10 नागरिक शास्त्र

जाति, धर्म और लैंगिक मसले

धर्म और राजनीति:

धर्म हमारे राजनीतिक और सामाजिक जीवन का एक अभिन्न अंग है। कुछ देशों में बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय को बढ़ावा दिया जाता है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय का भारी नुकसान होता है। इससे बहुसंख्यक आतंक को पोषण मिलता है।

सांप्रदायिकता:

जब राजनैतिक वर्ग द्वारा एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़वाया जाता है तो इसे सांप्रदायिकता या सांप्रदायिक राजनीति कहते हैं।

percentage of different religions in India

राजनीति में सांप्रदायिकता के कई रूप हो सकते हैं:

कुछ लोगों को लगता है कि उनका धर्म अन्य धर्मों से बेहतर है। ऐसे लोग अक्सर दूसरे धर्म के लोगों पर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश करते हैं और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। इसके फलस्वरूप अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है।

संप्रदाय के नाम पर समाज में ध्रुवीकरण की अक्सर कोशिश की जाती है। किसी अल्पसंख्यक समुदाय में भय भरने के लिये धार्मिक चिह्नों, धर्मगुरुओं और भावनात्मक अपीलों का इस्तेमाल किया जाता है।

कई बार सांप्रदायिकता उग्र रूप ले लेती है और फिर सांप्रदायिक दंगे और नरसंहार होते हैं।

धर्मनिरपेक्ष शासन

जिस शासन व्यवस्था में सभी धर्म को समान दर्जा दिया जाता है उसे धर्मनिरपेक्ष शासन कहते हैं।

भारत के संविधान में यह घोषित किया गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। हमारे संविधान के अनुसार भारत में कोई भी धर्म राजकीय धर्म नहीं माना गया है।

भारत में लोगों को अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को मानने की छूट देता है। संविधान धर्म के नाम पर भेदभाव की मनाही करता है।

लेकिन भारत का संविधान सरकार को धार्मिक मुद्दों में तब हस्तक्षेप करने की इजाजत देता है जब विभिन्न समुदायों में समानता बनाये रखने के लिये यह जरूरी हो जाये।