लोकतंत्र के परिणाम
उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन
लोकतंत्र से ऐसी सरकार बनती है जो जनता के लिये उत्तरदायी होती है और नागरिकों की उम्मीदों और मांगों पर ध्यान देती है।
अक्सर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी अलोकतांत्रिक सरकार के मुकाबले कोई लोकतांत्रिक सरकार कम कुशल हो। किसी भी अलोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति बनाने की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए अहम फैसले लेने में देर नहीं लगती है। लेकिन लोकतांत्रिक सरकार में आम सहमति बनाने की जरूरत पड़ती है इसलिए अहम फैसले लेने में देर होती है। लेकिन हमें यह सोचना होगा कि क्या अलोकतांत्रिक सरकार का फैसला जनता को मंजूर होता है। क्या वैसे फैसले वास्तव में लोगों की समस्या का समाधान करते हैं।
लोकतांत्रिक सरकार अधिक पारदर्शी होती है। जनता के पास यह जानने का अधिकार होता है कि फैसले किन तरीकों से लिये गये या सरकार ने कोई कार्य कैसे किया। इसलिए एक लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिये उत्तरदायी होती है और जनता का ध्यान रखती है।
लोकतांत्रिक सरकार को लोगों द्वारा चुना जाता है इसलिए ऐसी सरकार वैध होती है। इसलिए आज दुनिया के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक सरकारें चल रही हैं।
आर्थिक संवृद्धि और विकास:
यदि आर्थिक समृद्धि की बात की जाये तो इसमें तानाशाही शासन लोकतंत्र के मामले में आगे दिखता है। 1950 से 2000 तक के पचास वर्षों के आँकड़ों का अध्ययन करने से पता चलता है कि तानाशाही शासन व्यवस्था में आर्थिक समृद्धि बेहतर हुई है। लेकिन कई लोकतांत्रिक देश हैं जो दुनिया की आर्थिक शक्तियों में गिने जाते हैं। इसलिये यह कहा जा सकता है कि सरकार का प्रारूप किसी देश की आर्थिक समृद्धि को निर्धारित करने वाला अकेला कारक नहीं है। इसके अन्य कारक भी होते हैं, जैसे: जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग, आर्थिक प्राथमिकताएँ, आदि।
इसलिए हमें आर्थिक संवृद्धि के साथ अन्य सकारात्मक पहलुओं को भी देखना पड़ेगा। इस दृष्टिकोण से लोकतंत्र हमेशा तानाशाही से बेहतर होता है।
असमानता और गरीबी में कमी
आर्थिक असमानता पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा गरीब है। गरीबों और अमीरों की आय के बीच एक बहुत बड़ी खाई है। लोकतंत्र अधिकांश देशों में आर्थिक असमानता मिटाने में असफल ही रहा है।
सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य
हर देश सामाजिक विविधताओं से भरा हुआ है। इसलिए विभिन्न वर्गों के बीच टकराव होना स्वाभाविक है। लोकतंत्र ऐसे तरीकों का विकास करने में मदद करता है जिनसे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो सके। लोकतंत्र में लोग विविधता का सम्मान करना और मतभेदों के समाधान निकालना सीख जाते हैं। अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में सामाजिक विविधता में तालमेल बना रहता है। इसके कुछ अपवाद हो सकते हैं, जैसे: श्रीलंका।
नागरिकों की गरिमा और आजादी
लोकतंत्र ने नागरिकों को गरिमा और आजादी प्रदान की है। भारत में कई सामाजिक वर्ग हैं जिन्होंने वर्षों तक उत्पीड़न झेला है। लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया के फलस्वरूप इन वर्गों के लोग भी आज सामाजिक व्यवस्था में ऊपर उठ पाये हैं और अपने हक को प्राप्त किया है।
महिलाओं की समानता
लोकतंत्र के कारण ही यह संभव हो पाया है कि महिलाएँ समान अधिकारों के लिये संघर्ष कर पाईं। आज अधिकांश लोकतांत्रिक देशों की महिलाओं को समाज में बराबर का दर्जा मिला हुआ है। तानशाह देशों में आज भी महिलाओं को समान अधिकार नहीं प्राप्त हैं।
जातिगत असमानता
जातिगत असामनता भारत में जड़ जमाये बैठी है। लेकिन लोकतंत्र के कारण इसकी संख्या काफी कम हुई है। आज पिछड़ी जाति और अनुसूचित जाति के लोग भी हर पेशे में शामिल होने लगे हैं।