हें दबाव समूह कहते हैं। सरकार बनाना या सरकार चलाना कभी भी दबाव समूह का लक्ष्य नहीं होता है।
दबाव समूह और आंदोलन:
दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, रुचि, महात्वाकांछा या मतों वाले लोग किसी समान लक्ष्य की प्राप्ति के लिये एक मंच पर आते हैं। इस प्रकार के समूह अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये आंदोलन करते हैं। यह जरूरी नहीं कि हर दबाव समूह जन आंदोलन ही करे। कई दबाव समूह केवल अपने छोटे से समूह में ही काम करते हैं।
जन आंदोलन के कुछ उदाहरण हैं: नर्मदा बचाओ आंदोलन, सूचना के अधिकार के लिये आंदोलन, शराबबंदी के लिये आंदोलन, नारी आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन।
वर्ग विशेष के हित समूह और जन सामान्य के हित समूह
वर्ग विशेष के हित समूह: जो दबाव समूह किसी खास वर्ग या समूह के हितों के लिये काम करते हैं उन्हें वर्ग विशेष के समूह कहते हैं। उदाहरण: ट्रेड यूनियन, बिजनेस एसोसियेशन, प्रोफेशनल (वकील, डॉक्टर, शिक्षक, आदि) के एसोसियेशन। ऐसे समूह किसी खास वर्ग की बात करते हैं; जैसे मजदूर, शिक्षक, कामगार, व्यवसायी, उद्योगपति, किसी धर्म के अनुयायी, आदि। ऐसे समूहों का मुख्य उद्देश्य होता है अपने सदस्यों के हितों को बढ़ावा देना और उनके हितों की रक्षा करना।
जन सामान्य के हित समूह: जो दबाव समूह सर्व सामान्य जन के हितों की रक्षा करते हैं उन्हें जन सामान्य के हित समूह कहते हैं। ऐसे दबाव समूह का उद्देश्य होता है पूरे समाज के हितों की रक्षा करना। उदाहरण: ट्रेड यूनियन, स्टूडेंट यूनियन, एक्स आर्मीमेन एसोसियेशन, आदि।
राजनीति पर दबाव समूह और आंदोलन का प्रभाव:
जन समर्थन: दबाव समूह और उनके आंदोलन अपने लक्ष्य और क्रियाकलापों के लिये जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं। इसके लिये वे तरह तरह के रास्ते अपनाते हैं, जैसे कि जागरूकता अभियान, जनसभा, पेटीशन, आदि। कई दबाव समूह जनता का ध्यान खींचने के लिए मीडिया को भी प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
प्रदर्शन: प्रदर्शन करना किसी भी दबाव समूह का एक आम तरीका है। प्रदर्शन के दौरान हड़ताल भी किये जाते हैं ताकि सरकार के काम में बाधा उत्पन्न की जा सके। हड़ताल और बंद के द्वारा सरकार पर दबाव बनाया जाता है ताकि सरकार किसी मांग की सुनवाई करे।
लॉबी करना: कुछ दबाव समूह सरकारी तंत्र में लॉबी भी करते हैं। इसके लिये अक्सर प्रोफेशनल लॉबिस्ट की सेवा ली जाती है। कई बार इश्तहार भी चलाये जाते हैं। इन समूहों में से कुछ लोग आधिकारिक निकायों और कमेटियों में भी भाग लेते हैं ताकि सरकार को सलाह दे सकें। इस तरह के समूह के उदाहरण हैं: एसोचैम और नैसकॉम।