10 नागरिक शास्त्र

जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Extra Questions Answers

प्रश्न 1: श्रम के लैंगिक विभाजन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: जब ऐसा माना जाता है कि कुछ कार्य महिलाओं के लिये और कुछ पुरुषों के लिये ही बने हैं तो ऐसी स्थिति को श्रम का लैंगिक विभाजन कहते हैं।

प्रश्न 2: नारीवादी आंदोलन का क्या मतलब है?

उत्तर: महिलाओं को समान अधिकार दिलाने के उद्देश्य से होने वाले आंदोलन को नारीवादी आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 3: आधुनिक भारत में नौकरियों में महिलाओं की क्या स्थिति है?

उत्तर: आधुनिक भारत में नौकरियों में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। ऊँचे पदों पर महिलाओं की संख्या काफी कम है। कई मामलों में ये भी देखा गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम वेतन मिलता है। जबकि पुरुषों की तुलना में महिलाएँ प्रतिदिन अधिक घंटे काम करती हैं।

प्रश्न 4: भारत की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसा है?

उत्तर: भारत की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है। विधायिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत खराब है। महिला मंत्रियों की संख्या भी बहुत कम है।

प्रश्न 5: सांप्रदायिकता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: जब राजनैतिक वर्ग द्वारा एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़वाया जाता है तो इसे सांप्रदायिकता या सांप्रदायिक राजनीति कहते हैं।

प्रश्न 6: धर्मनिरपेक्ष शासन का क्या मतलब है?

उत्तर: जिस शासन व्यवस्था में सभी धर्म को समान दर्जा दिया जाता है उसे धर्मनिरपेक्ष शासन कहते हैं।

प्रश्न 7: भारत सरकार किस स्थिति में धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप करती है?

उत्तर: भारत का संविधान सरकार को धार्मिक मुद्दों में तब हस्तक्षेप करने की इजाजत देता है जब विभिन्न समुदायों में समानता बनाये रखने के लिये यह जरूरी हो जाये।

प्रश्न 8: जातिगत विभाजन किन कारणों से कम होते जा रहे हैं?

उत्तर: कई सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के कारण जातिगत विभाजन धूमिल पड़ते जा रहे हैं। आर्थिक विकास, तेजी से होता शहरीकरण, साक्षरता, पेशा चुनने की आजादी और गाँवों में जमींदारों की कमजोर स्थिति के कारण जातिगत विभाजन कम होते जा रहे हैं।

प्रश्न 9: भारत की राजनीति में जाति का क्या महत्व है?

उत्तर: भारत की राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है। किसी भी चुनाव क्षेत्र में उम्मीदवार का चयन उस क्षेत्र की जातीय समीकरण के आधार पर होता है।

प्रश्न 10: जाति के आधार पर आर्थिक विषमता पर टिप्पणी करें।

उत्तर: जाति के आधार पर आर्थिक विषमता अभी भी देखने को मिलती है। उँची जाति के लोग सामन्यतया संपन्न होते है। पिछड़ी जाति के लोग बीच में आते हैं, और दलित तथा आदिवासी सबसे नीचे आते हैं। सबसे निम्न जातियों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है।