लोकतंत्र और विविधता
NCERT Solution
प्रश्न 1: सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर: सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तीन कारकों पर निर्भर करते हैं जो निम्नलिखित हैं:
यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोग अपनी सामाजिक पहचान को किस रूप में लेते हैं। यदि लोग अपने आप को विशिष्ट मानने लगते हैं तो ऐसे में सामाजिक विविधता को पचा पाना मुश्किल हो जाता है।
राजनेता किसी समुदाय की मांगों को किस तरह से पेश करते हैं।
किसी समुदाय की मांग पर सरकार की कैसी प्रतिक्रिया होती है। यदि किसी समुदाय की मांग को सही तरीके से माना जाता है तो इससे राजनीति सबल बनती है।
प्रश्न 2: सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर: जब सामाजिक अंतर से लोगों में विशेष होने की भावना भरने लगती है तो इससे सामाजिक विभाजन का जन्म होता है। भारत में पुराने समय से ही सभी संसाधनों पर ऊँची जाति के लोगों का नियंत्रण रहा है। इसके अलावा सवर्णों ने दलितों और पिछड़ी जाति के लोगों को आर्थिक विकास का फायदा उठाने से रोक कर रखा। इससे देश में सामाजिक विभाजन बढ़ता चला गया।
प्रश्न 3: सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर: किसी भी देश की राजनीति वहाँ के सामाजिक विभाजन से अछूती नहीं रह सकती। राजनैतिक दल हमेशा ही किसी न किसी सामाजिक समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे और उनकी आवाज को उठाएँगे। उदाहरण के लिए बहुजन समाज पार्टी को लीजिए। इस पार्टी के संस्थापकों ने दलितों के मुद्दों को उठाया और इस तरह से इस पार्टी का जन्म हुआ।
प्रश्न 4: ................सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। .............सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर: सबको अलग करने वाला, सबको मिलाने वाला
प्रश्न 5: सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमे से कौन सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
- लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
- लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढ़ंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना संभव है।
- लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
- लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
उत्तर: लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें:
- जहाँ सामाजिक अंतर एक दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
- यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो।
- सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन कौन से बयान सही हैं।
उत्तर: a, b
प्रश्न 7: निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ।
- सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों यह जरूरी नहीं है।
- हर देश में किसी न किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
- राजनीतिक दल सामाजिक विभाजन के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
- कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
उत्तर: d, b, c, a
प्रश्न 8: निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखंडन का सामना करना पड़ा? (बेल्जियम, भारत, यूगोस्लाविया, नीदरलैंड)
उत्तर: यूगोस्लाविया
प्रश्न 9: मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं? क्या आप उनके बयानों और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?
“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें – अश्वेत, स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक – हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी – ‘मिली आजादी, मिली आजादी! प्रभु बलिहारी, मिली आजादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।“
उत्तर: मार्टिन लूथर रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव की बात कर रहे हैं। वह अश्वेत लोगों के खिलाफ पूर्वाग्रह के प्रति अपनी चिंता जता रहे हैं। वह ऐसे समाज की परिकल्पना करते हैं जहाँ सामाजिक विभाजन के आधार पर भेदभाव के लिए कोई जगह न हो। मैक्सिको ओलंपिक में अश्वेत द्वारा गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद ‘अश्वेत सलामी’ दी गई थी। जब टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस नाम के दो अश्वेत एथलीट मेडल पोडियम पर खड़े थे और अमरीका राष्ट्रगान बज रहा था तो दोनों अथलीटों ने काले दस्ताने पहन कर सलामी दी थी। इस घटना ने अश्वेतों की हक की लड़ाई को एक नई ताकत दी थी। यह सलामी एक तरह से रंगभेद के खिलाफ सलामी थी।